विवाद के बीच चीनी कंपनी GWM ने कर लिया एमओयू साइन, हमारे देश में करेगी 7600 करोड़ रुपये का निवेश
गलवान घाटी में 20 सैनिकों के शहीद होने के बाद देश भर में लोग चीनी सामान का विरोध कर रहे हैं। लोग उसे तोड़ कर, जला कर अपना गुस्सा प्रकट कर रहे हैं, उधर महाराष्ट्र सरकार ने एक चीनी मोटर कंपनी से करार किया है...
जनज्वार। एक ओर चीन द्वारा लद्दाख के गलवान घाटी में 15 जून को की गयी घृणित कार्रवाई को लेकर भारत के लोगों में गुस्सा है, वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने चीन की ग्रेट वाॅल मोटर कपंनी के साथ एक बड़ा करार किया है। ग्रेट वॉल मोटर ने महाराष्ट्र सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन, एमओयू पर हस्ताक्षर करके भारतीय बाजार में अपने प्रवेश की दिशा में एक और कदम बढाने का एलान किया। ग्रेट वाॅल मोटर ने मंगलवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे एवं भारत में चीन के राजदूत सुन वेदोंग की उपस्थिति में एमओयू पर हस्ताक्षर किए।
ग्रेट वॉल मोटर ने एलान किया है कि वह भारत में एक अरब डॉलर यानी करीब सात हजार छह सौ करोड़ रुपये का चरणबद्ध तरीके से निवेश करेगी। इस कंपनी ने जनवरी में पुणे के पास तालेगांव में जनरल मोटर्स के प्लांट का अधिग्रहण किया था। दरअसल, इस कंपनी ने इस साल के आरंभ में ही दिल्ली आटो एक्सपो में भारत में अपने प्रवेश का एलान किया।
चीनी कंपनी की इस परियोजना से तीन हजार से अधिक नौकरियां तैयार होंगी। कंपनी ने कहा है कि तालेगांव प्लांट आधुनिक तकनीक से युक्त होगी और बेंगलुरु में एक रिसर्च एंड डेवलपमेंट केंद्र होगा।
ग्रेट वाॅल मोटर कंपनी की भारतीय सहायक कंपनी के प्रबंध निदेशक पार्कर शी ने इस समझौते के लिए महाराष्ट्र सरकार को धन्यवाद दिया है। उन्होंने कहा है कि हम भारत में एक अरब अमेरिकी डाॅलर का चरणबद्ध रूप से निवेश के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिससे विश्व स्तर के प्रीमियम उत्पादों, रिसर्च एंड डेलवपमेंट केंद्र का निर्माण, आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण और चरणबद्ध रूप से तीन हजार लोगों को रोजगार देने के लिए तय की गयी है। यह कंपनी एसयूवी बनाने के लिए जानी जाती है और भारत में ऐसी कारों की मांग पैदा करना चाहती है।
हालांकि ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनी की राह आसान नहीं होगी और भारत में राष्ट्रवादी भावना के संचार व प्रधानमंत्री के द्वारा दिए गए नारे वोकल फाॅर लोकल की अपील के बाद यह मुद्दा बना हुआ है। ऐसे में चीनी कंपनी जो यहां संचालन स्थापित करना चाहती है, उसे निर्णय में देरी का सामना करना पड़ सकता है। यह करार ऐसे समय में हुआ है जब चीनी सेना के धोखे से किए हमले में गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए हैं और लोगों में चीन को लेकर काफी गुस्सा है।