बिहार के 70 फीसद परिवारों में नहीं टीवी, कैसे होगी 5वीं तक के बच्चों की कल से DD बिहार चैनल पर पढ़ाई

बिहार में बहुत से दलित और महादलित बहुल इलाके हैं, जो बाढ़ में पूरी तरह डूब जाते हैं और इन लोगों के पास ढंग से छत भी नहीं है, दो वक्त की रोटी हमेशा नसीब नहीं होती तो टीवी बहुत दूर की कौड़ी है...

Update: 2021-06-27 13:17 GMT

बिहार में दलित और महादलित बहुल इलाकों में बच्चों के घरों में खाने का नहीं है ठिकाना तो पढ़ाई की बात कहां से (photo : janjwar)

जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट

जनज्वार। कोरोना संक्रमण के चलते स्कूलों में ताला लगा है। लंबे समय से शिक्षण कार्य प्रभावित होने के कारण ऑनलाइन क्लास चलाना शासन की मजबूरी है। इस ओर एक बार फिर बिहार सरकार कदम बढ़ाते हुए 28 जून से कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों की पढ़ाई शुरू करने जा रही है। यह कक्षाएं दूरदर्शन के डीडी बिहार चैनल पर चलेगी।

मगर सरकारी घोषणा के इतर जमीनी हकीकत यह है कि इसको लेकर कोई ठोस तैयारी नजर नहीं आ रही है। सरकारी स्कूलों के नामांकित बच्चों व उनके अभिभावकों की बात तो दूर अधिकांश शिक्षक तक तैयारी से अनभिज्ञ हैं, जिनके प्रोत्साहन पर ही योजना की सर्वाधिक सफलता टिकी है। इसके अलावा 70 फीसद घरों में टेलीविजन तक नहीं है, जबकि सरकारी स्कूलों में पढनेवाले बच्चे इन्हीं परिवारों से आते हैं।

बिहार के सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित बच्चों के लिए शैक्षिक सत्र 2021-22 में पहली बार सोमवार 28 जून से पढ़ाई शुरू होगी। राज्य के 72 हजार प्राथमिक विद्यालयों में नामांकित बच्चों की संख्या 1 करोड़ 6 लाख 19 हजार 670 है। पहली से पांचवीं कक्षा के बच्चे डीडी बिहार पर चलने वाली कक्षाओं में भाग लेंगे। अपराह्न तीन से पांच बजे तक दूरदर्शन पर यह पाठशाला चलेगी, जिसमें तीन से चार बजे तक कक्षा एक से तीन के विद्यार्थियों के लिए व चार से पांच बजे बजे तक कक्षा-4 और कक्षा-5 के बच्चों के लिए शिक्षक उनके पाठ्यचर्या से जुड़े पाठ पढ़ायेंगे।

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बिहार शिक्षा परियोजना परिषद ने यूनीसेफ के सहयोग से वीडियो पाठ तैयार कराया है। बिहार शिक्षा परियोजना ने फिलहाल 28 जून से 31 जुलाई तक का समय पहली से पांचवीं की पाठशाला के लिए रोजाना दो घंटे का डीडी बिहार पर बुक कराया है। हालांकि ज्यादातर पाठ्य सामग्री पिछले वर्ष से ही तैयार हैं। लॉकडाउन और रिकार्डिंग स्टूडियो के बंद रहने से नये वीडियो नहीं बनाए जा सके। प्राथमिक कक्षा के बच्चों को पढ़ाई का यह अवसर प्रदान करने के लिए बीईपी ने पूरी तैयारी की है। बीईपी के राज्य परियोजना निदेशक संजय सिंह के मुताबिक जिलों को निर्देश दिया गया है कि वे प्राथमिक विद्यालयों के हेडमास्टर को निर्देशित करें। अभिभावकों से सम्पर्क कर अधिकाधिक नामांकित बच्चों को दूरदर्शन पर लगने वाली इस पाठशाला का लाभ लेने को प्रेरित करें।

कक्षा एक से पांचवीं तक की कक्षा सोमवार 28 जून से शुरू होने के साथ ही सरकारी स्कूलों के सभी विद्यार्थियों के लिए यह कार्यक्रम शुरू हो जाएगा। कक्षा 9 से 12 के लिए पहले से ही 9 से 11 बजे सुबह यह कक्षा 10 मई से ही दूरदर्शन पर लग रही है, जबकि 27 मई से 11 से 12 बजे कक्षा 6, 7 और 8 के विद्यार्थियों के पाढ़ पढ़ाये जा रहे हैं।

बिहार के अधिकांश परिवारों में नहीं है टेलीविजन

ब्राॅडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल इंडिया (BRC) की एक रिपोर्ट के मुताबिक आज भी बिहार के 70 फीसदी परिवारों में टेलीविजन नहीं है। यही औसत झारखंड का भी है। उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में 65 प्रतिशत परिवारों में टीवी नहीं है। हालांकि देश के दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और कर्नाटक के मात्र दस फीसद घरों टीवी उपलब्ध नहीं है। इन आंकड़ों के मुताबिक टीवी न होने वाले परिवारों में बिहार सबसे आगे है। ऐसे में यहां के अधिकांश बच्चों के अभिभावक डीडी बिहार चैनल से अनभिज्ञ हैं। इन सरकारी स्कूलों में आज भी अभावग्रस्त परिवारों के ही बच्चे जाते हैं। इनके लिए सरकार का यह प्रयास कितना सार्थक साबित होगा, यह आंकड़े दे रहे हैं।

मानसून आने के साथ ही बड़ी आबादी हो जाती है बाढ़ से प्रभावित

टेलीविजन पर जब कक्षाएं चलाने की बात होगी, तो संसाधनों पर गौर करना जरूरी हो जाता है। इस समय जब कक्षा शुरू होने की बात हो रही है,वैसे समय में मानसून के साथ ही बाढ का वक्त आ गया है। प्रत्येक वर्ष राज्य की राजधानी से लेकर उत्तर बिहार के तकरीबन 17 जिले बाढ से चार माह तक प्रभावित रहते हैं। इन जिलों के बच्चों के लिए भी शिक्षण कार्य को लेकर की गयी पहल काम नहीं आयेगी।

खास बात यह है कि इसको लेकर जागरूकता व प्रोत्साहन के लेबल पर भी कोई प्रयास नजर नहीं आता।सिवान के मैरवा प्रखंड के भरौली निवासी धर्मेंद्र गिरी के 2 बच्चे परिषदीय विद्यालयों में पढते हैं। धर्मेंद्र मेहनत मजदूरी कर परिवार का खर्च उठाते हैं। धमेंद्र से डीडी बिहार चैनल पर कक्षा चलने की बात करने पर वे अनभिज्ञता जताते हैं। भागवानपुर हाट के बागेश्वरी प्रसाद पंचायत शिक्षक हैं। उनसे टीवी पर कक्षाएं शुरू होने की बात कही गई, तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है।

वहीं गोपालगंज के गोविंद कुमार कहते हैं कि जिला मुख्यालय के हजियापुर मोहल्ला दलित व महादलित बहुल इलाका है। इन घरों में दो वक्त की रोटी हमेशा नसीब नहीं होती है। इन परिवारों के लिए टीवी तो बहुत दूर की बात है। वे कहते हैं कि जब स्कूल खुले थे तो मध्यान्ह भोजन से बच्चों का काम चल जाता था। अब स्कूल बंद होने के कारण इसका भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।

इसके अलावा गोपालगंज सदर प्रखंड के जगीरी टोला, मसान थाना, दुखहरमा समेत दजन भर गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। इन गांवों के लोगों के लिए इस शिक्षण कार्य का कोई लाभ नहीं मिलेगा। इसके अलावा प्रमुख बात यह है कि सरकारी स्कूलों में पढने वाले अधिकांश बच्चे उन परिवारों से ही आते हैं, जिनके पास टीवी, मोबाइल आदि नहीं है। वैशाली जिले के विदुपुर निवासी राकेश यादव ने कहा कि हमारे इलाके के गरीब बस्तियों में रोटी का संकट है। टेलीविजन की उपलब्धता उनके लिए किसी सपने से कम नहीं है।

ई लाइब्रेरी पर उपलब्ध रहेगी वीडियो पाठ्य सामग्री

बीईपी ने एक खास व्यवस्था की है। पहली से लेकर 12वीं तक की डीडी बिहार पर हुई पढ़ाई की पूरी वीडियो पाठ्य सामग्री उसी दिन ई लाइब्रेरी फॉर टीचर्स एंड स्टूडेंट (ई-लॉट्स) पर अपलोड कर दी जाती है। ताकि जो बच्चे डीडी बिहार नहीं देख सकें, वे ई लाइब्रेरी पर अपनी कक्षा का पाठ देख और पढ़ सकें। मगर असल सवाल यह है कि जिन घरों में टीवी तो छोड़िये 2 वक्त की रोटी का तक जुगाड़ नहीं है, उनके लिए सरकार की क्या योजना है।

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