अंधविश्वास : गर्भवती महिला की मौत के बाद नहीं होने दिया अंतिम संस्कार, शव को पेड़ से बांधकर चला गया परिवार

आंध्र प्रदेश के कुरनौल से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. जहां पर एक नौ महीने की गर्भवती महिला की मौत हो गई. लेकिन अंधविश्वास के चलते गांव के कुछ लोगों ने मृतक महिला का अंतिम संस्कार नहीं होने दिया. जिसके कारण महिला के परिजनों को शव को जंगल में बांध कर आना पड़ा...

Update: 2020-06-30 05:19 GMT
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जनज्वार। आंध्र प्रदेश के कुरनौल से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां पर नौ महीने की गर्भवती महिला की मौत होने पर गांव वालों ने उसका अंतिम संस्कार नहीं होने दिया. गांव वालों का कहना था कि महिला के पेट में बच्चा है. इसलिए उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जा सकता. क्योंकि ऐसा करना गांव के लिए अनिष्ट (बुरा) होगा. फिर मृतक महिला के परिजन शव को जंगल में एक पेड़ से बांधकर चले आए.

बता दें, महिला की मौत से दुखी परिजनों को गांव के प्रमुखों का आदेश और अंधविश्वास बेहद परेशान कर रहा है. इतना ही नल्लमला जंगल के आसपास के गांव वाले डरे हुए हैं. इस आधुनिक युग में अब भी अंधविश्वास कितना जिंदा है. इसका यह जीता जागता उदाहरण है.



बी. नागिरेड्डीपल्ले गांव निवासी धर्मेंद्र नामक व्यक्ति से लावण्या (20) की डेढ़ साल पहले शादी हुई थी. नौ महीने की गर्भवती लावण्या को प्रसव पीड़ा के चलते शुक्रवार को शिरवेल्ली गांव से नंद्याल सरकारी अस्पताल लाया गया. वहां पर डॉक्टरों की लापरवाही के कारण लावण्या की डिलीवरी होने से पहले ही मौत हो गई.

परिजनों ने शनिवार को महिला के शव को अंतिम संस्कार के लिए बी नागिरेड्डीपल्ले लेकर आए और अंतिम संस्कार की तैयारी करने लगे. इसी दौरान गांव के कुछ लोग वहां पहुंचे और पेट में बच्चा रहने के कारण अंतिम संस्कार करने पर आपत्ति जताई. इसके चलते लाचार परिजनों ने आधी रात को गर्भवती महिला के शव को एक वाहन में नल्लमला जंगल में लेकर गए. अप्पनपल्ले गांव के पुलिबोनु नदी के पास एक पेड़ से महिला के शव को बिठाकर रस्सी से बांध दिया.

शव को पेड़ से बंधा देख गांव वालों ने इसकी सूचना पुलिस को दी. इस मामले में पुलिस ने 14 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 269, 270, 297 और 504 के तहत मामला दर्ज कर लिया है.

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