#Budget2021 राजकोषीय घाटा ऐतिहासिक रूप से 9.5% पर जाएगा, हर सेक्टर में निजीकरण की 'सुपर सेल'

राजकोषीय घाटा के ऐतिहासिक रूप से जारी वित्त वर्ष में 9.5 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है। सरकार ने इस बजट में लगभग हर क्षेत्र में विनिवेश का प्रावधान करते हुए इसके माध्यम से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है...

Update: 2021-02-01 07:35 GMT

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जनज्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में देश का वित्तीय ढांचा बुरी तरह चरमराया है। इसके चरमराने में रही-सही कसर कोरोना संकट ने पूरी कर दी। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण के अनुसार, इस साल का राजकोषीय घाटना नौ प्रतिशत को पार करते हुए 9.5 प्रतिशत तक जा सकती है। वहीं, अगले साल का राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने के संभावना है।

2021-22 का राजकोषीय घाटा जीडीपी अनुपात में 9 प्रतिशत से ऊपर जा सकता है, यानी 200 लाख करोड़ की जीडीपी पर यह करीब 18 लाख करोड रुपये रह सकता है। अगले साल इसके 6.8 प्रतिशत रहने के संभावना है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि एक अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

वर्ष 2021-22 का बजट करीब 35 लाख करोड़ रुपये का है और इस साल का खर्च बजट लक्ष्य से चार लाख करोड़ अधिक है।

वित्तमंत्री ने अपने बजट भाषण में लगभग हर सेक्टर में निजीकरण का ऐलान किया है। आर्थिक मामलों के पत्रकार अंशुमान तिवारी के अनुसार, सरकार इस बार सीधे सरकारी संपत्तियों को बेचने के पक्ष में है, वह विनिवेश की लंबी प्रक्रिया से बचना चाहती है। इस साल सरकार ने 1.75 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य सरकारी संपत्तियों के निजीकरण का रखा है। सरकारी बैंकों के विनिवेश से एक लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य है।

आइडीबीआइ मे सरकार विनिवेश करेगी। वित्तमंत्री ने कहा है कि बीपीसीएल, एयर इंडिया, एससीआइ और काॅनकोर का विनिवेश वित्त वर्ष 2021-22 में पूरा किया जाएगा। एलआइसी का आइपीओ लाया जाएगा और बीमा क्षेत्र में एफडीआइ 49 प्रतिशत से बढा कर 74 प्रतिशत किया जाएगा।

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