भारत में कोरोना वायरस से पुरूषों की तुलना में महिलाओं की हो रहीं ज्यादा मौतें- स्टडी रिपोर्ट

अप्रैल में भारत में कुछ कोविड-19 मामले थे, कोविड-19 पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित कर सकता है क्योंकि 'असमानताएं उन पर (महिलाओं) प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं' ...

Update: 2020-06-24 14:24 GMT
Representative Image

दिशा शेट्टी की रिपोर्ट

जनज्वार। भारत की जो महिलाएं कोविड-19 के संपर्क में आ रही हैं, पुरूषों की तुलना में उनके मरने का खतरा अधिक है। 20 मई 2020 तक के मामलों पर हाल ही में की गई एक स्टडी में पाया गया है कि 2.9 प्रतिशत पुरूषों की तुलना में संक्रमण से 3.3 प्रतिशत महिलाओं की मृत्यु हुई है।

स्टडी के प्रमुख लेखक और दिल्ली के पॉपुलेशन रिसर्च सेंटर के इंस्टीट्यूट ऑफ इकनोमिक ग्रोथ में असिस्टेंट प्रोफेसर विलियम जोए ने कहा, 20 मई 2020 तक के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं में मृत्यु दर का जोखिम पुरूषों की तुलना में थोड़ा अधिक है। 

कुल पुष्ट मामलों के लिए पुष्टि की गई मौतों का अनुपात केस फेटालिटी रेशियो (CFR) कहलाता है। महिलाओं के बीच केस फेटालिटी रेशियो 40-49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं में मृत्यु के काफी अधिक जोखिम से प्रेरित है। बुजुर्गों सहित अन्य सभी आयु समूहों में हम पाते हैं कि पुरूषों और महिलाओं के बीच मृत्यु दर कम या ज्यादा समान है।  अन्य देशों में डेटा उपलब्ध हैं जहां के प्रारंभिक साक्ष्य बताते हैं कि पुरूषों को बीमारी से मरने का सबसे बड़ा खतरा है लेकिन इन निष्कर्षों की सावधानीपूर्वक व्याख्या की जानी चाहिए। 

भारत में कुपोषित और एनीमिक (रक्तहीनता से पीड़ित) महिलाओं का प्रतिशत पुरूषों की तुलना में अधिक है जबकि मधुमेह और उच्च रक्तचाप या कोमोर्बिटीज के मामले में पुरूषों का प्रतिशत महिलाओं से अधिक है। कोमोर्बिटीज और कमजोर पोषण दोनों ही कोविड 19 से हो रही मौतों से संबंधित हैं लेकिन जैसा कि भारत सरकार कोविड 19 के रोगियों को लेकर डेमोग्राफिक और मेडिकल डेटा प्रदान नहीं करती है, विशेषज्ञ मृत्यु में लिंग के अंतर के बारे में निष्कर्ष निकालने के प्रति सावधानी बरतते हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने Covi19India का डेटाबेस उपयोग किया था क्योंकि भारत सरकार ने कोविड 19 मामलों के डेमोग्राफिक डेटा को सुसंगत तरीके से जारी नहीं किया है। शोधकर्ताओं ने दो बातों को माना: एक, डेटा भीड़ से एकत्रित किए गए थे और दूसरा, भारत में टेस्टिंग की संख्या बहुत कम है। वे कहते हैं, 'टेस्टिंग की उच्च दर पैटर्न को बदल सकती है।'


स्टडी द लांसेट में एक लेख के द्वारा उठाई गए चिंताओं को आगे बढ़ाता है, जिसमें कहा गया था कि अप्रैल में भारत में कुछ कोविड-19 मामले थे, कोविड-19 पुरुषों और महिलाओं को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित कर सकता है क्योंकि 'असमानताएं उन पर (महिलाओं) प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं' और बच्चों की देखभाल और घर का काम महिलाओं को अधिक करना पड़ता है।

यूनाइटेड नेशंस वुमेन के डेटा के मुताबिक, 48.8 प्रतिशत पुरूषों के साथ कोविड-19 दोनों लिंगों को लगभग एक ही तरह से संक्रमित कर रहा है।  जेजीएचएस स्टडी में पाया गया कि भारत में मौटे तौर पर कोविड 19 से संक्रमित प्रत्येक तीन (34.3 प्रतिशत) में से एक महिला है। पांच साल से नीचे की आयु लड़के और लड़कियों और बुजुर्गों की श्रेणी में भी कोविड 19 की यही संख्या है लेकिन मध्य आयु वर्ग में महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में वायरस है। 

यूके के यूसीएल सेंटर फॉर जेंडर एंड ग्लोबल हेल्थ के इंडिपेंडेंट इनिशिएटिव ग्लोबल हेल्थ 50/50 के डेटा के अनुसार मौतों के मामले में वैश्विक स्तर पर पुरुष अधिक मरते हुए दिखाई देते हैं। जिन 47 देशों के पास लिंग आधारित डेटा है उनमें से 42 देशों महिलाओं की तुलना में पुरूषों की अधिक मौतें हुईं। 

अमेरिका के यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के डेटा के अनुसार, अमेरिका में 22 जनवरी और 30 मई के बीच के महिलाओं (4.8 प्रतिशत) की तुलना में संक्रमित पुरुषों (6 प्रतिशत) की अधिक मौतें हुईं और वायरस से संक्रमित पुरूष व महिलाओं की संख्या एक समान थी। ग्लोबल हेल्थ 50/50 के डेटा के अनुसार इंग्लैंड में भी पुरूषों की औसत मृत्यु दर (21.3 प्रतिशत) महिलाओं की औसत मृत्यु दर (12.3 प्रतिशत) से अधिक है। बांग्लादेश और पाकिस्तान में पुरूषों और महिलाओं की औसत मृत्यु दर एक ही है। 

जोए कहते हैं, वैश्विक स्तर पर कुछ स्टडी पुरूषों में उच्च मृत्यु दर बताते हैं। किसी भी निष्कर्ष को खींचने से पहले डेटा की समीक्षा करने की आवश्यकता है। लांसेट में प्रकाशित अप्रैल 2020 के लेख के अनुसार, कोविड-19 के प्रतिकूल परिणाम उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और फेफड़ों की बीमारी सहित कोमोर्बिटीड के साथ जुड़े हुए हैं चूंकि सभी स्थितियों पुरूष धूम्रपान अधिक करते हैं। यह लेख बताता है कि आगे पुरुषों की अधिक मौतें होंगी। 

स्टडी के सह लेखक और हार्वर्ड टी एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डिपार्टमेंट ऑफ सोशल एंड बिहेवियरल साइंसेज में प्रोफेसर एसवी सुब्रमण्यन कहते हैं, 'भारत में चूंकि कोविड 19 से अधिक संख्या में पुरूष संक्रमित हो रहे हैं। इसलिए हमें यह भी उम्मीद थी कि इस कारण अधिक संख्या में पुरूष मर रहे होंगे।'

सुब्रमण्यन ने कहा कि उपचार और स्वास्थ्य सेवा को केवल सांख्यिकीय टिप्पणियों के कारण महिलाओं के खिलाफ पक्षपाती नहीं होना चाहिए कि COVID-19 के साथ अधिक संख्या में पुरुष मर रहे हैं।

जोए ने कहा, महामारी 'तेजी से विस्तार कर रही है' और यह पाया कि भारत में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को COVID-19 के मरने का अधिक खतरा है, इसका प्राथमिकता के रूप में उपचार किया जाना चाहिए। जब तक हम सभी आयु-लिंग विशिष्ट पैटर्न का वर्णन करने के लिए अधिक पूर्ण डेटा प्राप्त नहीं करते हैं, तब तक हमें विश्लेषण को अपडेट करना होगा।'

इस अध्ययन में स्पष्ट रूप से यह नहीं देखा गया कि पुरुषों के सापेक्ष कुछ महिलाएं कुछ आयु समूहों में क्यों मर रही थीं, लेकिन एक संभावित कारण पोषण हो सकता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ् सर्वेक्षण (2015-16) के अनुसार , हर चार में से एक पुरुषों (22.7 प्रतिशत) की तुलना में 15-49 आयु की हर दो में से महिलाएं एनीमिक (रक्तहीनता से पीड़ित) हैं।

सुब्रमण्यन कहते हैं, पोषक स्थिति प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में एक महत्वपूर्ण कारक है। घरेलू और पर्यावरणीय परिस्थियों के कारण भी महिलाओं की कमजोर शारीरिक फिटनेस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, ये सभी चिंताएं हैं, नीतिगत ध्यान दिया जाना चाहिए।

विशेषज्ञ कहते हैं, महिलाओं के द्वारा घरों के अंदर लकड़ी जलाकर खाना पकाने से उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। खराब प्रतिरक्षा प्रणाली का मतलब यह हो सकता है कि अधिक महिलाएं वायरस से पीड़ित हैं। लेकिन यह समझने के लिए हमें मरने वाले लोगों की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के बारे में जानना होगा जो भारत में उपलब्ध नहीं है।  

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की प्रोफेसर और लिंग संबंधी समस्याओं के विशेषज्ञ लक्ष्मी लिंगम ने पूछती हैं, 'यह कोविड -19 संक्रमण की दर और मामलों की संख्या को जानने के लिए पर्याप्त नहीं है। ये कौन लोग हैं जो मर रहे हैं? क्या ये कोविड-19 वॉरियर्स (योद्धा) या आशा (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) कार्यकर्ता हैं क्योंकि उन्हें डोर-टू-डोर सर्वेक्षण करने के लिए कहा गया है?'  लिंगम ने कहा कि नर्सों समेत पहली पंक्ति के कार्यकर्ता मुख्य रूप से महिलाएं हैं। यह सामान्य रूप से गलत होगा कि एक निश्चित समूह की महिलाएं ऐसे विवरणों का पता लगाए बिना COVID-19 के कारण अधिक मर रही हैं।

'इंडिया स्पेंड' ने पहले एक रिपोर्ट में बताया था कि कैसे भारत के डॉक्टर, आशा कार्यकर्ता बिना सुरक्षा के कोविड-19 रोगियों के संपर्क का पता लगा रहे थे, जिससे उन्हें संक्रमण का खतरा था। भारत के कोविड 19 हॉटस्पॉट मुंबई से रिपोर्ट में हमने संक्रमण की आशंका पर कनिष्ठ स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर सूचना दी क्योंकि उन्हें पर्याप्त सुरक्षा के बिना शहर की मलिन बस्तियों में भेजा जा रहा था।

लिंगम बताती हैं, 'ये स्वास्थ्य कार्यकर्ता अक्सर झुग्गी में रहते हैं क्योंकि उन्हें बहुत कम भुगतान किया जाता है और वे अच्छे आवास का खर्च नहीं उठा सकते हैं। जब तक अधिकारी पुष्टि किए गए मामलों की सामाजिक-आर्थिक डेमोग्राफी और कोविड मौतों के आंकड़ों को साझा नहीं करते, हम निष्कर्ष नहीं निकाल सकते हैं।

कोविड-19 का लिंग पर प्रभाव दक्षिण-पूर्व एशिया के अन्य देशों के लिए भी चिंता का विषय है, इस क्षेत्र के डेटा से यह पता चलती है कि महिलाओं को कोविड-19 से संबंधित जानकारी प्राप्त करने, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अधिक समय तक इंतजार करना और कठिन होना, स्वास्थ्य सेवा तक पहुँचने  के समय के चलते अधिक से अधिक अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है। इस डेटासेट में भारत या चीन के डेटा शामिल नहीं हैं, हालांकि इसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल के डेटा हैं।

विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी कि एक देश में जो सच हो सकता है वह दूसरे के लिए नहीं हो सकता है और जैसा कि भारत महामारी के प्रति रिस्पोंस करता है, स्थानीय संदर्भों और सबूतों को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण होगा।

(यह रिपोर्ट पहले इंडिया स्पेंड पर प्रकाशित की जा चुकी है। )

Tags:    

Similar News