प्लेटफॉर्म टिकट 10 से 50 रुपये करने का मोदी सरकार का अजब तर्क, कोरोना से बचाने के लिए बढ़ाया दाम
रेलवे के प्रवक्ता के कहने का आशय है कि सस्ता टिकट रहने पर लोग अधिक संख्या में स्टेशन पर जुटेंगे जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा बढ जाएगा, इसलिए महंगे टिकट से वे अनावश्यक रूप से जुटेंगे ही नहीं...
जनज्वार। रेल मंत्रालय ने प्लेटफाॅर्म टिकट का दाम 10 रुपये से बढा कर 50 रुपये कर दिया है। इस फैसले को लेकर मोदी सरकार की ओर से एक अजीब तर्क दिया गया है। रेलवे के प्रवक्ता ने पत्रकार प्रशांत कनौजिया के एक ट्वीट के जवाब में कहा है कि ऐसा फैसला कोरोना संक्रमण की वजह से लिया गया है, ताकि लोग अनावश्यक रूप से रेलवे स्टेशनों पर जमा नहीं हों।
पुणे जंक्शन द्वारा प्लेटफार्म टिकट का मूल्य ₹50 रखने का उद्देश्य अनावश्यक रूप से स्टेशन पर आने वालों पर रोक लगाना है जिस से सोशल डिसटेनसिंग का पालन किया जा सके।
— Spokesperson Railways (@SpokespersonIR) August 17, 2020
रेलवे प्लेटफार्म टिकट की दरों को कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों से ही इसी प्रकार नियंत्रित करता आया है। https://t.co/X2HuPC5HUg
प्रशांत कनौजिया ने एक ट्वीट कर कहा था कि पांच रुपये का प्लेटफाॅर्म टिकट 50 रुपये का हो गया और कितना विकास चाहिए। इस पर रेलवे के प्रवक्ता ने जवाब दिया: पुणे जंक्शन द्वारा प्लेटफाॅर्म टिकट का मूल्य 50 रुपये रखने का उद्देश्य अनावश्यक रूप से स्टेशन पर आने वालों पर रोक लगाना है, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके। रेलवे प्लेटफार्म टिकट की दरों को कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों से ही इसी प्रकार नियंत्रित करता आया है।
दरअसल, प्रशांत कनौजिया ने अपने ट्वीट में पुणे स्टेशन के एक प्लेटफार्म टिकट की तसवीर लगायी थी, जिसमें दो घंटे तक प्लेटफाॅर्म पर रहने का 50 रुपये के शुल्का का उल्लेख था।
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस सरकार के समय रेलवे का टिकट तीन रुपये का था और अब 50 रुपये का हो गया। दिग्विजय सिंह ने 2011 के यूपीए सरकार के दौरान का एक प्लेटफार्म टिकट और मौजूदा मोदी सरकार के समय के एक रेलवे टिकट की तसवीर अपने ट्वीट में अटैच की। यानी नौ सालों में रेलवे के प्लेटफार्म टिकट की कीमत में करीब 17 गुणा की वृद्धि हुई है।
कॉंग्रेस राज में रेलवे प्लेटफ़ॉर्म टिकिट ₹३ का भाजपा राज ₹५० हुआ। जय सियाराम। pic.twitter.com/xjUEPoCv5H
— digvijaya singh (@digvijaya_28) August 18, 2020
इस मामले में सोशल मीडिया पर कई लोगों ने सरकार के कदम की निंदा की है।
कोरोना से बचाव को लेकर सत्तापक्ष से आते रहे हैं अजीब-अजीब तर्क
सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के नेता भी कोरोना से बचाव के अजीब-अजीब तर्क देते रहे हैं। राजस्थान के सवाई माधोपुर के भाजपा सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया ने कहा था कि शंख बजाने और शरीर में कीचड़ लगाने से कोरोना नजदीक नहीं आएगा।
वहीं, उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष बंशीधर भगत जब एक फिल्म के कार्यक्रम में बिना मास्क के पहुंचे और कांग्रेस ने इसकी शिकायत की तो इसे लेकर भी बंशीधर ने अजीब तर्क दिया था। इसी महीने उन्होंने कहा था कि शूटिंग का माहौल साफ सुथरा था, वहां जितने कलाकार थे, सबने कोरोना जांच करवा रखी थी। मैंने गले में क्लोरीन डाइआक्साइड 2 कार्ड पहन रखा था। यह ऐसा एंटी टाॅक्सिक कार्ड है, जिसके पहनने से कीटाणु और जीवाणु आसपास नहीं आते हैं।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल का पिछले महीने एक पापड़ कंपनी के पापड़ का प्रचार करते हुए वीडियो वायरल हुआ था। उन्होंने कहा था यह पापड़ खाने से शरीर में एंटी आक्सीडेंट बढ जाएगा और कोरोना से बचाव होगा। उनको इस वजह से काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था और उसके बाद वे इसी महीने की नौ तारीख को कोरोना संक्रमित पाए गए।
दूसरे मुद्दों पर भी बेतुके तर्क
2018 के मई महीने में राजस्थान के एक भाजपा विधायक हीरालाल नागर ने बयान दिया था किसान इसलिए आत्महत्या करते हैं उन्हें लगता है कि ऐसा कर लिए जाने से उनका सारा कर्ज माफ हो जाएगा। उन्होंने कहा था किसानों को ऐसा लगता है कि इससे उनके परिवार को मुआवजा मिलेगा। वहीं, उत्तरप्रदेश के भाजपा सांसद उपेंद्र रावत ने बाराबंकी में इसी साल मार्च में एक किसान की आत्महत्या पर बयान दिया था। उन्होनंे कहा कि इसमें प्रशासन की कोई गलती नहीं है, मृतक पर प्रेशर था, वह तो पकड़ कर राजस्व कर्मी ले गए थे। उन पर कर्ज बहुत ज्यादा था। इसलिए शायद वह समझ नहीं पाए और उनका दिमाग काम नहीं किया।