पीलीभीत में महिला को बिजली करंट लगने के बाद अंधविश्वास में इलाज के लिए बालू के नीचे दबाया
अंधविश्वास में अक्सर लोगों की जान तक चली जाती है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इलाज उपलब्ध होने के बाद भी लोग ऐसे तरीके अपनाते हैं जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है।
जनज्वार। उत्तरप्रदेश (UttarPradesh) के पीलीभीत (pilibhit news) जिले के पूरनपुर कलीनगर में एक महिला को बिजली करंट लगने के बाद परिवार के लोगों ने इलाज के लिए बालू (रेत) के नीचे दबा दिया।हालांकि महिला जीवित बच गईं लेकिन यह तरीका खतरनाक हो सकता था।
रविवार (दो अगस्त) की रात्रि साढे नौ बजे कलीनगर के वार्ड नंबर 10 के रहने वाले नन्हे लाल राजपूत की पत्नी गीता देवी ने पंखा चलाया, इस दौरान उन्हें करंट लग गया। करंट लगने के के बाद वे अचेत होकर गिर पड़ीं। इसके बाद परिजनों भयभीत हो गए और उन्होंने अंधविश्वास में महिला को घर में पड़े हुए बालू की ढेर में दबा दिया। पूरी रात महिला बालू के ढेर में ही इस उम्मीद से दबाए रखी गईं कि इससे उनके शरीर से करंट का दुष्प्रभाव खत्म हो जाएगा।
इस घटना के अगले दिन सोमवार की सुबह महिला की हालत में थोड़ा सुधार हुआ जिससे परिजनों ने राहत की सांस ली।
परिवार के लोगों ने डाॅक्टरों से उचित उपचार कराने के बजाय अंधविश्वास (Superstition) में देसी उपचार का तरीका अपनाया जो खतरनाक हो सकता था। इसी तरह आसमानी बिजली से घायल हुए लोगों का भी कई बार लोग उचित इलाज कराने की जगह गोबर, कीचड़ में दबा देते हैं, जिससे उनकी मौत तक हो जाती है।