इस चुनाव योगी सरकार ने प्रचंड जीत तो हासिल की ही, साथ ही कई पुराने शुभ-अशुभ जैसे मिथक भी तोड़े हैं

जो नोएडा आया, उसने सत्ता को गंवाया' वाली बात लोगों के दिल-ओ-दिमाग में घर कर गई और मुख्यमंत्रियों ने नोएडा जाना छोड़ दिया। मुलायम सिंह यादव, राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह तो अपने कार्यकाल में नोएडा आए ही नहीं...

Update: 2022-03-13 11:46 GMT

(सत्ता में वापसी के साथ भाजपा सरकार ने पुराने मिथक भी तोड़े हैं)

UP Election Result: उत्तर प्रदेश की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी प्रचंड जीत के साथ कई पुराने मिथकों को भी तोड़ा है। जिस तरह कहा जाता था कि कोई भी सीएम अपने पद पर रहते हुए नोएडा नहीं जाता था। यह उसके लिए अगला चुनाव हारने जैसा अशुभ माना जाता था। इसी तरह लखनऊ का बंगला नंबर 6 कालीदास मार्ग भी इन्हीं मिथकों में से एक था। 

कालीदास मार्ग स्थित बंगला नंबर 5 सीएम आवास (CM Awas) है। इस बंगले के अगल-बगल के बंगलों की भी अपनी एक अलग ही खासियत है। हालांकि, कई सालों से राजनीति के एक मिथक के चलते सीएम आवास के बगल वाले बंगला नंबर-6 में कोई रहना नहीं चाहता था। इसकी वजह यह थी कि इस बंगले को दशकों से 'अशुभ' कहा जाता है। लेकिन, इस बार के चुनावों में कई मिथकों के साथ-साथ यह मिथक भी टूट गया है।

क्या है बंगला नंबर 6 का मिथक? 

ऐसा कहा जाता है कि इस बंगले में रहने वाला कोई भी विधायक दोबारा विधानसभा के भीतर नहीं पहुंच पाता। जानकारी के मुताबिक, जो भी बड़े और दिग्गज चेहरे इस बंगले में रहे, उनका राजनीतिक ग्राफ गिरता चला गया। चाहे वह अमर सिंह हों, आशु मलिक हों या वकार अहमद शाह। तमाम ऐसे नेता हैं जो जीत के बाद यहां रहने आए, लेकिन समय दर समय उनका ग्राफ ऊपर जाने की बजाय गिरता गया। शायद यही वजह थी कि कोई भी इस बंगले में नहीं रहना चाहता था। 

नंद गोपाल नंदी ने तोड़ा मिथक

साल 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार आई, तो यह बंगला नंद गोपाल नंदी को अलॉट किया गया। योगी के मंत्री नंदी ने कई सालों बाद इस मिथक को तोड़ दिया और बंगले को 'अशुभ' से सामान्य की कैटेगरी में लेकर आ गए हैं। दरअसल, इस बंगले में रहने वाले कबीना मंत्री नंद गोपाल नंदी ने दोबारा जीत का परचम लहराया है। और इस चुनाव जीत दर्ज करने के साथ ही नंदी ने इस मिथक को भी तोड़ दिया। नंदी ने न सिर्फ पुराने मिथक को तोड़ा बल्कि अच्छे वोटों से चुनाव में जीत भी दर्ज की।

क्या थी नोएडा जाने की कहानी?

इसी तरह नोएडा को लेकर भी प्रदेश में एक मिथक दशकों से चलता आया है। कहा जाता था कि जो मुख्यमंत्री नोएडा का दौरा कर ले, वह अगली बार सत्ता में नहीं आता। 'जो नोएडा आया, उसने सत्ता को गंवाया' वाली बात लोगों के दिल-ओ-दिमाग में घर कर गई और मुख्यमंत्रियों ने नोएडा जाना छोड़ दिया। मुलायम सिंह यादव, राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह तो अपने कार्यकाल में नोएडा आए ही नहीं।

वहीं, 2012 में नए-नए मुख्यमंत्री बने अखिलेश यादव ने भी इस परंपरा को कायम रकते हुए नोएडा दर्शन नहीं किए। 2013 के एशियाई विकास बैंक सम्मेलन में तत्कालीन सीएम ने शिरकत ही नहीं की, जबकि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चीफ गेस्ट के तौर पर वहां पहुंचे थे। 

योगी आदित्यनाथ ने तोड़ा ये मिथक

साल 2017 में योगी सरकार पूर्ण बहुमत से बनीं। सीएम बनने के बाद योगी ने अपने कार्यकाल में दर्जनों बार नोएडा आकर लोगों से व्यक्तिगत तौर पर बात की और शहर में कई परियोजनाओं की शुरुआत की। इसके अलावा, कोरोना महामारी के दौरान भी योगी ने लगातार गौतमबुद्ध नगर जिले की समीक्षा की। अपने इस 5 साल के कार्यकाल में योगी आदित्यनाथ ने नोएडा के खूब दौरे किए और हर बार दावा किया कि वह इस मिथक को तोड़ कर रहेंगे। और इस मिथक को तोड़ 37 साल बाद दोबारा सत्ता में आकर इतिहास तक रच डाला।

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