सुप्रीम कोर्ट की मोदी सरकार को फटकार, कहा प्रवासी मजदूरों के प्रति केंद्र का रवैया माफी योग्य नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा जब तक कोविड की स्थिति बनी रहती है तब तक सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश कम्युनिटी किचन चलाएं और प्रवासी मजदूरों को सूखा राशन मुहैया कराएं...
जनज्वार। कोविड महामारी के बाद मजदूर वर्ग सबसे ज्यादा बुरे हालातों में जी रहे हैं। रोज कमाने खाने वाले इस वर्ग के लिए 2 वक्त की रोटी का जुगाड़ मुश्किल हो गया है, बहुतायत लोग भुखमरी जैसे हालात में जी रहे हैं। इस वर्ग के लिए हमारी सरकारें दावे तो खूब करती हैं, मगर जमीन पर उनके लिए कोई काम होता दिखायी नहीं देता। अगर ऐसा होता तो सुप्रीम कोर्ट को केंद्र की मोदी सरकार से यह नहीं कहना पड़ता कि प्रवासी मजदूरों के प्रति केंद्र का रवैया माफी योग्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने आज 29 जून को प्रवासी मजदूरों को लेकर हुई सुनवाई के दौरान अपने एक अहम आदेश में कहा कि देशभर के तमाम राज्य और केंद्रशासित प्रदेश वन नेशन वन राशन कार्ड की स्कीम 31 जुलाई तक किसी भी हाल में लागू करें। जब तक कोविड महामारी की स्थिति बनी रहती है तब तक सभी राज्य कम्युनिटी किचन चलाएं और प्रवासी मजदूरों को सूखा राशन मुहैया कराएं। मजदूरों का डेटा तैयार करने में हो रही देरी पर भी सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया।
प्रवासी मजदूरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा गया कि श्रम और रोजगार मंत्रालय की ओर से प्रवासी मजदूरों का डेटा तैयार करने में हो रही देरी और लापरवाह रवैये को माफ नहीं किया जा सकता। पोर्टल में केंद्र की ओर से हो रही यह देरी दर्शाती है कि मोदी सरकार प्रवासी मजदूरों के लेकर फिक्रमंद नहीं है।
गौरतलब है कि इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रवासी मजदूरों की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया बहुत धीमी है। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को तेज किया जाए, ताकि कोरोना महामारी के दौर में के प्रवासी मजदूरों को उनके लिए बनी योजनाओं का लाभ मिल सके। न सिर्फ प्रवासी मजदूरों बल्कि गैर संगठित क्षेत्रों के मजदूरों के रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया में भी तेजी लाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया था।
29 जून से पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार तमाम मीडिया माध्यमों से दावा कर रही है कि हजारों करोड़ आवंटन किया गया है, लेकिन मुद्दा ये है कि क्या ये असल लाभार्थियों तक पहुंच रहा है या नहीं। ऐसे में मोदी सरकार को इस पूरी प्रक्रिया को ठीक से देखना होगा, ताकि योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों और असल लाभार्थियों तक पहुंचे।