Ground Report : आंगनबाड़ी सामुदायिक केंद्रों में अव्यवस्थाओं के बीच CM योगी ने बांटी नई मुसीबत
शहर के गड़रियन पुरवा स्थित आंगनबाड़ी समुदायिक केंद्र की हालत तो इस कदर जर्जर है कि यहां का ताला खोलते ही कार्यकर्ता के जेहन में झुरझुरी सी दौड़ जाती है। ऐसे में यहां बैठकर बच्चों को पढ़ाना जान जोखिम में डालने जैसा है...
जनज्वार, कानपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कल शहर पहुँचे थे। यहां के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल आनंदीबेन पटेल व सीएम योगी ने 75 आंगनबाड़ी केंद्रों को झूलों सहित मेज-कुर्सी, किताबें व अन्य खेलकूद का सामान आवंटित किया है। लेकिन इस सामान के मिलने से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मुसीबत बढ़ गई है।
एक-एक कमरे के इन जर्जर भवनो में पहले ही अव्यवस्थाओं का बोलबाला है। जगह-जगह गंदगी व काई लगी दीवारों से पानी टपक रहा है। छत के उपरी हिस्से में बड़ी-बड़ी घास उग आई है। ऐसे में योगी व राज्यपाल ने जो सामान आवंटित किया है वह आखिर किस जगह लगाया जाए, कार्यकर्ता इसी पशोपेश में अब दुबले होने शुरू हो गये हैं।
शहर के गड़रियन पुरवा स्थित आंगनबाड़ी समुदायिक केंद्र की हालत तो इस कदर जर्जर है कि यहां का ताला खोलते ही कार्यकर्ता के जेहन में झुरझुरी सी दौड़ जाती है। ऐसे में यहां बैठकर बच्चों को पढ़ाना जान जोखिम में डालने जैसा है। जबकि यह खतरा यहां की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दीपमाला रोज उठाती हैं।
दीपमाला ने आकर चैनल का लगा ताला खोलाष हमें अंदर ले जाकर वह एक के बाद एक खड़े खतरे को दिखाते हुए कहती हैं कि, चुनाव की बेला आने पर यह सांसदों, विधायकों, पार्षदों सहित तमाम छोटे-बड़े नेताओं का बूथ कैंप बनता है। दीपमाला ने कई दफा लिखित तौर पर इसकी शिकायत भी की, लेकिन सुनवाई एक बार भी नहीं हुई।
गड़रियन पुरवा के इस आंगनबाड़ी केंद्र से अच्छी हालत में तो बगल का बना सामुदायिक शौचालय नजर आता है। लेकिन वहां ना जाकर लोग लघुशंका भी केंद्र के अगल बगल ही कर लेते हैं। लेकिन यहां आने वाले तकरीबन 25 से 30 बच्चे रोज मौत के मुँह का सामना करते हैं। शौचालय, पानी वगैरा की कमी के साथ बिजली के नंगे तार भी अपने आप में कम जोखिम वाले नहीं हैं।
स्थानीय निवासी कैलाश पाल से पूछा की योगी जी ने खेल कूद का सामान झूले आदि दिए हैं, वह कहां लगेंगे? जिसपर कैलास पाल हंसते हुए कहते हैं, साहब यह तो योगी जी जाने कहां लगेंगे। उन्होने दिए हैं, वही बता पाएंगे कि कहां लगेंगे। देखिए आप लेंटर कभी भी बैठ सकता है, फर्श पर पानी भरा हुआ है। बहुत शिकायतें की लेकिन सब मामला टांय-टांय फिस्स हो जाता है।
यहां की धनलक्ष्मी पहले इसी आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को पढ़ाती थीं। लेकिन अब जब यह जर्जर हो गया तो खतरे की नजाकत को देखते हुए धनलक्ष्मी घर में बैठ गई हैं। धनलक्ष्मी हमसे बताती हैं कि, हम लोग बहुत परेशान हो गये थे। यहां आए दिन कोई ना कोई मुसीबत खड़ी रहती थी। कभी दीवार का प्लास्टर गिर जाए तो कभी छत का, बैठने तक की सलामत जगह नहीं है।
दीपमाला हमें वह तमाम पोस्टर, जो अब दीवार से उतार लिए गये हैं, दिखाते हुए कहती हैं कि, भइया देखिए जब दीवार ही सलामत नहीं है तो इन पोस्टरों को लगाया कहां जाए। हमने यहां की निगम पार्षद राधा पाण्डेय से भी कई मर्तबा कहा लेकिन सुनवाई नहीं हुई। अब बताइये यहां छोटे-छोटे बच्चे आते हैं, गर्भवती महिलाएं भी जिनको पुष्टाहार वितरित किया जाता है, क्या यहां सुरक्षित हैं।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आगे बताती हैं कि अब हमारे सुनने में आ रहा है कि बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की तरफ से यहां की पुताई और फर्श में टाइल्स लगाने के लिए आदेश पास हो गया है, लेकिन टाइल्स लग जाने या पुताई हो जाने से समस्या खतम हो जाएगी। छत, दीवारों, गंदगी ऐसी तमाम समस्याएं हैं जिनका पहले ध्यान दिया जाना चाहिए।
सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को योगी ने यह दिया
तीन झूले वाले घोड़े, पांच सेट नंबर, 3 ट्राई साइकिल, एबीसीडी के 5 सेट, फल के नामों वाले 5 पोस्टर, 5 ब्लॉक्स, 5 पजल्स, 5 बॉल, 5 क्ले, 5 रिंग्स, 5 रस्सी, 10 प्ले बुक, 5 स्टोरी बुक, 5 एजुकेशन मैप, 2 व्हाइट बोर्ड, 2 स्टील के स्टोरेज, 1 वजन मशीन, 1 फर्स्ट एड बॉक्स, बर्तन के 24 सेट, 1 हाइट गेज, 5 हैंडवॉश, 4 मेज, 24 कुर्सी। यह सामान सभी 75 आंगनबाड़ी केंद्रों को भेजा जाना है।