पूर्व आईपीएस ने कहा दलितों को ग्राम समाज की जमीन से न हटाने की योगी की घोषणा खोखली

पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा जब से योगी सरकार बनी है आदिवासियों व वनाश्रित दलितों की बेदखली, उनके दमन और उत्पीड़न की ही कार्यवाहियां हो रही हैं...

Update: 2020-12-07 15:28 GMT

file photo

लखनऊ, जनज्वार। बाबा साहेब आंबेडकर के ​परिनिर्वाण दिवस यानी 6 दिसंबर को पूर्व आईपीएम अधिकारी और आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एसआर दारापुरी ने कहा कि योगी सरकार ने दलितों के साथ छल किया है।

एसआर दारापुरी ने कहा योगी आदित्यनाथ द्वारा डॉ अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस पर अंबेडकर महासभा में दलितों को ग्राम समाज की कब्जे की जमीन से बेदखल न करने की घोषणा खोखली है और दलितों की आंख में धूल झोंकना है, क्योंकि मौजूदा राजस्व संहिता और उसकी पूर्ववर्ती जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम 1956 में यह व्यवस्था रही है कि दलितों व आदिवासियों को जिस जमीन पर वह काबिज हैं उसे उन्हें कब्जे के आधार पर पट्टा कर दिया जाए। इसलिए इसमें नया कुछ भी नहीं है।

उन्होंने कहा, जरूरत इन प्रावधानों के जमीनीस्तर पर क्रियान्वयन की है, जिसे योगी सरकार से लेकर पूर्ववर्ती सरकारों ने लागू नहीं किया है। वास्तव में योगी राज में तो सोनभद्र के उभ्भा में जमीन के लिए आदिवासियों का नरसंहार हुआ। उस नरसंहार के बाद भूमि का सवाल राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक सवाल बना था।

परिणामतः मुख्यमंत्री योगी ने खुद घोषणा की थी कि उनकी सरकार सोनभद्र, मिर्जापुर में भूमाफियाओं द्वारा सोसाइटी, ट्रस्ट बनाकर किए गए अवैध कब्जों की जांच करायेगी और इस जमीन को कब्जे में लेकर गरीबों में वितरित करेगी। लेकिन कुछ भी नहीं हुआ। उलटे 2019 में भू-माफियाओं के अवैध कब्जों को वैध करने के लिए सरकार ने राजस्व संहिता में संशोधन कर दिया।

एआईपीएफ द्वारा उभ्भा नरसंहार के समय सोसाइटी, ट्रस्ट, मठ के नाम पर कब्जा की हुई जमीनों और ग्रामसभा की बंजर, परती व फाजिल जमीन के दलितों-आदिवासियों के बीच बंटवारे के लिए भूमि आयोग के गठन की उठाई गई। मगर मांग पर भी विचार करने की योगी सरकार ने जहमत नहीं उठाई। यही नहीं सीएम योगी बार-बार वनटंगिया समुदाय के लोगों को जमीन देने की बात करते हैं, लेकिन उनकी सरकार ने हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सोनभद्र, मिर्जापुर और नौगढ़ समेत पूरे प्रदेश में लाखों की संख्या में रह रहे आदिवासियों व वनाश्रितों को वनाधिकार कानून के तहत पुश्तैनी जमीन पर अधिकार नहीं दिया है। उलटा जब से यह सरकार बनी है आदिवासियों व वनाश्रित दलितों की बेदखली, उनके दमन और उत्पीड़न की ही कार्यवाहियां हो रही हैं।

दारापुरी ने कहाकि मुख्यमंत्री को हवाई घोषणाएं करने की जगह दलितों-आदिवासियों के लिए समयबद्ध विशेष अभियान चला कर ग्राम समाज की भूमि का आवंटन करना चाहिए तथा वनाधिकार कानून के अंतर्गत आदिवासियों व वनाश्रितों को उनकी पुश्तैनी भूमि पर अधिकार देना चाहिए। 

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