अंधविश्वास : कोरोना माई के बाद भागलपुर में शुरू हुई कोरोना बाबा की पूजा, संक्रमण कम होने का भी दावा

कोरोना माई की पूजा के बाद अब भागलपुर में कोरोना बाबा की पूजा का चलन शुरू हो गया है। महिलाओं का यह भी मानना है कि इससे कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो रहा है...

Update: 2020-08-07 02:32 GMT

कोरोना वायरस एवं कोरोना की पूजा की प्रतीकात्मक तसवीर।

जनज्वार। भागलपुर के बरारी के सीढी घाट पर महिलाएं घर के पुरुष सदस्यों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए अंधविश्वास में कोरोना बाबा की पूजा कर रही हैं। गंगा मे तट पर महिला जुटती हैं और पान, सुपाड़ी, अगरबत्ती, लड्डू व वस्त्र सहित अन्य पूजन सामग्री लेकर 'कोरोना बाबा' की पूजा करती हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से कोरोना संक्रमण से बचाव होगा।

'कोरोना बाबा' की पूजा करने वाली महिलाओं का कहना है कि वे घर के पुरुष सदस्यों को संक्रमण से बचाने के लिए ऐसा करती हैं। इस तरह की पूजा करने वाली महिलाओं में पढी-लिखी महिलाएं भी शामिल हैं। ऐसे पूजन कार्यक्रम में जुटने वाली महिलाएं कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी गाइडलाइन का भी पालन नहीं करतीं। वे बिना मास्क के ही पूजा के लिए जुटती हैं।

'कोरोना बाबा' की पूजा करने वाली महिलाओं के अनुसार, घर के पुरुष सदस्य भाई, बेटा, दामाद या कोई पूजा के लिए पैसे देते हैं और उससे वे पूजन सामग्री खरीदती हैं। पूजा के लिए पान-सुपाड़ी से लेकर अगरबत्ती, टिकली, लहठी और कमरधनी तक खरीदा जाता है। महिलाएं पूजा के के बाद नए वस्त्र एवं कमरधनी साथ ले जाती हैं और बाकी चीजें गंगा नदी में प्रवाहित कर देती हैं।

एक महिला ने इस बारे में कहा कि कोरोना बाबा की पूजा करने से गांव में कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो रहा है। उनका यह भी मानना है कि जो इस पूजा के बाद कमरधनी और वस्त्र धारण करते हैं उन्हें संक्रमण का खतरा नहीं होता है।

मालूम हो कि इससे पहले बिहार व झारखंड के कई हिस्सों से कोरोना माई की पूजा करने की खबरें आयीं हैं। उसमें महिलाएं सामूहिक रूप से गांव से बाहर जाकर एक जगह पूजा करतीं थीं, जिससे बीमारी का खतरा कम हो जाए। कोरोना से बचाव को लेकर कई जगह से पशु बलि देने की भी खबरें आ चुकी हैं।

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