70 साल के लौंगी भुईंया ने खोद डाली 3 किलोमीटर लंबी नहर, गाँव के 3 हज़ार लोग ऐसे उठा रहे लाभ
लौंगी भुइयां कहते हैं, उनकी पत्नी, बेटे और बहू सभी ने यह काम करने से उन्हें रोकने की कोशिश की थी, क्योंकि इसमें उन्हें कुछ मिलता नहीं था, कोई आमदनी नहीं होती थी, एक समय लोग उन्हें पागल तक कहने लगे थे...
जनज्वार। कभी-कभी अपने मजबूत इरादों की दम पर आम इंसान भी महापुरुष सरीखा बन जाता है। ऐसी ही कहानी बिहार के महापुरूष लौंगी भुईंया की है। जब सरकारें सब कुछ बेंच देने में लगी हैं तब लौंगी भुईंया सरीखे लोग बिना किसी की मदद के मानवता की उंची इबारत लिख दी।
लौंगी ने ना सिर्फ पहाड़ काटा बल्कि तीन किलोमीटर लंबी नहर की खुदाई तक कर डाली, ताकि बारिश के समय बरसात का पानी उस नहर से हो कर गांव के तालाब में एकत्रित हो सके और फिर उस पानी का उपयोग किसान सिंचाई में कर सकें।
बिहार के गया निवासी लौंगी भुईयां ने कड़ी मेहनत से वो उदहारण पेश किया है, जिसे सदैव याद रखा जाएगा। यहीं के कोठीलवा नाम के गांव में लौंगी भुईयां अपने बेटे, बहू और पत्नी के साथ रहते हैं। भुईयां के मुताबिक पहले परिवार के लोगों ने उन्हें इस काम के लिए मना किया। लेकिन उन्होंने किसी कि नहीं सुनी और नहर खोदने में लग गए। दरअसल, इलाके में पानी की किल्लत के कारण लोग सिर्फ मक्का और चना की खेती ही कर पाते थे।
ऐसे में गांव के सभी युवक अच्छी नौकरी की खोज में गांव से पलायन कर चुके थे। अधिकतर लोग गांव से दूर काम की खोज में चले गए। तब लौंगी के मन में ख्याल आया कि यदि यहां पर पानी का बंदोबस्त हो जाए तो लोगों के पलायन को रोका जा सकता है। कड़ी मेहनत के बाद आज नहर बनकर तैयार हो चुकी है और इस इलाके के तीन गांव के तीन हजार लोगों को फायदा मिल रहा है।
गांव वाले कहते हैं कि जब से उन्होंने होश संभाला है, तब से लौंगी भुईयां को घर में कम, जंगल में अधिक देखा है। वहीं भुईयां कहते हैं कि यदि सरकार कुछ सहायता कर दे तो हमें खेती के लिए, ट्रैक्टर जैसी सुविधा मिल जाए जिसके बाद बंजर पड़ी जमीन को खेती के लिए उपजाऊ बनाया जा सकता हैं, जिससे लोगों को बहुत मदद मिलेगी।
वहीं लौंगी भुईयां के काम की हर कोई तारीफ कर रहा है। हर कोई उनके जज्बे को सलाम कर रहा है। जिन्होंने अदम्य साहस और 30 वर्षों की कड़ी मेहनत से पांच फीट चौड़ी और तीन फीट गहरी नहर का निर्माण कर डाला और हजारों लोगों की समस्या को हल कर दिया।
भुइयां गया जिले के लहथुआ इलाके में कोठीलावा गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने 30 साल की अथक मेहनत के बाद तीन किलोमीटर लंबी एक नहर तैयार कर डाली है। ऐसा उन्होंने पड़ोस की पहाड़ियों से बारिश के पानी को अपने गांव के खेतों तक लाने के लिए किया। इसका फायदा गांव के 3000 लोगों को मिल रहा है।
लौंगी भुइयां के परिजन कहते हैं, वह रोज घर से जंगल पहुंच जाया करते थे और अपने इस नहर को खोदने के काम में जुट जाते थे। उनके परिजनों ने उन्हें ऐसा करने से मना भी किया, लेकिन भुइयां ने किसी की नहीं सुनी।
खुद भुइयां कहते हैं, उनकी पत्नी, बेटे और बहू सभी ने यह काम करने से उन्हें रोकने की कोशिश की थी, क्योंकि इसमें उन्हें कुछ मिलता नहीं था, कोई आमदनी नहीं होती थी। एक समय लोग उन्हें पागल तक कहने लगे थे, लेकिन आज जब पानी आ गया है और सबको इसका फायदा मिल रहा है तो सभी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।
भुइयां कहते हैं, पहले मैं खेती करता था। बेटा काम की तलाश में शहर चला गया, गांव के अधिकतर लोग भी काम करने के लिए बाहर चले गए। एक दिन बकरी चराते वक्त मैंने सोचा कि अगर गांव में पानी आ जाए तो लोगों का पलायन रुक सकता है। तभी से मैं इस काम में जुट गया और आज उसका परिणाम सबके सामने है। कभी पागल कहकर जो लोग भुइयां चिढ़ाते थे, वे अब उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।