Financial Crisis : आर्थिक संकट के मुहाने पर अमेरिका, भारत में अभी से मचा हाहाकार
Financial Crisis : लगभग चार माह से चल रही यूक्रेन-रूस की जंग और कोरोना की मार ने अमेरिका समेत वैश्विक अर्थव्यवस्था को गंभीर आर्थिक संकट के मुहाने पर ला खड़ा किया है। चिंता की बात यह है कि भारत पर इसका असर अभी से दिखाई देने लगा है।
Financial Crisis : सुपर पावर अमेरिका की अर्थव्यवस्था ( American Economy ) इस कदर हावी है कि वहां अगर पत्ता भी हिल जाए तो दुनियाभर में तूफान मच जाता है। इसकी चर्चा करना इसलिए जरूरी है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर लेहमैन ब्रदर्स ( lehman brothers ) से बड़ा संकट का खतरा मंडरा रहा है। यानि आगामी बवंडर की आहट के संकेत अभी से मिलने लगे हैं। भारत ( India) में तो अभी से इस बात को लेकर हाहाकार मचना शुरू हो गया है।
अमेरिका में महंगाई 40 साल के शीर्ष पर
दरअसल, यूएस ( US ) में महंगाई पिछले 40 साल के शीर्ष पर हैं तो वहां के स्टॉक एक्सचेंज गिरावट के मामले में लगभग 14 साल पुरानी कहानी दोहराते नजर आ रहे हैं। उस समय बैंकिंग फर्म लेहमैन ब्रदर्स के दिवालिया ( Lehman Brothers Bankruptcy ) हो जाने से बिगड़े और अमेरिका के अलावा भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजार रेंगते नजर आए थे।
सप्लाई चेन टूटने के कगार पर
इस बार पिछले चार माह से रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध और कोरोना महामारी की मार ने अमेरिका ( America ) समेत ग्लोबल इकोनॉमी ( Global Economy ) की मुसीबत बढ़ा दी है। दुनिया भर में सप्लाई चेन टूटने के कगार पर है, जिसके चलते महंगाई की रफ्तार भी तेज होती जा रही है। महंगाई की यह स्पीड जितनी तेजी से बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से अर्थव्यवस्था में भी मंदी दिखने लगी है। शेयर बाजार लुढ़क रहे हैं।
एस एंड पी और नैस्डैक ने दर्ज की रिकॉर्ड गिरावट
अमेरिकी स्टॉक मार्केट के सूचकांक एस एंड पी 500 ने अपने जनवरी के उच्चतम स्तर के बाद से 20 फीसदी से अधिक का नुकसान झेल लिया है। एक अन्य सूचकांक-नैस्डैक पहले से ही बियर मार्केट में शामिल है। यह इस साल 25 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है। अमेरिकी बियर मार्केट से देश के स्टॉक एक्सचेंज की माली हालत के संकेत मिलने लगे हैं। कहने का मतलब ये है कि अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज गंभीर संकट के नजारे पेश कर रहे हैं।
14 साल पहले की आई याद
अमेरिकी शेयर बाजार के हालात को देखकर निवेशकों को 2008 वाली मंदी की याद आ रही है। थॉर्नबर्ग इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के पोर्टफोलियो मैनेजर क्रिश्चियन हॉफमैन मंदी की ओर इशारा करते हुए कहा कि लिक्विडिटी इतनी खराब हो गई है कि हमें 2008 के ब्लैक ट्रेडिंग डे याद आ रहे हैं। हॉफमैन के मुताबिक बाजार में लिक्विडिटी लेहमैन संकट की तुलना में बदतर है। यह संकट आगे भी बढ़ सकता है।
रसातल में चले गए थे भारतीय शेयर बाजार
जहां तक अमेरिकी संकट पर भारत पर असर की बात है तो ये बता दें कि 14 साल पहले अमेरिका के बैंकिंग फर्म लेहमैन ब्रदर्स जब दिवालिया हुई तब भारतीय शेयर बाजार रसातल में चले गए थे। 2008 के शुरुआती महीनों में जो सेंसेक्स 20 हजार अंक के उच्चतम स्तर पर था वो एक साल के भीतर 8 हजार अंक के स्तर पर आ गिरा। 14 साल पहले सेंसेक्स करीब 12000 अंक या 55 फीसदी से ज्यादा टूट गया था।
रूस-यूक्रेन युद्ध और कोरोना महामारी की वजह से अमेरिका की शेयर बाजार की चाल बिगड़ जाने से भारत में भी हाहाकार मचा हुआ है। भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक- सेंसेक्स अपने ऑल टाइम हाई 62,245 अंक से करीब 10 हजार अंक नीचे आ चुका है। 19 अक्टूबर 2021 को सेंसेक्स ने अपने ऑल टाइम हाई लेवल को टच किया था। अब सेंसेक्स 53 हजार अंक के नीचे है। यह 52 सप्ताह के निचले स्तर के करीब पहुंचने वाला है। 18 जून 2021 को सेंसेक्स 51,601 अंक के लो लेवल पर आया था।
ब्याज दर में बढ़ोतरी का भी हो सकता है नुकसान
Financial Crisis : नवंबर 1994 में ब्याज दर में इतनी बढ़ोतरी की गई थी। अगर ऐसा होता है तो भारतीय शेयर बाजार ( Indian Stock Exchange ) से लगातार निकल रहे विदेशी निवेशकों के लिए यूएस मार्केट में एक नया मौका बनेगा और वह बिकवाली बढ़ा सकते हैं। इससे भारतीय शेयर बाजार में और गिरावट आएगी। यही वजह है कि आगामी संकट से निपटने के लिए भारत समेत दुनियाभर में सेंट्रल बैंक अपने स्तर पर तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। इसी के तहत आरबीआई ने भी एक माह में दो बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। बावजूद इसके भारतीय शेयर बाजार को बूस्ट नहीं मिल सका है।
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