Gujrat में मोदी, योगी और शाह क्यों ले रहे रोड शो का सहारा, कहीं ये बदलाव के संकेत तो नहीं!
Gujrat Assembly Election 2022 : गुजरात चुनाव भाजपा के तीन चेहरे यानि मोदी, शाह और योगी के इर्द-गिर्द घूम रहा है, लेकिन इन नेताओं की रैलियों में भीड़ कम जुटने की घटनाओं ने भाजपा ( BJP) शीर्ष नेतृत्व को कई तरह की आशंकाओं से घेर लिया है।
Gujrat Assembly Election 2022 : इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव पहले के चुनावों से कई मायनों में अलग है। कम से कम सियासी हालात तो यही कहानी बयां कर रहे हैं। अलग इसलिए कि इस बार गुजरात ( Gujrat ) में सिर्फ भाजपा ( BJP ) और कांग्रेस ( Congress ) के बीच सियासी जंग नहीं है। आम आदमी पार्टी ( AAP ) ने भी जोरदार एंट्री की है। इसके अलावा एआईएमआईएम तड़का भी लगा हुआ है। ये बात अलग है कि असदुद्दीन की पार्टी को वोट कटुआ माना जा रहा है। इस और बदलाव यह है कि इस बार पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Modi ), सीएम योगी आदित्यनाथ ( Yogi Adityanath ) और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ( Amit shah ) की चुनावी रैली ( Election rally ) में लोगों के शामिल होने का रुझान पहले स बहुत कम है। यानि मोदी, योगी और शाह के मैजिक का असर कम है।
कहीं अंडर करेंट बदलाव की तो नहीं
यही वहज है कि राजनीतिक विश्लेषक इस बात के कयास लगा रहे हैं कि गुजरात में कहीं अंडर करेंट वास्वत में सियासी बदलाव की हवा तो नहीं। कहीं यही तो वो वजह नहीं कि मोदी, शाह और योगी ने बड़ी रैली के बदले रोड शो ज्यादा कर रहे हैं। रोड शो करने का फायदा यह होता है कि कम भीड़ में भी अपार भीड़ का नजारा दिखाई देता है। ऐसा इसलिए कि रोड शो ज्यादातर व्यस्ततम इलाकों में होता है। मार्केट, आवासीय क्षेत्र कस्तों से ज्यादा गुजरता है। ऐसे में लोग कौतुहलवश भी रोड शो देखने के लिए जमा हो जाते हैं। जानकारों का कहना है कि चूंकि गुजरात विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए नाक का सवाल है, इसलिए मोदी, शाह और योगी की रणनीति में बदलाव असहज करने वाला नहीं कहा जा सकता है। हां, इन संकेतों से संभावनाओं का अंदाजा लगा सकता है।
कांग्रेस ने यूं ही नहीं किया है उल्टी घड़ी लगाने का टोटका
गुजरात कांग्रेस ( Congress ) ने ढाई दशक पुरानी भाजपा सरकार को हराने के लिए अपने प्रदेश कार्यालय पर घड़ी लगाकर उल्टी गिनती शुरू करने का नुस्खा यूं ही नहीं आजमाया है। वहीं भाजपा ( BJP ) ने गुजरात में विकास, हिंदुत्व, राष्ट्रीय सुरक्षा और संगठन की रणनीति के आधार पर चुनाव जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा की रणनीति में इस बार के गुजरात विधानसभा चुनाव में तीन चेहरों के इर्दगिर्द पूरा चुनाव घूम रहा है। ये तीन चेहरे कौन हैं ये बताने की जरूरत नहीं है। गुजरात का हर मतदाता जानता है ये तीन चेहरे मोदी, शाह और योगी हैं। इन तीनों को आधार बनाकर ही भाजपा ने अपनी रणनीति तैयार की है। यही वजह है कि भीड़ कम जुटने की घटनाओं ने भाजपा शीर्ष नेतृत्व को कई तरह की आशंकाओं से घेर लिया है। भीड़ न जुटने के चुनावी असर को कम करने के लिए अकेले प्रधानमंत्री मोदी अब तक दो दर्जन से ज्यादा रैलियां-रोड शो कर चुके हैं, आज भी उनका अहमदाबाद में 50 किलोमीटर लंबा रोड शो है। पीएम का रोड शो 16 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगी।
अभी से सता रहा है चुनावी हार का डर
कांग्रेस ने इसे भाजपा का डर करार दिया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया है कि भाजपा को अपनी हार का डर सता रहा है, यही कारण है कि वे गली-गली, वार्ड-वार्ड में घूमकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। एक प्रधानमंत्री होते हुए उन्हें इस तरह के चुनाव प्रचार से दूर रहना चाहिए। मल्लिकार्जुन खरगे ने तीन दिन पहले अहमदाबाद में मीडिया से बातचीत में कहा कि बड़े स्तर के चुनाव में राष्ट्रीय स्तर के नेता भाग लेते हैं और राज्य स्तर के चुनाव में राज्य स्तर के नेताओं को ही आगे रहना चाहिए लेकिन भाजपा अपने चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और अन्य मंत्रियों को उतारकर यह बता रही है कि उसे चुनाव में हार का डर सता रहा है, यही कारण है कि वह किसी तरह अपनी हार टालने के लिए उसके नेता एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
भाजपा की हार तय
मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि भाजपा आरोप लगाती है कि कांग्रेस ने 70 साल में कुछ नहीं किया। ये उनका जुमला है लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि जब वे नहीं थे, कांग्रेस गुजरात के लिए काम कर रही थी। आज भी कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने पूरे हिंदुस्तान की फौज सिर्फ गुजरात में लगा दी है और हमारे लोग गांव-गांव में बूथ लड़ रहे हैं। हम यह चुनाव जीतेंगे। भाजपा की हार तय है।
कांग्रेस इस रणनीति पर कर रही काम
गुजरात चुनाव विश्लेषकों का कहना है कि अब तक की तस्वीर देखने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस यह सब पूरी सोची-समझी रणनीति के साथ कर रही है। वह गुजरात-हिमाचल में समय लगाने की बजाय 2024 को निशाने पर रखते हुए अपनी जड़ों को मजबूत करने का काम कर रही है। उसे लगता है कि यदि वह राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत होगी तो गुजरात-हिमाचल जैसे राज्यों के चुनाव आसानी से जीते जा सकेंगे। अगले वर्ष भी नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। इसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी शामिल होंगे। 2024 के चुनाव के पहले इनमें जीत हासिल करना पार्टी के लिए 2024 की दष्टि से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो सकता है। यही कारण है कि कांग्रेस पूरा फोकस अपने आपको मजबूत करने में लगा रही है।
साफ दिख रहा है एंटी इनकंबेंसी का असर
गुजरात के लोगों का कहना है कि भाजपा के 27 साल में गुजरात में एंटी-इनकमबेंसी फैक्टर काफी मजबूत हो चुका है। महंगाई, बेरोजगारी, शिक्षा का कमजोर ढांचा, जन स्वास्थ्य की उपेक्षा, मध्य वर्ग पर टैक्स की मार आदि मुद्दे भी भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने में कारगर साबित हो रहे हैं।
कांग्रेस छुपा रही अपनी नाकामी
इसके उलट भाजपा नेता सुदेश वर्मा का कहना है कि उनकी पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व हर चुनाव को बेहद गंभीरता से लेता है। यह पार्टी को मजबूत करने तक का ही मामला नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण के लिए अवसर लेने का मामला है। उन्होंने कहा कि जब भाजपा कार्यकर्ता देखता है कि उसके केंद्रीय नेता चुनाव में पूरे जी-जान से लगे हुए हैं तो वह स्वयं भी पूरी ताकत के साथ चुनाव में जुट जाता है और पार्टी को सफलता मिलती है। भाजपा प्रवक्ता वर्मा का कहना है कि भाजपा के शीर्ष नेताओं पर प्रचार करने की नीति पर हमला कर कांग्रेस अपनी नाकामी छुपाना चाहती है।