मोदी बने देश को सबसे ज्यादा कर्जदार बनाने वाले प्रधानमंत्री, वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में खुलासा
नवीनतम रिपोर्ट में केंद्र सरकार की कुल देनदारियां जून 2020 के अंत तक बढ़कर 101.3 लाख करोड़ तक पहुंच गई है। 2019 के अंत में सरकार का कुल कर्ज 88.18 लाख करोड़ था।
जनज्वार। केंद्र सरकार की कुल देनदारियां जून 2020 के अंत तक बढ़कर 101.3 लाख करोड़ रुपये हो गयी है। सार्वजनिक ऋण (Debt) पर सरकार की तरफ से जारी एक नवीनतम रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आयी है।
गौरतलब है कि सालभर पहले यानी पिछले साल जून 2019 के अंत में मोदी सरकार का कुल कर्ज 88.18 लाख करोड़ रुपये था। सार्वजनिक ऋण प्रबंधन ने शुक्रवार 18 सितंबर को अपनी एक त्रैमासिक रिपोर्ट जारी की है, जिसके अनुसार, जून 2020 के अंत में सरकार के कुल बकाए में सार्वजनिक ऋण का हिस्सा 91.1 प्रतिशत था।
बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक, सरकार के वित्त मंत्रालय (Finance Ministry Report) की एक रिपोर्ट में सामने आई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक जून 2020 के अंत तक सरकार की देनदारी बढ़कर 101.3 लाख करोड़ हो गई है। मार्च 2020 तक यह कर्ज 94.6 लाख करोड़ रुपए था, जो कोरोना के बाद से लगातार बढ़ता जा रहा है। जबकि पिछले साल जून 2019 में यह कर्ज 88.18 लाख करोड़ था।
अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के डेटाबेस के अनुसार, वर्तमान में यह सकल घरेलू उत्पादन का 43 प्रतिशत है। भारत फिलहाल कर्ज के बोझ के मामले में 170 देशों में 94वें स्थान पर है, लेकिन इस वर्ष अधिक कर्ज लेने के कारण यह नंबर और आगे खिसक सकता है।
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जनवरी 2019 में छपी रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार में भारत का कर्ज 50% बढ़कर 82 लाख करोड़ रुपये हो गया था। जब कांग्रेस के हाथों से सत्ता मोदी के हाथों में आई तब भारत पर कुल कर्ज 54,90,763 करोड़ था, जो मोदी सरकार के पांच साल के शासन के बाद बढ़कर 82,03,253 करोड़ रुपए हो गया। पर कर्ज लेने का सिलसिला मोदी सरकार का रूका नहीं और अब वह बढ़कर 101.3 लाख करोड़ रुपये हो गया है। ध्यान देने की बात यह है कि यह जानकारी किसी विदेशी एजेंसी या विरोधी पार्टी ने नहीं, बल्कि मोदी सरकार की मंत्री निर्मला सीतारमण के वित्त मंत्रालय ने देश को दी है।
भारत में बढ़ते कर्ज को लेकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर इला पटनायक का कहना है कि कोरोना संकट के कारण इस समय देश के साथ देश की जीडीपी के हालात भी बुरे हुए हैं। समय की मांग है कि हम सरकार को किसी समझौते के अंतर्गत चलना चाहिए। कोरोना के कारण क्योंकि लोगों के काम-धंधे बंद रहे थे, जिस कारण सरकार को राजस्व कम मिलेगा। दूसरी और बाजार को पैसा देना भी जरूरी है। अभी भले ही हमारे ऊपर कर्ज बढ़ेगा, लेकिन जैसे ही विकास की रफ्तार बढ़ेगी तो कर्ज में पहले जैसी स्थिरता आना शुरू हो जाएगी।