UP : तांत्रिकों का गढ़ बनी कानपुर की धरती, गंगा दशहरा के दिन बिठूर में खुलेआम खेला जाता है तंत्र-मंत्र का खेल
गंगा दशहरा के अवसर पर बिठूर का हर घाट इन तांत्रिकों से भरा पूरा नजर आता है। कोई अपने बेटे के ऊपर से भूत की झाड़-फूंक करवा रहा था तो कोई अपनी मां के ऊपर से उसका भूत उतरवाने के लिए झाड़-फूंक करवा रहा था...
जनज्वार, कानपुर। उत्तर प्रदेश की औधोगिक नगरी कानपुर को क्रांतिकारियों की धरती कहा जाता है। लेकिन आज गंगा दशहरा के दिन बिठूर का नजारा एकदम अलग ही दिखा। गंगा दशहरा में लोग स्नान कर मां गंगा से परिवार की सुख शांति मांगते हैं। तो दूसरी तरफ इस अवसर पर बिठूर के ब्रह्मावर्त घाट, पत्थर घाट, सीता घाट पर तांत्रिकों का जमावड़ा भी लगता है।
बिठूर के सभी घाटों पर लोग तांत्रिकों से पूजा-पाठ करवा कर अपने परिवार पर भूत-प्रेत और मुसीबतों से छुटकारा पाने के लिए आते हैं। गंगा दशहरा के अवसर पर बिठूर का हर घाट इन तांत्रिकों से भरा पूरा नजर आता है। कोई अपने बेटे के ऊपर से भूत की झाड़-फूंक करवा रहा था तो कोई अपनी मां के ऊपर से उसका भूत उतरवाने के लिए झाड़-फूंक करवा रहा था।
गंगा दशहरा के दिन सबसे बड़ा अंधविश्वासी मेला बिठूर में ही देखने को मिलता है। इस दिन कानपुर शहर के लोग बिठूर में गंगा स्नान और पूजा-पाठ करने कम ही आते हैं लेकिन लेकिन आसपास के जिले जिनमें उन्नाव, जालौन, उरई, बांदा, फतेहपुर, कानपुर देहात, हमीरपुर आदि के हजारों-हजार लोग यहां आते हैं।
गंगा स्नान के साथ ही लोग अपने परिवार की बाधा-बला दूर कराने के लिए यहां तांत्रिकों से पूजा पाठ करवाते हैं। तांत्रिकों की पूजा-पाठ में क्रूरता की सारी हदें पार कर दी जाती हैं। कोई तांत्रिक किसी को डंडे से पीटता है तो कोई महिलाओं के बालों को नोचता है।
बिठूर के तमाम घाटों पर सुबह से लेकर शाम तक गंगा के घाटों पर यह सब कुछ प्रशासन और पुलिस की मौजूदगी में चलता रहता है, लेकिन मामला आस्था से जुड़ा होने के कारण कोई हस्तक्षेप नहीं करता। बताया जाता है कि यहां तांत्रिकों का जमघट कई सालों से लग रहा है जो लोगों की आस्था से भी जुड़ा है।