20 करोड़ और लोगों को गरीबी रेखा के नीचे धकेल सकती है भारत की बदहाल अर्थव्यवस्था

भारत में अभी 35 करोड़ लोग गरीबी की रेखा के नीचे गुजर बसर करते हैं, अगर कोरोना के कारण बरबाद हुए 20 करोड़ और लोगों को मिला दिया जाए तो देश की 45 प्रतिशत से भी ज्यादा आबादी के बदहाली के कगार पर पहुंचने के आसार हैं.....

Update: 2020-09-08 15:34 GMT

(भारत में 75 फिसदी आबादी की आमदनी घटी)

वरिष्ठ पत्रकार सौमित्र रॉय की टिप्पणी

नई दिल्ली। ऐसा लगता है कि भारत की अर्थव्यवस्था इस साल मंदी से नहीं उबर पाएगी। वैश्विक क्रेडिट एजेंसी फिच ने मंगलवार को भारतीय अर्थव्यवस्था में माइनस 10 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ने उम्मीद जताई है। इससे पहले फिच ने भारत की जीडीपी में माइनस 5 प्रतिशत की बढ़त की संभावना जताई थी।

एजेंसी ने यह भी जताया है कि इस साल की आखिरी तिमाही, यानी अक्टूबर से दिसंबर के बीच इकोनॉमी में कुछ सुधार तो आएगा, लेकिन उम्मीद से कम। हालांकि इसी अवधि में चीन की अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेज यानी 2.7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ सकती है। इसका मतलब है कि चीन की अर्थव्यवस्था कोरोना से पहले के दौर में आ चुकी है, जबकि भारत को इसमें लंबा वक्त लगने वाला है।


इससे पहले, आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अपने लिंक्ड इन एकाउंट पर एक पोस्ट में कहा था कि इकोनॉमी को कोरोना के झटके से उबारने में भारत के राजनेताओं और नौकरशाहों का रवैया दुर्भाग्यजनक है।

राजन ने एक बार फिर कहा कि जीडीपी को ऊपर उठाने के लिए सरकार को खर्च करना होगा, जो नहीं हो रहा है। सरकार अपनी संपत्तियों को बचाने में जुटी है, जो भारत के लोगों, खासकर गरीबों के लिए खतरनाक है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय सैंपल सर्वे संगठन ने पिछले दिनों भारत की जीडीपी में अप्रैल से जून की तिमाही के दौरान करीब 24 प्रतिशत की गिरावट का ऐलान किया था।


बाद में भारत के पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट प्रोफेसर प्रणब सेन ने दावा किया था कि असंगठित क्षेत्र को मिलाने पर देश की आर्थिक गिरावट 32 प्रतिशत हो जाएगी और सालभर का आंकड़ा देखें तो इकोनॉमी में माइनस 14 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है।

कल न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी आशंका जताई थी कि कोरोना के कारण भारत की बदहाल अर्थव्यवस्था 20 करोड़ और लोगों को गरीबी की रेखा के नीचे धकेल सकती है।


भारत में अभी 35 करोड़ लोग गरीबी की रेखा के नीचे गुजर बसर करते हैं। अगर कोरोना के कारण बरबाद हुए 20 करोड़ और लोगों को मिला दिया जाए तो देश की 45 प्रतिशत से भी ज्यादा आबादी के बदहाली के कगार पर पहुंचने के आसार हैं।


इस साल अच्छी बारिश हो रही है। ऐसे में कारोबारी जगत का अनुमान है कि आयात बढ़ने, गाड़ियों की खरीद और पूंजीगत सामानों के उत्पादन में इजाफे से अर्थव्यवस्था में कुछ सुधार आएगा।

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