FMCG से जुड़े 5 उद्योगों में अवैध कारोबार से 16 लाख लोगों ने गंवाई नौकरी, कहां सोई रही मोदी सरकार
FICCI Report on FMCG : फिक्की की रिपोर्ट की मानें तो युवाओं में बड़े पैमाने पर व्याप्त बेरोजगारी के पीछे एफएमसीजी ( FMCG industry ) कंपनियों द्वारा जारी अवैध कारोबार काफी हद तक जिम्मेदार है।
FICCI Report on FMCG : भ्रष्टाचार और अवैध कारोबार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाली मोदी सरकार ( Modi Government ) सोई रही और एफएमसीजी ( FMCG industry ) से जुड़े उद्योगों ने 2019-2020 के दौरान सरकारी खजाने को लगा दिए 58,521 करोड़ रुपए का चूने। इतना ही नहीं, युवाओं में व्याप्त जिस ऐतिहासिक बेरोजगारी ( Unemployment ) की वजह से केंद्र सरकार विपक्ष के हमलों का सामना कर रही है, उसे बढ़ाने में भी इन उद्योगों ने अहम भूमिका निभाई।
फिक्की की रिपोर्ट ( FICCI report ) की मानें तो वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान एफएमसीजी इंडस्ट्री में गैर कानूनी कारोबार ( FMCG illegal trade ) की वजह से लगभग 16 लाख लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी। रोजमर्रा के उपभोग के सामान यानि एफएमसीजी उत्पाद ( FMCG products ) , तंबाकू उत्पाद ( Tobaco products), मोबाइल फोन ( Mobile ) और शराब ( Liquor products )सहित पांच प्रमुख उद्योगों में अवैध कारोबार की वजह से 2019-20 में कर के रूप में सरकारी खजाने को 58,521 करोड़ रुपए की चपत लगी। उद्योग मंडल फिक्की ने बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में कहा कि 2019-20 में इन उद्योगों में अवैध कारोबार का आकार 2.60 लाख करोड़ से थोड़ा अधिक था।
अवैध कारोबार में एफएमसीजी की हिस्सेदारी 75%
फिक्की की रिपोर्ट ( FiCCI report ) में कहा गया है कि पांच प्रमुख उद्योगों में हुए कुल अवैध कारोबार में एफएमसीजी उद्योग की हिस्सेदारी 75 फीसदी थी। सरकार को होने वाले कुल कर नुकसान में दो अत्यधिक विनियमित और उच्च कर वाले उद्योग तंबाकू उत्पाद एवं शराब हैं। सरकार को हुए कुल कर नुकसान में इन दोनों की करीब 49 फीसदी हिस्सेदारी है। पांच क्षेत्रों में अवैध व्यापार से सरकार को एफएमजीसी खाद्य वस्तुओं में 17,074 करोड़ के कर का नुकसान हुआ। शराब उद्योग में 15,262 करोड़ रुपए, तंबाकू उद्योग में 13,331 करोड़ रुपए और एफएमसीजी घरेलू एवं निजी उपयोग उद्योग में 9,995 करोड़ की चपत लगी। मोबाइल फोन उद्योग में 2,859 करोड़ के कर का नुकसान हुआ।
फिक्की ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पांच प्रमुख उद्योगों में अवैध कारोबार की वजह से न केवल सरकारी खजाने को चूना लगाया बल्कि 16 लाख लोगों को अपनी नौकरी भी गंवानी पड़ी। इस दौरान एफएमसीजी खाद्य वस्तुओं में सबसे अधिक 7.94 लाख नौकरियां गईं। इसके बाद तंबाकू उद्योग में 3.7 लाख, एफएमसीजी घरेलू एवं निजी उपयोग उद्योग में 2.98 लाख और शराब उद्योग में 97,000 नौकरियां गईं। वहीं मोबाइल फोन उद्योग में 35,000 लोगों की नौकरी गई।
कैसे और क्यों हुआ नुकसान
फिक्की की रिपोर्ट के मुताबिक एफएमसीजी कंपनियां गलत घोषणाएं करती हैं। जांच एजेंसियां द्वारा कम मूल्यांकन करना, वस्तुओं के अंतिम रूप से उपयोग के मामले में दुरुपयोग और अन्य रूप में तस्करी पर रोक न लगना इसके लिए जिम्मेदार है। भ्रामक जानकारी वाले वस्तुओं की जब्ती 2016 में 1,187 करोड़ रुपए जबकि कम मूल्यांकन वाले जिंसों की जब्ती 254 करोड़ रुपए की रही। अंतिम उपभोक्ता के तौर पर दुरुपयोग से संबंधित जब्त वस्तुओं का मूल्य 770 करोड़ रुपए का रहा। जबकि दूसरे तरीकों से दुरुपयोग वाले जब्त जिंसों का मूल्य 2,780 करोड़ रुपए रहा। यह 2015 के 953 करोड़ रुपए के मुकाबले 191 प्रतिशत अधिक है।