गुजरात में जाली नोटों का सबसे बड़ा जाल, मोदी की नोटबंदी उनके ही राज्य में नहीं आई काम

नोटबंदी व नए नोट के चलन के बाद जाली नोटों को जब्त किए जाने की संख्या बढी ही है। भारत में सबसे अधिक नकली नोट गुजरात से जब्त किया जाता है। जब्त किए गए जाली नोटों में 2000 के नोटों की संख्या सबसे अधिक है।

Update: 2020-09-16 13:38 GMT

जनज्वार। नकली नोट हमेशा से भारत के लिए बड़ी चिंता की वजह रहे हैं। नकली नोट को भारत की अर्थव्यवस्था के साथ ही आंतरिक व बाह्य दोनों तरह की सुरक्षा के लिए खतरे के साथ भ्रष्टाचार की भी वजह माना जाता है। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में नकली नोट पर लगाम लगाने के लिए पहले से चलन में रहे पुराने नोटों को अमान्य घोषित कर नए नोटों को चलन में लाया। उसके बावजूद नकली नोटों का कारोबार भारत में थम नहीं रहा, बल्कि बढ ही रहा है।

संसद में एक सवाल के जवाब में गृह राज्य मंत्री जी कृष्णा रेड्डी ने बताया है कि भारत में सबसे अधिक जाली नोट गुजरात में पकड़े गए हैं और उसके बाद दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल है। मंत्री के जवाब के अनुसार, वर्ष 2019 में 2000 रुपये के 14, 494 नकली नोट गुजरात में पकड़े गए। वहीं, 500 के 5, 558 नोट पकड़े गए। पकड़े गए 2000 के नोटों का मूल्य दो करोड़ 89 लाख 88 हजार रुपये होता है। जबकि पकड़े गए 500 के नकली नोटों का मूल्य 27 लाख 79 हजार रुपये होता है। गुजरात में जब्त किए गए दोनों प्रकार के नकली नोटों का मूल्य तीन करोड़ 17 लाख 67 हजार होता है।

मंत्री के जवाब के अनुसार, गुजरात में साल 2016 से 2019 के बीच 2000 रुपये के 11.4 करोड़ रुपये मूल्य के नकली नोट जब्त किए गए, जबकि इसी अवधि में 500 रुपये 74.38 लाख रुपये मूल्य के नकली नोट जब्त किए गए। यानी चार सालों में यह राशि मोटे तौर पर 12 करोड़ के आसपास होती है, जिसका औसत तीन करोड़ से कुछ कम आएगा। 2019 में पकड़े गए नकली नोट उस औसत से कुछ अधिक मूल्य के ही हैं। भारत के सीमाई राज्यों में सबसे अधिक जाली नोट गुजरात में ही जब्त किए जाते हैं।

अब बात पश्चिम बंगाल की। मंत्री जी कृष्ण रेड्डी द्वारा दिए गए जवाब के अनुसार, पश्चिम बंगाल में 2016 से 2019 के बीच दो हजार रुपये के 9.4 करोड़ रुपये मूल्य के जाली नोट जब्त किए गए। वहीं, 500 रुपये के 46 लाख रुपये मूल्य के जाली नोट जब्त किए गए। यानी यह संख्या मोटे तौर पर 10 करोड़ रुपये के आसपास होती है। पश्चिम बंगाल भी एक सीमाई राज्य है जो बांग्लादेश, नेपाल व भूटान से सटा हुआ है।

सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि नकली नोट भारत की वित्तीय स्थिरता को उलटा प्रभाव डालता है और उसे नुकसान पहुंचाता है।

बढता ही गया नकली नोटों का कारोबार

2016 के आखिर में की गई नोटबंदी के बाद नकली नोटों का कारोबार थमा नहीं। सरकार के आंकड़े इसके बढने का ही संकेत देते हैं। 2018 में जहां दो हजार के 27, 022 नकली नोट पकड़े गए थे, वहीं 2019 में यह संख्या बढ कर 38, 151 हो गई। वहीं, 500 के नकली नोट 2018 में 8,478 जब्त किए गए थे, जबकि 2019 में उसकी संख्या बढकर 8,478 हो गई। ये आंकड़े देश के सभी सीमाई राज्यों के मिला कर हैं। मालूम हो कि भारत एवं बांग्लादेश के बीच जाली नोटों के स्मलिंग पर रोक को लेकर संधि भी है। इसे रोकने के लिए आधुनिक सर्विलांस तकनीक का प्रयोग करने व अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा बढाने की भी बात कही गई है।

हाल के महीनो में बाजार में 2000 के नोट लगभग नहीं के बराबर दिख रहे हैं। हालांकि सरकार की ओर से या रिजर्व बैंक की ओर से इसके संबंध में कोई अधिकृत बयान नहीं आया है, लेकिन लोगों के बीच ऐसी चर्चा होती रही है कि 2000 के नकली नोटों के चलन के खतरे को कम करने को लेकर ऐसी स्थिति बनी है।


मोदी की नोटबंदी का मनमोहन व राजन ने किया था विरोध

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान आठ नवंबर 2016 को सभी प्रकार के पुराने नोटों को बंद करने का ऐतिहासिक ऐलान किया था। उस समय उन्होंने कहा था कि नकली नोट हमारे देश की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा के लिए खतरा है, यह भ्रष्टाचार और हवाला की मुख्य वजह है। कुल मिला कर उनके कहने का तात्पर्य था कि उन पुराने नोटों को चलन से बाहर कर नए नोट लाने से देश में अर्थव्यवस्था से लेकर सुरक्षा व भ्रष्टाचार तक के मोर्चे पर बहुत बड़ा बदलाव आएगा और चीजें ठीक हो जाएंगी। उस समय नोटबंदी पर विरोधियों व कई अर्थशास्त्रियों ने सवाल उठाया था। पूर्व प्रधानमंत्री व अर्थशास्त्री डाॅ मनमोहन सिंह एवं आरबीआइ के पूर्व चीफ रघुराम राजन ने इसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह बताया था। डाॅ सिंह ने कहा था कि इससे देश की जीडीपी 2 प्रतिशत तक गिरेगी। यह भी कहा गया था कि मोदी का यह कदम तेज गति भागती भारतीय अर्थव्यवस्था की गाड़ी के टायर में गोली मारने जैसी घटना है। नोटबंदी की वजह से कतार में पुराने नोट से नए नोट बदलने के लिए या बैंकों से आवश्यक नकदी हासिल करने के लिए लगी लंबी लाइन में करीब 150 लोगों की विभिन्न कारणों से मौत भी हुई थी।

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