यूपी के वाराणसी में इस थाने की कुर्सी पर नहीं बैठता कोई थानेदार, वजह जानकर आप अपना सिर पीट लेंगे

अफसर बगल में कुर्सी लगाकर बैठते हैं। आपको यह जानकर और भी हैरानी होगी कि कई सालों से इस पुलिस स्टेशन में कोई IAS, IPS नहीं आया...

Update: 2022-02-15 05:00 GMT

(थानेदार की कुर्सी पर भैरव की फोटो और बगल में बैठा थानेदार)

Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में एक पुलिस स्टेशन ऐसा भी है जहां थानेदार की कुर्सी पर आजतक कोई अधिकारी बैठने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। जी बिल्कुल सही पढ़ा आपने। कहा जाता है कि वाराणसी (Varanasi) के एक थाने में थानेदार की कुर्सी पर बाबा काल भैरव अपना आसन पिछले कई सालों से जमाए हुए हैं। अफसर बगल में कुर्सी लगाकर बैठते हैं। आपको यह जानकर और भी हैरानी होगी कि कई सालों से इस पुलिस स्टेशन में कोई IAS, IPS नहीं आया।

वाराणसी के विश्वेश्वरगंज स्थित कोतवाली पुलिस (Varanasi Kotwali Police) स्टेशन के प्रभारी बताते हैं कि ये परंपरा पिछले कई सालों से चली आ रही है। यहाँ कोई भी थानेदार जब तैनाती पर आता है तो वो अपनी कुर्सी पर नहीं बैठा। कोतवाल की कुर्सी पर हमेशा काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव विराजते हैं। लोगों का मानना है कि आने-जाने वालों पर बाबा विश्वनाथ खुद नजर रखते हैं। जिस कारण भैरव बाबा को वहाँ का कोतवाल भी कहा जाता है। बाबा की इतनी मान्यता है कि पुलिस भी बाबा की पूजा करने से पहले कोई काम शुरु नही करती।

पूरी काशी का लेखा-जोखा बाबा के पास

मान्यता है कि पूरी काशी नगरी का लेखा-जोखा बाबा के पास रहता है। बाबा विश्वनाथ ने पूरी काशी नगरी का लेखा-जोखा का जिम्मा काल भैरव बाबा को सौंप रखा है। यहाँ तक कि बाबा की इजाजत के बगैर कोई भी व्यक्ति शहर में प्रवेश नहीं कर सकता है। यहां पिछले 18 सालों से तैनात एक कॉन्स्टेबल का कहना है कि मैंने अभी तक किसी भी थानेदार को अपनी कुर्सी पर बैठते नहीं देखा। बगल में कुर्सी लगाकर ही प्रभारी निरीक्षक बैठता है। हालांकि, इस परंपरा की शुरुआत कब और किसने की, ये कोई नहीं जानता। लोगों का ऐसा मानना है कि यह परंपरा कई सालों पुरानी है।

बाबा की मान्यता

माना जाता है कि साल 1715 में बाजीराव पेशवा ने काल भैरव मंदिर बनवाया था। यहां आने वाला हर बड़ा प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी सबसे पहले बाबा के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेता है। बता दें कि काल भैरव मंदिर में हर दिन 4 बार आरती होती है। जिसमें रात के समय होने वाली आरती सबसे प्रमुख होती हैं। आरती से पहले बाबा को स्नान कराकर उनका श्रृंगार किया जाता है।

खास बात यह है कि आरती के समय पुजारी के अलावा मंदिर के अंदर किसी को जाने की इजाजत नहीं होती। बाबा की मूर्ती पर सरसों का तेल चढ़ता है। साथ ही एक अखंड दीप बाबा के पास हमेशा जलता रहता है।

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