नौकरियां तो गईं ही, वेतनवृद्धि दर भी अबतक का न्यूनतम

विभिन्न क्षेत्रों में औसत सैलरी वृद्धि 3.6 फीसदी तक कम हो गई है, जो अब तक का सबसे कम है, 2019 में 90 फीसदी कंपनियों ने करीब 8.6 फीसदी की इंक्रीमेंट दिया था...

Update: 2020-08-25 17:26 GMT

प्रतीकात्मक तस्वीर

जनज्वार। यह साल नौकरियां जाने और जिनकी नौकरियां बच गईं, उनके वेतन-भत्तों में कटौती वाला वर्ष बनता जा रहा है।कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर किए गए लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हुए, व्यवसाय बंद हुए और लोगों की आर्थिक रूप से कमर टूट गई, वहीं इस साल लोगों की सैलरी में बढ़ोतरी भी नहीं हो सकी।

एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल मात्र 7 फीसदी कंपनियों ने अपनी टीमों को 10 प्रतिशत या अधिक की वेतन वृद्धि या हाईक दी।

सरकारी नौकरियों में तो महंगाई भत्ते पर साल में दो बार मिलने वाली बढोत्तरी को रोक ही दिया गया है, निजी कंपनियों में भी वेतनवृद्धि को या तो कम कर दिया गया है या रोक दिया गया है। छोटी ही नहीं, बल्कि वैसी बड़ी कंपनियों, जिनमें कर्मियों को पहले अच्छा-खासा वेतनवृद्धि का लाभ मिला करता था, वैसी कंपनियों द्वारा भी हाथ खींच लिया गया है।

धीमी अर्थव्यवस्था और कोविड-19 के प्रभाव के कारण सभी क्षेत्रों में औसत सैलरी वृद्धि 3.6 फीसदी तक कम हो गई है, जो अब तक सबसे कम है। 2019 में 90 फीसदी कंपनियों ने करीब 8.6 फीसदी की इंक्रीमेंट दिया था।

डेलॉयट 2020 वर्कफोर्स एंड इंक्रीमेंट ट्रेंड्स सर्वे (2020 Workforce and Increment Trends survey) के अनुसार इस सर्वे में लगभग 350 कंपनियों ने भाग लिया था। सर्वे को 7 सेक्टर्स और 25 सब- सेक्टर्स में किया गया था। 

लाइफ साइंस और ITeS उन क्षेत्रों में से थे, जिन्होंने अपने कर्मचारियों को उच्चतर वेतन दिया, लेकिन यहां भी औसत वेतन इंक्रीमेंट बहुत कम है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों (manufacturing and services sectors) की कंपनियां, जो लॉकडाउन से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, ने लगभग 2 फीसदी के न्यूनतम इंक्रीमेंट की घोषणा की।

2018 के बाद से कुल वेतन वृद्धि दर (salary increase rate) भी गिर गई है। उदाहरण के लिए सर्विस साइंस सेक्टर में वेतन वृद्धि 2018 में 8.3 फीसदी से घटकर 2020 में 6.7 फीसदी हो गई है। इसका एक कारण उच्च मुद्रास्फीति दर, जो 3.5-4 फीसदी है, बताया जाता है।

11 जुलाई को प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए एक सरकारी जॉब पोर्टल पर केवल 40 दिनों में 69 लाख से अधिक लोगों ने नौकरी के लिए रजिस्टर्ड किया लेकिन इनमें से नौकरी पाने वाले व्यक्तियों की संख्या पंजीकृत होने वालों का एक अंश मात्र है।

14 अगस्त से 21 अगस्त के बीच केवल एक हफ्ते में 7 लाख से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया। हालांकि सप्ताह के दौरान, जिन्हें नौकरी मिली, उनकी संख्या सिर्फ 691 थी।

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