रेलवे के निजीकरण के बाद कुली हुए बदहाल, कुली यूनियन ने दी सत्याग्रह आंदोलन की चेतावनी

संविधान के अनुच्छेद 21 में भारत के हर नागरिक को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है, लेकिन सरकार की नीतियों के कारण हम इस अधिकार से वंचित हो रहे हैं, हर विभागों के मजदूरों की मजदूरी का महंगाई के अनुसार रिवीजन होता है। यहां तक की मनरेगा मजदूरों के मजदूरी का भी रिवीजन भारत सरकार करती है...

Update: 2024-09-23 09:41 GMT

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लखनऊ। रेलवे के निजीकरण और आधुनिकरण के नाम पर हो रहे बदलाव के कारण कुलियों की आय में भारी गिरावट हुई है। केंद्र सरकार लगातार वंदे भारत, तेजस जैसी नई ट्रेनों को चलाने पर जोर दे रही है और सामान्य ट्रेनों में भी एसी के डिब्बे बढ़ा रही है। स्टेशन पर स्वचालित सीढ़ियों और बैटरी गाड़ी के जरिए माल और सवारियों को ठोया जा रहा है।

साथ ही साथ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज डिवीजन में कई स्टेशनों पर सरकार ट्रॉली व्यवस्था शुरू करके कुलियों के अलावा नए लोगों को भरने का काम कर रही है। ऐसी स्थिति में कुलियों की आय बेहद कम हो गई है और उनकी हालत दयनीय होती जा रही है। परिणामस्वरूप चारबाग स्टेशन पर कुलियों ने बैठक करके सरकार से 2008 की तरह ही कुलियों को रेलवे में भर्ती करने की मांग की है।

इन कुलियों के रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था के लिए आगामी दिनों में सत्याग्रह आंदोलन खड़ा करने और 23 सितंबर को डीएलसी ऑफिस पर आयोजित राष्ट्रीय प्रतिवाद दिवस में शामिल होने का फैसला कुलियों की बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता कुली यूनियन के अध्यक्ष राम सुरेश यादव ने की और मुख्य वक्ता वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर रहे।

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बैठक में वक्ताओं ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 में भारत के हर नागरिक को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है, लेकिन सरकार की नीतियों के कारण हम इस अधिकार से वंचित हो रहे हैं। हर विभागों के मजदूरों की मजदूरी का महंगाई के अनुसार रिवीजन होता है। यहां तक की मनरेगा मजदूरों के मजदूरी का भी रिवीजन भारत सरकार करती है।

पिछले कई सालों से कुलियों के माल ढोने के रेट में रेलवे बोर्ड की पालसी 1984 के अनुसार कोई परिवर्तन नहीं किया जाता है। आज हालात यह हैं कि सरकार ने बैटरी वाहन लगाकर कुलियों के काम पर कुठाराघात किया है। कुलियों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा और उनके परिवार जनों को स्वास्थ्य सुविधा देने का बाकायदा आदेश है, जिसे लागू नहीं किया जाता। हालत इतनी बुरी है कि साल भर में चार वर्दी देने के आदेश को भी लागू नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में अपने बाल बच्चों के पेट को पालने और सम्मानजनक जीवन के संवैधानिक अधिकार के लिए हमें सत्याग्रह आंदोलन का रास्ता लेना पड़ेगा।

बैठक को अरुण कुमार, अकील अहमद, राघवेंद्र प्रताप सिंह, अशोक कुमार यादव, कृष्णा चौधरी, मंगल प्रसाद यादव, अमीर अहमद, बैजनाथ यादव, घनश्याम वर्मा, इम्तियाज, अकबर, मोहम्मद अहमद, राम आधार यादव ने संबोधित किया और बड़ी संख्या में कुलियों ने बैठक में भाग लिया।

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