हमारा देश दवाओं समेत इन 5 उत्पादों के लिए चीन पर है लगभग पूरी तरह निर्भर
गलवान घाटी झड़प के बाद चीन से कारोबार खत्म करने की मांग उठ रही है, लेकिन कुछ ऐसे उत्पाद हैं जिसके लिए चीन पर भारत बहुत अधिक निर्भर है...
जनज्वार। चीन द्वारा धोखे से 15 जून को उत्तरी लद्ददाख के गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिकों को शहीद किए जाने के बाद भारतीय जनमानस में व्यापक गुस्सा है। लोग चीनी वस्तुओं के आयात पर रोक की मांग कर रहे हैं और उसका बहिष्कार कर रहे हैं। जन दबाव व विभिन्न संगठनों की मांग के बाद भारत सरकार ने ऐसे कुछ कदम उठाए भी हैं, लेकिन चीन पर निर्भरता की वास्तविक तसवीर हमें यह बताती है कि 130 करोड़ के अपने देश में विभिन्न स्तरों पर उत्पादकता को बढाना कितना आवश्यक है। जैसे ट्राइ ने यह लक्ष्य रखा है कि 2022 तक टेलीकाॅम उपकरणों का निर्यात पूरी तरह रोक ली जाए और इस सेक्टर में आत्मनिर्भर बन जाया जाए।
भारत 81 प्रतिशत अपने एंटीबायोटिक आयात के लिए चीन पर निर्भर है। भारत वहां से दवाओं के कच्चे माल के कुल आयात का 75 प्रतिशत हिस्सा मंगाता है। 73 प्रतिशत टेलीकाॅम उपकरण चीन से मंगाये जाते हैं। इसके साथ 82 प्रतिशत सेमीकंडक्टर डिवाइस चीन से आयात किए जाते हैं। हमारे देश में उपयोग में आने वाले 75 प्रतिशत पाॅवर प्लांट उपकरण चीन से मंगाए जाते हैं। ये आंकड़े ब्रूकिंग्स के अनंत कृष्णन के हैं।
चीनी पाॅवर प्लांट उपकरण के आयात पर रोक के बारे में हाल में वेदांता समूह के मालिक अनिल अग्रवाल ने भी ट्वीट किया था और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकारी उपक्रम भेल को अधिक स्वायत्ता बनाने या उसके निजीकरण का सुझाव दिया था।
काउंटर प्वाइंट रिसर्च के अनुसार, भारत में कुल फोन मार्केट में 68 प्रतिशत पर चीन का कब्जा है, शेष 32 प्रतिशत फोन अन्य हैं। शाओमी का 27 प्रतिशत, वीवो का 21 प्रतिशत बाजार पर कब्जा है। ओप्पो का 12 प्रतिशत व रियल मी का आठ प्रतिशत बाजार पर कब्जा है।
आंकड़ों के अनुसार, 2014 तक भारत में चीन का निवेश 1.6 बिलियन डाॅलर था, जो 2017 में बढकर आठ बिलियन डाॅलर हो गया।
एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत व चीन के बीच कारोबार बंद होता है तो चीन को आयात में एक प्रतिशत व निर्यात में तीन प्रतिशत से भी कम का नुकसान हो सकता है, जबकि भारत को निर्यात में पांच प्रतिशत व आयात में 14 प्रतिशत का नुकसान हो सकता है।
भारत ने चीन के खिलाफ उठाए हैं कई सख्त कदम
गलवान घाटी झड़प के बाद भारत ने चीन के खिलाफ कुछ सख्ती भरे कदम उठाए भी हैं। 12 जून को चीन से आयात होने वाले टायर पर रोक लगाया गया है और कहा गया है कि डीजीएफटी का जिसके पास लाइसेंस होगा, वही उसका आयात कर सकता है। इसके अलावा कई दूसरे निर्णय वित्त मंत्रालय के अधीन विचाराधीन हैं।
इससे पहले पिछले साल चीन से दूध व दूध उत्पादों के आयात पर पर रोक लगा दी गयी थी। चीन से अगरबत्ती के आयात पर रोक लगायी गयी थी। अगरबत्ती के बांस में आयात शुल्क भी बढाया गया था।
केंद्र सरकार ने पिछले महीने 17 मई को एफडीआइ नियमों को कड़ा किया और उसमें यह प्रावधान जोड़ दिया कि जिन देशों की सीमाएं लगती है वे सिर्फ सरकार के जरिए निवेश कर सकती हैं।
वहीं, आप्टिकल फाइवर पर सेफ गार्ड ड्यूटी लगाने की बात भी की जा रही है। चीन से आने वाले स्टेनलेस स्टील उत्पादों की जांच की जाएगी। यह शिकायत आम है कि चीन से आयात होने वाले उत्पाद की गुणवत्ता खराब होती है। चीन से आयात होने वाले 47 अरब डाॅलर के 150 उत्पादों की गुणवत्ता खराब है, उनको लेकर सरकार ने सख्त नियम बनाने का फैसला किया है। आयात होने वाले प्रेशर कुकर साइकिल की गुणवत्ता भी जांचने का फैसला लिया गया है।
भारत की ओर से उन 89 उत्पादों पर आयात शुल्क बढाया गया है, जो गैर जरूरी श्रेणी के वस्तु हैं। उधर, महाराष्ट्र सरकार ने मैग्निेटिक महाराष्ट्र 2.0 में चीनी निवेश को होल्ड पर रखने का निर्णय केंद्र से बातचीत के बाद लिया है।