अंधविश्वास : बच्चे को जिंदा करने के लिए 30 किलोमीटर दूर से तांत्रिक पढ़ता रहा मंत्र और परिजन सुनाते रहे कान में आवाज

सर्पदंश का शिकार बच्चे का परिजनों ने समय पर डाॅक्टर से इलाज नहीं कराया और परंपरागत तरीके अपनाया जिससे उसकी मौत हो गई। उसके बाद भी तंत्र-मंत्र का सहारा लेते रहे...

Update: 2020-08-24 11:13 GMT

मृत बच्चों को जीवित करने की कोशिश। फोटो: पत्रिका डाॅट काॅम से साभार।

जनज्वार। अंधविश्वास में लोग अजीब-अजीब हरकत करते हैं और उसकी कीमत जान देकर भी आये दिन लोगों को चुकानी पड़ती है। राजस्थान के भरतपुर जिले के मडरपुर गांव में सर्पदंश के शिकार हुए आठ वर्षीय बच्चे को पहले गैर प्रमाणिक गांव की दवा परिजनों ने पिलाई और उसके अगले दिन उसकी मौत हो गई। जानकारी के अनुसार, शनिवार को आयुष नाम का बच्चा जब अपनी नानी के साथ खेत में चारा लाने गया था, इसी दौरान सांप ने उसे डस लिया।

शनिवार को परिजनों ने उसका डाॅक्टर से इलाज नहीं कराया और गांव में ही एक अप्रमाणिक दवा पिला दी। झाड़ फूंक भी करवाया, इसके अगले दिन रविवार को बच्चा बेहोश होकर गिर पड़ा। इसके बाद उसे परिजन आरबीएम अस्पताल ले गये जहां डाॅक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद बच्चे के शव को मोर्चरी में रखा गया, लेकिन परिवार वालों को अब भी यह विश्वास था कि बच्चा ठीक हो जाएगा।

इस कारण परिजनों ने फोन पर एक भोपा से संपर्क किया। उसके बाद भोपा ने फोन पर ही मोर्चरी में रखे बच्चे के शव के कान में मंत्र सुनाए। पर बच्चे के शरीर में किसी तरह की हरकत नहीं हुई। यह खेल दो घंटे तक चलता रहा। इसके बाद आखिरकार परिजन शव लेकर चले गए।

दरअसल, इस इलाके में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। करीब आठ साले पहले भी डीग में ऐसा हुआ था, जब सर्पदंश से मरे एक व्यक्ति को दो दिन तक नीम के पत्ते के नीचे रखा कर जीने का इंतजजार किया गया। बाद में ग्रामीणों के समझाने पर परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार किया था।

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