Share Market Crash : जानिए कैसे एक ही दिन में निवेशकों के 5 लाख करोड़ रुपए डूबे? क्या लोगों के लिए पहेली बनता जा रहा है शेयर बाजार?
Share Market Crash : गिरावट के कारण बीएसई का मार्केट कैप 473 लाख करोड़ रुपए से घटकर 251 लाख करोड़ रुपए रह गया है। सुबह 11 बजकर 10 मिनट पर सेंसेक्स 1020 अंक यानी 1.88 फीसदी तक 53192 अंक पर पहुंच चुका है। वहीं एनएसई का निफ्टी 50 भी 1.92 फीसदी यानी 312 अंक गिरकर 15928 अंक पर पहुंच चुका है...
Share Market Crash : देश के शेयर बाजार (Stock Market) में इन दिनों जबरदस्त उतार-चढ़ाव (Share Market Crash) देखने को मिल रहा है। एक दिन सेंसेंक्स (Sensex) में एक हजार अंकों का उछाल देखने को मिलता है, तो दूसरे ही दिन बाजार 1000 अंक गिरकर धड़ाम हो जाता है। इसका बड़ा खामियाजा निवेशकों को अपने पैसे डुबोकर कर चुकाना पड़ता है। गुरुवार की सुबह भी जब बाजार में तेजी की उम्मीद की जा रही थी, बाजार एक बार फिर धड़ाम (Share Market Crash) हो गया है। स्टॉक मार्केट में गुरुवार को एक बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है।
इन दिनों शेयर बाजार का व्यवहार (Share Market Crash) निवेशकों के लिए एक पहली बन गया है। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार (19 अप्रैल) को आई गिरावट के कारण बीएसई का मार्केट कैप 473 लाख करोड़ रुपए से घटकर 251 लाख करोड़ रुपए रह गया है। सुबह 11 बजकर 10 मिनट पर सेंसेक्स 1020 अंक यानी 1.88 फीसदी तक 53192 अंक पर पहुंच चुका है। वहीं एनएसई का निफ्टी 50 भी 1.92 फीसदी यानी 312 अंक गिरकर 15928 अंक पर पहुंच चुका है। बीते एक महीने में निफ्टी 50 में 6 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की जा चुकी है। इस दौरान सेंसेक्स में 5.81 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है।
भारतीय बाजार में आयी इस गिरावट की बड़ी वजह बुधवार को अमेरिकी शेयर बाजार की कमजोरी को माना जा रहा है। बुधवार को अमेरिकी शेयर बाजार का प्रमुख सूचकांक एसएंडपी 500 इंडेक्स में 4 फीसदी लुढ़क (Share Market Crash) गया था। यह पिछले दो साल में इस इंडेक्स की सबसे बड़ी गिरवट है। अमेरिकी मार्केट में आयी इस गिरावट का असर दुनियाभर के बाजार पर पड़ता है। यही वजह है कि गुरुवार को एशिया के बाजारों पर भी इसका असर दबाव देखने को मिल रहा है।
बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए फिलहाल कई तरह की चुनौतियां (Share Market Crash) नजर आ रही हैं। रिलायंस सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड मितुल शाह का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। अमेरिकी केन्द्रीय बैंक के ब्याज दर बढ़ाने और विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रहने पर बाजार की मुश्किलें और बढ़ेंगी। बढ़ती महंगाई को नियंत्रित करने के लिए फेडरल रिजर्व सहित दुनियाभर के केन्द्रीय बैंक ब्याज दर बढ़ा रहे हैं। इससे आर्थिक मंदी की संभावना बढ़ गयी है।
अमेरिका में बुधवार को डाओ जोस भी 1000 अंक से अधिक गिर (Share Market Crash) गया है। टारगेट कॉर्प के शेयर में 26 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गयी है। विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई बढ़ रही है इससे आर्थिक मंदी का डर सताने लगा है और अमेरिकी केन्द्रीय बैंक का रुख और सख्त होने की उम्मीद है। इस वजह से आने वाले दिनों में अमेरिकी बाजार का रुख कमजोर बना रहेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को एमपीसी की आपात बैठक के मिनट्स जारी किए हैं। इससे पता चलता है कि एमपीसी के एक सदस्य ने रेपो में 100 बेसिस अंक के वृद्धि की सलाह दी थी। हालांकि, दूसरे सदस्य रेपो में इतनी ज्यादा वृद्धि के पक्ष में नहीं थे। हालांकि, सभी का मानना था कि महंगाई को कंट्रोल करने के लिए फौरल रेपो रेट बढ़ाने की जरूरत है। इस बारे में नोमुरा रिसर्च ने कहा है कि अप्रैल 2023 तक रेपो रेट 6.25 फीसदी तक पहुचने (Share Market Crash) का अनुमान है।
विदेशी फंडों की बिकवाली से रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। पिछले हफ्ते डॉलर के मुकाबले रुपया सबसे निम्नतम स्तर पर पहुंच गया था। विदेशी फंडों की बिकवाली (Share Market Crash) जारी रहती है तो रुपया भी दबाव में रहेगा। उधर, डॉलर इंडेक्स में मजबूती दिख रही है। यह दो दशक के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। इसका असर भी रुपया पर पड़ रहा है।