रांची में ओरियंट क्राफ्ट नाम की दो 2 कपड़ा फैक्ट्री बंद, 5000 कामगार हुए बेरोजगार

ओरियंट कपड़ा मिल की स्थापना रघुवर दास के शासन काल में मोमेंटम झारखंड के तहत हुई थी। मोमेंटम झारखंड एक वैश्विक निवेश आयोजन था...

Update: 2020-08-20 03:43 GMT

जनज्वार। कोरोना संकट के दौर में झारखंड की सबसे बड़ी कपड़ा मिल ओरियंट क्राफ्ट की रांची स्थित दो यूनिटें बंद हो गईं। रांची के खेलगांव व इरबा स्थित दो यूनिटों में करीब साढे तीन हजार लोग रोजगार पाते थे, लेकिन अब इसके बंद हो जाने से वे सब बेरोजगार हो गए हैं। इससे उनके सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है।

एक स्थानीय अखबार में छपी खबर के अनुसार, अगर ये यूनिटें दोबारा खुलती भी हैं तो नए सिरे से कर्मचारियों की बहाली होगी। जब फिर से कर्मचारियों की नियुक्ति होगी तो उनकी संख्या आधी होगी। और, इस बात की कोई गारंटी नहीं होगी कि पुराने लोगों को फिर मौका मिलेगा ही।

कंपनी से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा तय सब्सिडी एक साल से नहीं दिया जाना कंपनी के बंद करने की सबसे बड़ी वजह है। कोरोना संकट में लाॅकडाउन में मांग में कमी आना भी एक बड़ी वजह है जिससे उसे अपने आपरेशंस को जारी रखने में दिक्कत हो रही थी।

सूत्रों का कहना है कि कंपनी का कच्चा माल व मशीनरी दूसरी यूनिटों में भेज दिया गया है। हालांकि कंपनी के चेयरमैन सुधीर ढींगरा इससे इनकार करते हैं। 

2400 करोड़ का ओरियंट में था निवेश

ओरियंट कपड़ा मिल में 2400 करोड़ रुपये का निवेश था। रघुवर दास के शासनकाल में इस कंपनी की स्थापना हुई थे। रघुवर दास द्वारा 2017 में किए गए बहुप्रचारिक मोमेंटंम झारखंड के बाद कंपनी की स्थापना हुई थी। इसकी दो यूनिटें लगी थीं। यहां तैयार होने वाले कपड़े कई दूसरे देशों में भेजे जाते थे। अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा व कई यूरोपीय देशों में यहां के कपड़े एक्सपोर्ट होते थे। यहां शर्ट, जींस, सूट आदि विभिन्न प्रकार के कपड़े तैयार होते थे।

पर, वैश्विक कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया में मांग गिरी, जिससे कपंनी की हालत खराब हो गई। लाॅकडाउन में कर्मचारियों को कंपनी आने से मना कर दिया गया है। कंपनी के अधिकारी खुल कर इस मामले में बोलने से इनकार करते हैं। जून तक कंपनी में उत्पादन हुआ और जुलाई से काम बंद हो गया।

झारखंड चेंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष कुणाल आजमानी ने इस मामले में कहा है कि एक तरफ लोग कोरोना महामारी से परेशान हैं और नए उद्योग नहीं लग पा रहे हैं, वहीं जो लगे भी हैं वे तालाबंदी के शिकार हो रहे हैं। उन्होंने सरकार से कंपनी खुलवाने की मांग की है। वहीं, रांची के सांसद संजय सेठ ने कहा है कि हेमंत सरकार डिरेल्ड हो गई है।

नौकरी से निकाले जाने के बाद कर्मचारियों ने विरोध भी जताया था। वहीं, मैनेजमेंट लेवल के कर्मचारियों को दिल्ली व दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है।

42 साल पुरारी कंपनी है ओरियंट क्राफ्ट

ओरियंट क्राफ्ट लिमिटेड 42 साल पुरानी कंपनी है। 1978 में गठित हुई इस कंपनी के देश भर में कई यूनिट हैं। साहिल ढींगरा इसके होलटाइम डायरेक्टर हैं जबकि सुधीर ढींगरा मैनेजिंग डायरेक्टर हैं।

कंपनी अपनी वेबसाइट पर खुद को भारत का नंबर वन गारमेंट कंपनी होने का दावा करती है। कंपनी के दावे के अनुसार, उसके पास विश्वस्तरीय मैन्युफैक्चरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर है। कंपनी की 21 यूनिटें हैं और हर दिन वह दो लाख कपड़े तैयार करता है। कंपनी का वार्षिक टर्नओवर 250 मिलियन यूएस डाॅलर है।

दो और कपड़ा मिलों में हुई छंटनी, आधे कर्मियों की गई नौकरी

रांची की दो और कपड़ा मिलों ने अपने आधे कर्मचारियों की छंटनी कर दी है। नामकुम के पास रामपुर स्थित अरविंद मिल में दो हजार कर्मचारी काम करते थे। उसमें अभी मात्र 500 लोग काम करते हैं। इतने ही लोगों को काम पर आने को कहा गया है। वहीं, ओरमांझी स्थित किशोर एक्सपोर्ट्स में 1500 कर्मचारी काम करते थे। अभी उनमें मात्र 650 लोग काम कर रहे हैं। बाकी सबको हटा दिया गया।

यानी इन दो कंपनियों में 2350 कर्मचारी बेरोजागार हो गए हैं। यानी रांची की कपड़ा मिलों पर संकट गहराने से पांच हजार से भी अधिक लोग बेरोजगार हो गए हैं।

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