अंधविश्वास : लकवा मरीज के शरीर में पहले की केरोसिन से मालिश फिर पिलाया, हो गई मौत

डाॅक्टर ने बताया कि केरोसिन फेफड़े में जमा होकर श्वांस नली में चली जाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है और इसी वजह से युवक की मौत हो गई...

Update: 2020-09-26 02:31 GMT

जनज्वार। छत्तीसगढ के बालोद में एक लकवा पीड़ित युवक को इलाज के नाम पर केरोसिन पिला दिया गया जिससे दो दिन पहले उसकी मौत हो गई। बालोद के घोटिया पंचायत के बीचपारा के रहने वाले 42 वर्षीय युवक खुमान सिंह को लकवा हो गया था। युवक गांव के मेहतर सिंह का बेटा था।

इसके बाद उसके परिजनों उसकी खाफी झाड़-फूंक करायी, लेकिन उससे कोई फायदा नहीं हुआ। इस बीच इस सप्ताह के आरंभ में किसी की बात में आकर केरोसिन तेल से उसकी मालिश शुरू की। युवक के शरीर में केरोसिन से मालिश किया गया और परिवार वाले इस उम्मीद में रहे कि इससे उसके शरीर की अकड़न ठीक हो जाएगी और लकवा बीमारी खत्म हो जाएगी।

जब इससे भी बात नहीं बनी तो परिजनों ने उसे इस उम्मीद में केरोसिन पिला दिया कि इससे बीमारी ठीक हो जाएगी। लेकिन, इससे उलटे उसकी तबीयत और बिगड़ गई। इसके बाद परिजन उसे इलाज के लिए डौंडी स्थित सरकारी अस्प्ताल ले गए, लेकिन डाॅक्टर ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।

उौंडी के सरकारी अस्पताल के डाॅक्टर विजय ठाकुर ने कहा कि केरोसिन फेफड़े में जमा होकर श्वांस नली में चला जाता है। इससे सांस लेना बंद हो जाता है और इस युवक के साथ वही हुआ, जिससे इसकी मौत हो गई।

युवक के परिजनों ने उसका काफी झाड़ फूंक करवाया था और उन्हें अंधविश्वास था कि इससे बीमारी दूर हो सकती है। लेकिन, कई बार झाड़फूंक व उपचार के ऐसे तरीके जो प्रमाणित नहीं हैं उससे लोगों की जान चली जाती है।

आसमानी बिजली के शिकार लोगों को गोबर में या कीचड़ में दबा कर रखने, सांप व विषैले जीव के कांटने पर झाड़ फूंक कराने जैसे अंधविश्वास हमारे गांवों में काफी अधिक हैं। इससे अक्सर लोगों की मौत हो जाती है।

इसलिए ऐसे उपायों से बचना चाहिए और किसी भी बीमारी में प्रमाणिक डिग्रीधारी डाॅक्टरों की सलाह पर ही कोई कदम उठाना चाहिए।

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