रघुराम राजन ने मोदी के आत्मनिर्भर भारत पर उठाया सवाल, पूछा क्या यह मेक इन इंडिया की रीब्रैंडिंग है?

मोदी की आर्थिक नीतियों पर रघुराम राजन ने एक बार फिर सवाल उठाया है और कहा है कि वैश्विक विनिर्माण व्यवस्था बनाने के लिए देश में सस्ता आयात जरूरी है, टैरिफ बढाना सही साबित नहीं हो सकता है...

Update: 2020-10-08 04:08 GMT

जनज्वार। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन अर्थव्यव्स्था से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर मोदी सरकार के फैसलों पर सवाल उठाते रहे हैं। रघुराम राजन ने अब उनके आत्मनिर्भर भारत अभियान पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि आत्मनिर्भर भारत अभियान कहीं संरक्षणवाद में नहीं बदल जाना चाहिए, जिसका हमें पहले अच्छा परिणाम नहीं मिला है।

रघुराम राजन ने कहा है कि पहले भी इस प्रकार की नीतियां अपनायी गईं जिसका फायदा नहीं मिला। उन्होंने यह भी पूछा है कि कहीं यह मेक इन इंडिया की ही रीब्रैंडिंग तो नहीं है। रघुराम राजन ने कहा कि आखिर सरकार के आत्मनिर्भर भारत का मतलब क्या है? अगर यह उत्पादन का परिवेश बनाने को लेकर है तो यह मेक इन इंडिया की रीब्रैंडिंग जैसा ही है।

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रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर राजन ने कहा कि पहले भी हमारे पास लाइसेंस परमिट राज व्यवस्था थी। संरक्षणवाद का वह तरीका समस्या पैदा करने वाला था। उन्होंने कहा कि उस व्यवस्था ने कुछ कंपनियों को समृद्ध किया, लेकिन कईयों की गरीबी का कारण बना। उन्होंने कहा कि अगर यह संरक्षणवाद को लेकर है, जैसा कि दुर्भाग्य से भारत ने हाल में टैरिफ बढाई है तो मेरी समझ में यह रास्ता चुनने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि हमने इसको लेकर पहले ही कोशिश कर ली है।

रघुवराम राजन ने आर्थिक शोध संस्थान आइसीआरआइइआर के वेबिनार को संबोधित करते हुए ये बतें कहीं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को वैश्विक स्तर की विनिर्माण व्यवस्था की जरूरत है और इसका मतलब है कि देश में विनिर्माण के लिए सस्ते आयात तक पहुंच हो। उन्होंने कहा कि यह मजबूत निर्यात के लिए आधार बनाता है।

पूर्व आरबीआइ प्रमुख ने काह कि हमें वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था का हिस्सा बनने के लिए बुनियादी ढांचा, लाॅजिस्टिक समर्थन आदि तैयार करने की जरूरत है, लेकिन हमें टैरिफ वार नहीं आरंभ करना चाहिए, क्योंकि इसका कोई लाभ नहीं है।

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