मोदी सरकार के इस बजट का मूल मंत्र है धनी को और धनी बनाओ, निर्धनों को कंगाल

निर्मला सीतारमण ने एक महिला होने के बावजूद भी महिलाओं की सुरक्षा व उनके विकास से सम्बंधित बजट को घटा दिया है, महिला एवं बाल विकास के लिए उन्होंने 2020-21 के बजट में 30507 करोड़ रुपये आबंटित किये थे, इस बजट में इसे घटाकर कर दिया 24934 करोड़...

Update: 2021-02-04 12:22 GMT

मौजूदा बजट पर स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता मुनीष कुमार की टिप्पणी

जनज्वार। कारपोरेट का हित ही अब देश का हित है। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विगत 1 फरवरी को प्रस्तुत बजट में साफ संदेश दे दिया है। इस बजट से देश का पूंजीपति वर्ग प्रफुल्लित है और शेयर बाजार कुलांचे मार रहा है।

वित्त मंत्री ने बजट से पूर्व 14 दिसम्बर को देश के पूंजीपतियों के संगठन फिक्की, सीआईआई व ऐसोचेम आदि से बैठक कर बजट पर सुझाव मांगे थे। पूंजीपतियों के सुझावों को सरकार ने बड़ी मुस्तैदी के साथ बजट में शामिल किया है। सीआईआई के अध्यक्ष उदय कोटक ने कहा था कि ऐसे दौर में जब सरकार की टैक्स से आमदनी गिर रही है, विनिवेश और सम्पत्तियों को भुनाने का आक्रामक अभियिान सरकार को थोड़ी राहत पहंचा सकता है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बजट में कारपोरेट घरानों के सुझावों की स्पष्ट छाप देखी जा सकती है। काॅरपोरेट घरानों की आय पर लगने वाले प्रत्यक्ष करों से सरकार को प्राप्त होने वाले राजस्व में निगम कर व आयकर की राशि का हिस्सा कम दिखया गया है तथा इसकी पूर्ति के लिए उदय कोटक की सलाह को विशेष तवज्जो दी गयी है।

वित्तीय वर्ष 2021-21 के बजट में सरकार के पास आने वाले 1 रुपये ;100 पैसेद्ध में से निगम कर के रूप में 18 पैसे तथा आयकर से 17 पैसे आने का अनुमान लगाया गया था, जिसे वर्तमान बजट 2021-22 में सरकार ने काफी कम करके दिखाया है। सरकार के पास निगम कर के रुप में 13 पैसे तथा आयकर से 14 पैसे आएंगे।

सरकार अपने घाटे को पाटने के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये विनिवेश से जुटाएगी। इसके लिए जीवन बीमा निगम व दो बैंकों की अपनी हिस्सेदारी को सरकार बेचेगी तथा साथ में एयर इंडिया, बीपीसएल, शिपिंग कारपोरेशन आफ इंडिया, समेत दर्जनों संस्थानों की नीलामी की जाएगी।

ऐसे वक्त में जब देश के किसान 3 कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर चारों तरफ से दिल्ली को घेरकर बठे हैं, सरकार ने किसानों की आवाज सुनने की जगह इस बजट में भी किसानों के हितों पर कुठाराघात करने में कोई कोर.कसर नहीं छोड़ी है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार ने कृषि बजट पर 154775 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, जिसे घटाकर 148301 करोड़ रुपए कर दिया गया है।

उर्वरकों पर पिछले बजट में सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-21 में कुल 139382 करोड़ रुपये खर्च किए हैं परन्तु नये बजट में इसे बढ़ाने की जगह घटाकर 84041 करोड़ रुपये कर दिया गया है। ग्रामीण विकास की मद को 216342 करोड़ रुपये के मुकाबले घटाकर होनहार वित मंत्री ने 194633 करोड़ रुण् पर सीमित कर दिया है।

मनरेगा पर खर्च 111500 करोड़ रुपये से घटाकर 73000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। किसान सम्मान निधि के तहत देश के किसान परिवारों को प्रति वर्ष 6000 रुपये सरकार देती है, जिसकी मद में वर्ष 2020.21 में सरकार ने 75000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, इस वर्ष में इसे घटाकर सरकार ने 65000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली मोदी सरकार ने देश की 65 करोड़ महिलाओं के लिए खर्च की जाने वाली राशि पर भी हमला किया है। निर्मला सीतारमण ने एक महिला होने के बावजूद भी महिलाओं की सुरक्षा व उनके विकास से सम्बंधित बजट को घटा दिया है। महिला एवं बाल विकास के लिए उन्होंने 2020-21 के बजट में 30507 करोड़ रुपये आबंटित किये थे। इस बजट में इसे घटाकर 24934 करोड़ रुपये कर दिया है।

महिला सशक्तिकरण के बजट में तो और भी भारी कटौती की गयी है। वर्ष 2019-20 के बजट में महिला सशक्तीकरण पर 901 करोड़ रुपये खर्च किए गये थे। 2020-21 के बजट में 1163 करोड़ रुपये महिला सशक्तीकरण का बजट था, जिसे इस बजट में मात्र 48 करोड़ रुपयों की नाममात्र की राशि पर सामित कर दिया गया है।

शिक्षा बजट पर सरकार ने पिछले बजट में 99312 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, जिसे इस बजट में घटाकर 93224 करोड़ रुपये कर दिया गया है। अल्पसंख्यक विकास के बजट को 1820 करोड़ से घटाकर 1564 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इतना ही नहीं सामाजिक कल्याण का बजट भी पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 के 53876 करोड़ के मुकाबले घटाकर 48460 करोड़ रुपये का कर दिया गया है।

इकाॅनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इस बजट में सरकार स्वास्थ्य पर कुल 122123 करोड़ रुपये खर्च करेगी, जिसमें 71268 करोड़ रु स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर खर्च होंगे। 2663 करोड़ रुपये स्वास्थ्य अनुसंधान पर तथा 13192 करोड़ रुपये फाइनेंस कमीशन से स्वास्थ्य की मद में अनुदान के तौर पर प्राप्त हुए हैं।

स्वास्थ्य बजट में 35000 करोड़ व 13192 करोड़ रुपये कोरोना के कारण बढ़ाए गये हैं। इस तरह स्वास्थ्य पर सरकार का वास्तविक खर्च 73931 हजार करोड़ का ही है, जो कि देश की 130 करोड़ की आबादी के लिए प्रतिदिन 2 रुपये से भी कम है। कुल मिलाकर इस बजट का मूल मंत्र है धनी को और धनी बनाओ, निर्धनों को कंगाल।

(मुनीष कुमार समाजवादी लोक मंच के संयोजक हैं।)

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