UP : एक्शन मोड में यूपी पुलिस, डीआईजी अरविंद सेन समेत 21 आरोपियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई, लगे संगीन आरोप

धोखाधड़ी में शामिल गिरोह गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली व मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के बड़े कारोबारियों को यूपी में ठेका दिलाने के नाम पर फुसलाते थे। बात आगे बढ़ने पर कारोबारियों को सरगना आशीष से विधान भवन में मिलवाया जाता था।

Update: 2022-03-23 03:15 GMT

निलंबित डीआईजी अरविंद सेन। 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में वापसी के साथ ही पहले बाहुबलियों के खिलाफ बुल्डोजर चला तो योगी के शपथ ग्रहण से ठीक दो दिन पहले यूपी पुलिस ( Uttar Pradesh Police ) भी एक्शन में आ गई है। चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने पशुपालन घोटाले में निलंबित आईपीएस व डीआईजी पीएसी अरविंद सेन ( DIG Arvind Sen ) , घोटाले के मास्टरमाइंड समेत सभी 21 आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट ( Gangster Act ) की कार्रवाई की है।

इस मामले का खुलासा एमपी के व्यापारी मंजीत भाटिया की ओर से 9 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी ( Fraud ) की शिकायत मिलने के बाद हुआ था। एसटीएफ की जांच ( STF investigation ) में मंजीत भाटिया के साथ कथित तौर पर 9.72 करोड़ रुपए की ठगी का मामला सामने आया था।

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इन पर लगे गैंगस्टर एक्ट

उत्तर प्रदेश पुलिस ने पशुपालन विभाग में कारोबारियों को आटा-नमक का ठेका दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी के मामले में आईपीएस अधिकारी अरविंद सेन समेत 21 के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में मुकदमा दर्ज किया है। सभी आरोपी जेल में बंद हैं। इस गिरोह का सरगना आशीष राय है। गिरोह में सचिवालय में तैनात तीन निजी सचिव व सिपाही भी शामिल थे। सभी के खिलाफ प्रभारी निरीक्षक हजरतगंज श्याम बाबू शुक्ला ने यूपी गिरोह बंद समाज विरोधी गतिविधि अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

सरगना आशीष राय, रुपक राय, उमाशंकर तिवारी, अनिल राय, त्रिपुरेश पांडेय उर्फ रिंकू, सचिन वर्मा, रजनीश दीक्षित, धीरज कुमार देव, अखिलेश कुमार उर्फ एके राजीव, रघुवीर प्रसाद, संतोष मिश्रा, सुनील गुर्जर, दिलबार यादव, अमित मिश्रा, निलंबित आईपीएस अफसर अरविंद सेन, उमेश मिश्रा, अरुण राय, प्रवीण राघव, महेंद्र तिवारी, लोकेश मिश्रा व एक अन्य नाम शामिल है।

ठेका दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी

यूपी पुलिस के मुताबिक यह गिरोह गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली व मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों के बड़े कारोबारियों को यूपी में ठेका दिलाने के नाम पर फंसाते थे। इस काम में शामिल लोग सरगना आशीष से विधान भवन में कारोबारियों को मिलवाते थें आशीष विधान भवन स्थित अधिकारियों व मंत्रियों के कमरे में बैठकर खुद को उनका करीबी बताकर काम दिलवाने का भरोसा दिलाता था। इसके बाद गिरोह अलग-अलग मदों में करोड़ों रुपए हड़प लेते थे। व्यापारियों के विरोध करने पर गिरोह में शामिल पत्रकार और पुलिस अधिकारी से उन्हें धमकी दिलवाई जाती थी।

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