SC ने केंद्र से पूछा - चीन से लौटे मेडिकल छात्रों को भारत में क्लिनिकल ट्रेनिंग की इजाजत मानवीय आधार पर देना संभव है?
क्या चीन से पासआउट मेडिकल ग्रैजुएट्स का मानवीय आधार पर क्लिनिकल ट्रेनिंग इंडिया में कराना संभव है। ताकि वहां से पासआउट मेडिकल ग्रैजुएट्स को भारतीय मेडिकल सिस्टम में प्रैक्टिस करने के योग्य माना जा सके।
China Returnee Medical Graduates : सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) ने मंगलवार को COVID-19 यात्रा प्रतिबंधों के कारण चीन में क्लिनिकल ट्रेनिंग ( Clinical Training ) पूरा न कर पाने वाले छात्रों की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद केंद्र सरकार ( Central Government ) से जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या मानवीय नजरिए से इन छात्रों का क्लिनिकल ट्रेनिंग इंडिया में कराना संभव है। ताकि चीन से पासआउट मेडिकल ग्रैजुएट्स ( China returned medical students ) को भारतीय मेडिकल सिस्टम ( Indian Medical system ) में प्रैक्टिस करने के योग्य माना जा सके।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ से पहले जस्टिस हेमंत गुप्ता की अगुवाई वाली पीठ ने 2015-20 बैच के प्रत्यावर्तित भारतीय छात्रों को भारत में क्लिनिकल ट्रेनिंग इंडिया में करने की इजाजत दी थी लेकिन केरल और तमिलनाडु सरकार ने 2016-21 बैच के छात्रों को ऐसी राहत देने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा कि अगर हम ऐसा आदेश जारी करते हैं तो इन हालातों को दूसरे बैच के छात्रों पर भी असर पड़ेगा। ऐसे में बेहतर यही होगा कि केंद्र सरकार पहले अपनी राय स्पष्ट कर दे।
याचिकाकर्ता छात्रों का कहना है कि साल 2016 में चीन में चिकित्सा पाठ्यक्रम में शामिल होने वाले छात्रों को समान लाभ दिया जाना चाहिए। कई राज्य चिकित्सा परिषदों ने शीर्ष अदालत के आदेशों का पालन किया। केवल केरल और तमिलनाडु ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है। ऐसे में इन छात्रों को इंडिया में मेडिकल प्रैक्टिस की इजाजत कैसे दी जाए, यह एक गंभीर सवाल है।
जस्टिस गवई ने केंद्र से पूछा कि क्या चीनी के मेडिकल कॉलेजों से परीक्षा पास कर चुके हैं। पास किया है तो कहां और किस संस्थान से किया है। जस्टिस विक्रमनाथ ने कहा कि सरकार इस बात का जवाब दे कि क्लिनिकल ट्रेंनिंग की इजाजत केवल 2015-20 बैच के लिए ही संभव है या 2016—21 बैच पर भी कोविड—19 प्रावधान लागू होता है। शीर्ष अदालत ने सरकार से कहा कि इस पर मानवीय दृष्टि से इस मसले पर विचार कर स्थिति स्पष्ट करें। ताकि अदालत उसी के अनुरूप आदेश जारी करे। ताकि दोबारा केरल और तमिलनाडु जैसी स्थिति न उत्पन्न हो।
China Returnee Medical Graduates : दरअसल, यह स्थिति कोविड-19 और मार्च 2022 के आखिरी हफ्ते में जारी UGC की एडवायजरी में छात्रों से चीन में पढ़ाई के लिए न जाने की अपील की वजह से उत्पन्न हुई है। यूजीसी ने चीन से हासिल ऑनलाइन डिग्रियों की मान्यता रद्द कर दी थी। UGC ने कहा था कि चीन की कई यूनिवर्सिटीज ने आगामी एकेडेमिक ईयर के लिए विभिन्न डिग्रियों में एडमिशन के लिए नोटिस जारी करना शुरू किया है। UGC के फैसले के बाद चीन से पढ़ाई कर रहे हजारों भारतीय मेडिकल छात्रों को डर था कि अगर उनकी पढ़ाई ऑनलाइन जारी रही तो प्रैक्टिल के अभाव में उनकी डिग्रियां अमान्य हो जाएंगी। इस संकट में फंसे और कोविड—19 की वजह से चीन से लौटे छात्रों के सामने यह स्थिति उत्पन्न हुई है।