बढ़ सकता है बैंकों का NPA, रिजर्व बैंक के गवर्नर ने फोकस्ड और सतर्क रहने की दी सलाह

कोरोना के कारण किए गए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट आती जा रही है। वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में मार्च 2021 तक बैंकों का NPA 12.5 फीसदी हो जाने की संभावना जताई गई है।

Update: 2020-07-26 05:36 GMT

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जनज्वार। कोरोना को लेेकर किए गए लंबे देशव्यापी लॉकडाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। इससे बैंकों के NPA के भी प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। रिजर्व बैंक की स्थिरता रिपोर्ट में बताया गया है कि बैंकों का NPA मार्च 2020 में 8.5 प्रतिशत था। इस रिपोर्ट में मार्च 2021 में NPA के 12.5 प्रतिशत पर जाने की संभावना जताई गई है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा 'देश की वित्तीय प्रणाली सुदृढ़ है, लेकिन बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को कोविड ​-19 महामारी और उसके बाद के दौर में जोखिम से अत्यधिक दूरी बनाने से बचना चाहिए।'

द्वि-वार्षिक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) में अपनी प्रस्तावना में दास ने आगे कहा 'बैंक और वित्तीय मध्यस्थों के के लिए अभी सर्वोच्च प्राथमिकता पूंजी के स्तर को बढ़ाने और लचीलेपन में सुधार लाने की होनी चाहिए। आरबीआई ने वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में आशंका जताई है कि बैंकों का एनपीए मार्च 2021 तक बढ़कर 12.5 फीसद हो सकता है।'

दास ने कहा, 'भारत में वित्तीय प्रणाली सुदृढ़ है। फिर भी, वर्तमान समय में वित्तीय मध्यस्थों के लिए पूंजी में निरंतर वृद्धि करने और अपने लचीलेपन में सुधार लाने की काफी अधिक आवश्यकता है। उनके लिए यह शीर्ष प्राथमिकता में आना चाहिए।' वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता व्यवसायों, निवेशकों और उपभोक्ताओं को विश्वास दिलाने के लिए एक आधार है। उन्होंने कहा, "हमें बेहद सतर्क और फोकस्ड रहना होगा।"

दास ने कहा कि सरकारों, केंद्रीय बैंकों और देश की अन्य सार्वजनिक एजेंसियों ने वित्तीय तनाव को कम करने व आत्मविश्वास पैदा करने के लिए समन्वित प्रयास किए हैं और इन उपायों ने वित्तीय प्रणाली और बाजारों को स्थिरता प्रदान की है। हालांकि, उन्होंने कहा कि वित्तीय प्रणाली और बाजारों के लिए दृष्टिकोण अत्यधिक अनिश्चित बना हुआ है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में मार्च 2021 तक बैंकों का एनपीए बढ़कर 12.5 फीसद हो जाने की आशंका जताई है। बैंकों का एनपीए मार्च 2020 में 8.5 फीसद पर था। कोरोना वायरस प्रकोप और इसके संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था के बुरी तरह प्रभावित होने का प्रभाव बैकों के एनपीए पर भी पड़ने की आशंका है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने कहा है कि माइक्रोइकोनॉमिक माहौल और बिगड़ता है, तो यह अनुपात 14.7 फीसद तक जा सकता है।

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