नीरव मोदी के भाई नेहल मोदी पर भी धोखाधड़ी का केस, अमेरिकी हीरा कंपनी को लगाया 19 करोड़ का चूना
नेहल मोदी ने अमेरिका के एक डायमंड होलसेल कंपनी से बड़े हीरा कारोबारी के रूप में भेंट की और फिर उससे बेचने के लिए दिखाने के नाम पर हीरा ले लिया और फिर न उसे वापस किया और न ही उसकी कीमत चुकायी...
जनज्वार। भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी की तरह उसके भाई नेहल मोदी के द्वारा की गयी धोखाधड़ी का एक मामला सामने आया है। नेहल मोदी ने एक अमेरिकी हीरा कंपनी को करोड़ों का चूना लगाया है जिसको लकर उसके खिलाफ अमेरिका में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है। नेहल मोदी पर आरोप लगा है कि उसने अमेरिका की मैनहट्टन की एक हीरा कंपनी के साथ मल्टी लेयर्ड स्कीम के जरिए 19 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की।
जिस कंपनी ने उस पर धोखाधड़ी का आरोप लगा कर मुकदमा दर्ज कराया है, वह हीरा की थोक कारोबार करती है। कंपनी ने उस पर 2.6 मिलियन डाॅलर से अधिक कीमत के हीरे लेने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में फर्स्ट डिग्री में बड़ी चोरी का आरोप लगाया है। अमेरिा में फर्स्ट डिग्री चोरी का मामला तब दर्ज होता है जब धोखाधड़ी की रकम एक मिलियन डाॅलर से अधिक हो।
इस संबंध में मैनहट्टन डिस्ट्रिक्ट अटाॅनी सीवाई वेंस जूनियर ने कहा है कि नेहल मोदी पर न्यूयाॅर्क के सुप्रीम कोर्ट में फर्स्ट डिग्री में बड़ी चोरी का आरोप लगा है। नेहल मोदी खिलाफ यह मामला दर्ज होने के बाद उसकी मुश्किलें बढ सकती हैं।
नेहल मोदी ने कैसे की धोखाधड़ी?
नेहल मोदी का परिचय एक बड़े कारोबारी के रूप में एलएलडी डायमंड्स के अध्यक्ष से कराया गया। इसके बाद उसने एक कंपनी के साथ मिल कर मार्च 2015 से अगस्त 2015 के बीच कंपनी के साथ मिलकर फेक प्रजेंटेशन करने क लिए 2.6 मिलियन डाॅलर के हीरे एलएलडी डायमंड्स यूएसए से उधार लिया।
दरअसल, मार्च 2015 में उसने एलएलडी कंपनी से कहा कि वह काॅस्टको होलसेल काॅर्पाेरेशन के साथ साझेदारी कर रहा है। नेहल ने न्यूयाॅर्क के एलएलडी कंपनी से कहा कि उसे कुछ हीरे चाहिए, जो वह काॅस्टको को बेचने के लिए दिखाना चाहता है। उसके झांसे में आकर एलएलडी ने नेहल को हीरा दे दिया। इसके बाद उसने एलएलडी को बताया कि काॅस्टको हीरों को खरीदने को तैयार हो गया है।
इसके बाद जब नेहल की गतिविधियों पर कंपनी को शक हुआ तो उसने उसे पैसे चुकाने के लिए या हीरा वापस करने को कहा तो टालमटोल करने लगा। दरअसल, तबतक वह अधिकरत हीरा बेच चुका था। आखिरकार कंपनी ने मैनट्टन डिस्ट्रिक्ट अटाॅनी जनरल के कार्यालय में केस दर्ज कराया।