UP में 58 हजार युवाओं को नौकरी का सच : जिम्मेदारी पंचायत सचिवालय की और वेतन मनरेगा मजदूर जितना
जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो। उत्तर प्रदेश में छह माह बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। इसको लेकर योगी सरकार आए दिन नई नई घोषणा करने में लगी है। युवाओं को रोजगार देने के नाम पर एक और बड़ी घोषणा की है, जिसके तहत यूपी में 58 हजार पंचायत सहायकों की भर्ती के लिए मंगलवार 27 जुलाई को शासनादेश जारी कर दिया गया। इसके साथ ही विपक्षी दल सरकार के इस घोषणा पर सवाल भी उठाने लगे हैं। समाजवादी पार्टी का कहना है कि नौकरी के नाम पर मनरेगा मजदूरों के बराबर सरकार मानदेय की घोषित की है। इसके अलावा नियमित मानदेय दे पाएगी की नहीं व नौकरी की सुरक्षा की भी कोई गारंटी युवाओं को नहीं दी गई है।
उत्तर प्रदेश सरकार के पंचायती राज विभाग ने राज्य के सभी 58189 पंचायतों में ग्राम सचिवालय की स्थापना और प्रचालन के लिए पंचायत सहायक व एकाउंटेंट-कम-डाटा-एंट्री ऑपरेटर की भर्ती से सम्बन्धित शासनादेश 27 जुलाई को जारी कर दिया है।
ग्राम सचिवालय का होगा संचालन
उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के सभी 58,189 पंचायतों में बने पंचायत भवनों को ग्राम सचिवालय के तौर विकसित करने जा रही है। इन सचिवालयों के विकास के लिए हर पंचायत पर 1.75 लाख रुपये का व्यय सरकार द्वारा किया जाना है। जन सेवा केंद्र और बीसी सखी के लिए स्थान सुलभ कराने वाले इन सचिवालयों के संचालन के लिए पंचायत सहायक-कम-एकाउंटेंट-कम-डाटा एंट्री ऑपरेटर की भर्ती की जानी है। इन पंचायत सहायकों की नियुक्ति सम्बनधित ग्राम पंचायत के प्रधान द्वारा आवेदन पत्र आमंत्रित करके की जाएगी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर प्रदेश सरकार में पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी द्वारा सोमवार 26 जुलाई को इसकी घोषणा की गई थी।
पंचायत सहायक-कम-एकाउंटेंट-कम-डाटा एंट्री ऑपरेटर के लिए योग्यता
आवेदन के इच्छुक उम्मीदवारों को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपीएमएसपी) यानी यूपी बोर्ड से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण होनी चाहिए। समकक्ष योग्यता रखने वाले उम्मीदवार भी आवेदन कर पाएंगे। साथ ही उम्मीदवारों की आयु 1 जुलाई 2021 को 18 वर्ष से कम और 40 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। उम्मीदवार को जिस पंचायत के लिए आवेदन करना है उसी का निवासी होना चाहिए। साथ ही, आरक्षित श्रेणी की पंचायतों में उसी श्रेणी के उम्मीदवार का ही पंचायत सहायक के तौर पर चयन किया जाएगा।
आवेदन और चयन प्रक्रिया
पंचायती राज विभाग द्वारा जारी शासनादेश के अनुसार, प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंचायत सहायक-कम-एकाउंटेंट-कम-डाटा एंट्री ऑपरेटर की नियुक्ति के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किये जाने की सूचना ग्राम प्रधान द्वारा जारी की जाएगी। यह सूचना ग्राम पंचायत कार्यालय के सूचना पटल पर प्रकाशित होगी तथा सूचना के प्रसारण के लिए डुग्गी पिटवाकर मुनादी भी ग्राम पंचायत में करायी जाएगी।
उम्मीदवारों को इस सूचना जारी किये जाने की तिथि से 15 दिनों के भीतर आवेदन करना होगा। इच्छुक उम्मीदवार अपने आवेदन 15 दिनों के भीतर ग्राम पंचायत, विकास खण्ड या जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय में जमा करा सकते हैं। उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया 30 जुलाई से 10 सितंबर 2021 के बीच पूरी की जानी है। आवेदन किये उम्मीदवारों के हाई स्कूल और इंटर के अंकों के औसत के आधार पर तैयार मेरिट लिस्ट के अनुसार अंतिम रूप से चयन किया जाना है।
छह हजार मिलेगा मानदेय
संविदा पर चयन के अनुसार पंचायत सहायकों को प्रतिमाह छह हजार मानदेय दिया जाएगा। इसका भुगतान पंचायत द्वारा वित्त आयोग की धनराशि, ग्राम निधि तथा अन्य योजनाअंन्तर्गत उपलब्ध प्रशासनिक मद के लिए अनुमन्य धनराशि से की जाएगी। इनका एक वर्ष के लिए चयन किया जाएगा। इसके बाद कार्य से संतुष्ट होने पर अधिकतम दो वर्ष के लिए कार्य की अवधि बढाई जा सकती है।
यूपी के प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने इसका विरोध करते हुए कहा है, योगी सरकार रोजगार देने के नाम पर बेरोजगारों को ठगने की बात कर रही है।
सपा के राष्ट्रीय महासचिव व पूर्व सांसद रमाशंकर राजभर कहते हैं, पंचायत सचिवालय चलाने की जिम्मेदारी जिस युवा को देने की बात सरकार कह रही है, उन्हें वेतन के रूप में मनरेगा मजदूर के बराबर मानदेय देने की बात कर रही है। एक मनरेगा मजदूर 205 रुपये मजदूरी पाता है।उसके बराबर ही पंचायत सहायक का मानयेय देना, यह कैसा इंसाफ है। नौकरी में सबसे पहली जरूरत उसकी सुरक्षा की होती है। साढे चार वर्ष तक खामोश रही सरकार चुनाव के समय यह भर्ती करने जा रही है। यह भी समय से चयन प्रक्रिया पूरी कर पाएगी की नहीं, इस पर संदेह है। एक अकुशल श्रमिक की दैनिक मजदूरी सरकार ने 337 रुपए तय रखी है। यह धनराशि भी पढे लिखे नौजवान को देने के लिए सरकार तैयार नहीं है। मानदेय का नियमित भुगतान हो पाएगा की नहीं, इसकी भी गारंटी नहीं की गई है। जरूरत इस बात की है कि कुल घोषित संख्या से भी आधी भी अगर सम्मानजनक वेतन पर युवाओं की अगर भर्ती करती तो उनका भविष्य सुरक्षित हो जाता। लेकिन इस पर अमल करने के बजाए वेतन को लेकर अनिश्चितता व नौकरी की कोई सुरक्षा का वादा न कर सरकार बेरोजगारों के साथ छलावा कर रही है।
सामाजिक कार्यकर्ता राकेश सिंह कहते हैं कि यूपी की योगी सरकार का रोजगार मात्र छलावा है। पूर्ववर्ती सरकारों की तरह इनकी भी सभी भर्तियां प्रशासनिक निकम्मापन के चलते न्यायालयों में जाकर फंस जाती है। अखिलेश सरकार में शुरु हुई शिक्षक भर्ती को ही योगी सरकार दो चरणों में पूरा कर नौकरी देने का ढिंढोरा पीट रही है। इसे भी पूरा करने में साढ़े चार वर्ष लग गए। अब 58 हजार पंचायत सहायकों की न्यूनतम मानदेय पर भर्ती कर कुपोषित नौजवानों की टीम खड़ा करनी चाहती है, जिसमें न नियमित मानदेय भुगतान की गारंटी है और न ही रोजगार की सुरक्षा ही है।
वहीं इस मसले पर युवा कल्याण परिषद के अध्यक्ष मरगूब आलम ने कहा कि युवाओं को रोजगार के नाम पर झुनझुना थमाने की कोशिश सरकार अब बंद करे। रोजगार देने से अधिक सरकार झुठी उपलब्धि गिनाने में अधिक बजट खर्च कर रही है। आगामी विधानसभा चुनाव में प्रवेश के युवा सरकार से इसका हिसाब चुकता करेंगे।