मोदी सरकारी की रीति-नीति पर रघुराम राजन बोले - जो मोदी की करे वाह, वो अच्छा, बाकी सब गलत

लोकतंत्र में डीमोनेटाइजेशन और तीन कृषि कानून जैसे सख्त फैसले तब काम करते हैं जब आप संवाद करते हैं। मोदी सरकार ने संवाद पर जोर नहीं दिया, इसलिए उसका राष्ट्रीय स्तर पर विरोध हुआ।

Update: 2022-08-03 04:27 GMT

मोदी सरकारी रीति-नीति पर रघुराम राजन बोले - जो मोदी की करे वाह, वो अच्छा, बाकी सब गलत

नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था ( Indian Economy ) की स्थिति पर रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ( Raghuram Rajan ) ने कहा है कि हमारी स्थिति दूसरों की तुलना में बेहतर है, लेकिन रोजगार ( Employment ) के अवसर नहीं पैदा करने से 10 सालों में दिक्कतें बढ़ सकती हैं। जिस दर से महंगाई ( Price hike ) बढ़ रही हैं उससे संकट गहरा सकता है। इसलिए हम आराम नहीं कर सकते हैं। हमें और बेहतर करने की जरूरत है। अपने में कुछ और सुधार करने होंगे। उन्होंने मोदी ( Modi government ) पर तंज कसते हुए कहा कि उनकी सरकार उन्हीं को सही मानती है जो केंद्र की नीतियों की वाहवाह करते हैं। मोदी सरकार ( Modi Government ) की नजर में बाकी सब गलत हैं।

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ( Former RBI governor Raghuram Rajan ) ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था संकट से गुजर रही है। कोविड-19 की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था काफी प्रभावित हुई हैं। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह की नौकरियों की जरूरत बढ़ी है, उसके लिए विकास अपर्याप्त रहा है। हमें लोगों के स्किल बढ़ाने और शिक्षा के क्षेत्र में और तेजी लानी होगी। 10 वर्षों में जो युवा ग्रैजुएट निकलेंगे, उनको स्किल बेस शिक्षा देनी होगी, तभी नौकरियां बढ़ सकेंगी।

लोकतंत्र में बड़े फैसले से पहले संवाद जरूरी

रघुराम राजन ( Raghuram Rajan ) ने कहा लोकतंत्र में संवाद बहुत जरूरी है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने व्यापक सलाह के बिना कई फैसले लिए. जैसे डीमोनेटाइजेशन ( Demonetization ) , तीन कृषि कानून ( Farm laws ) आदि, जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ी और उसका राष्ट्रीय स्तर पर विरोध भी हुआ। लोकतंत्र में यह तब काम करता है जब आप संवाद करते हैं। संवाद एक अंतहीन सिलसिला है, जो चलता रहना चाहिए।

रघुराम राजन ( Raghuram Rajan ) ने कहा कि आरबीआई ( RBI ) ने भारत में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने, भारत को पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों की समस्याओं से बचाने के लिए अच्छा काम किया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति प्रमुख मुद्दों में से एक रही है। मानसून सत्र में संसद में बहस के दौरान सरकार ने घोषणा की कि यह कोविड और यूक्रेन-रूस युद्ध जैसे बाहरी कारकों की वजह से है लेकिन ऐसा नहीं है। इसके लिए अन्य कारक भी जिम्मेदार हैं, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है। 

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