Uttarakhand news : भारत में पहली बार ग्लेशियर नदी को जोड़ा जाएगा इस बरसाती नदी से, पीने के अलावा सिंचाई के लिए भी मिलेगा पानी

Uttarakhand news : यह पहली बार होगा कि उत्तराखंड में गढ़वाल मंडल की एक नदी को कुमाऊं मंडल की नदी से जोड़ा जाएगा। इससे बड़े आबादी क्षेत्र को पानी मिलेगा, बड़े भू-भाग के लिए सिंचाई करने को पानी उपलब्ध होगा....

Update: 2022-07-13 13:30 GMT

 भारत में पहली बार ग्लेशियर नदी को जोड़ा जाएगा इस बरसाती नदी से, पीने के अलावा सिंचाई के लिए भी मिलेगा पानी

सलीम मलिक की रिपोर्ट

Uttarakhand news : उत्तराखंड के अल्मोड़ा और नैनीताल जिले के कई इलाकों में पेयजल की कमी पूरी करने के लिए लगातार सूख रही कोसी नदी को एक ग्लेशियर नदी का सहारा मिलेगा। पिंडर नाम की इस ग्लेशियर नदी का पानी पाइप लाइन और टनल के सहारे कोसी नदी तक पहुंचाया जायेगा। देश में पहली बार हो रहे इस प्रयोग को जल जीवन मिशन के तहत पूरा किया जाएगा। इसके बाद बरसाती नदी कोसी में सालभर ग्लेशियर का पानी बहेगा।

इस प्रोजेक्ट पर प्राइमरी होमवर्क पूरा हो चुका है। जल्द सरकार के सामने प्रेजेंटेशन के बाद शासन की ओर से इसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। केंद्र की हरी झंडी मिलने के बाद धरातल पर काम शुरू होगा। उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के डायरेक्टर प्रो. एमपीएस बिष्ट के अनुसार यह पहली बार होगा कि उत्तराखंड में गढ़वाल मंडल की एक नदी को कुमाऊं मंडल की नदी से जोड़ा जाएगा। इससे बड़े आबादी क्षेत्र को पानी मिलेगा। बड़े भू-भाग के लिए सिंचाई करने को पानी उपलब्ध होगा।

गौरतलब है कि कुमाऊं मंडल के बागेश्वर जिले से बरसाती कोसी नदी बहते हुए अल्मोड़ा से रामनगर पहुंचती है। इससे आगे कोसी नदी उधमसिंहनगर जिले से होती हुई उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में पहुंचकर वहां एक और नदी में विलीन हो जाती है। कोसी नदी बरसाती नदी है, जिसमें बरसात के अलावा अन्य दिनों में पानी बेहद कम हो जाता है। पूर्व में कोसी नदी अपने किनारे पर बसे शहरों की पेयजल आपूर्ति आराम से करती थी, लेकिन बढ़ती आबादी के कारण कोसी लोगों की प्यास बुझाने में हांफने लगी है।

गर्मियों के दिनों में बागेश्वर-अल्मोड़ा शहर में पानी के लिए हाहाकार मचा रहता है। अल्मोड़ा जिले में पेयजल की व्यवस्था कोसी नदी के माध्यम से होती है। पिछले कुछ सालों से पंप लगे होने के बावजूद पानी की कमी हो रही है। एक तरफ कोसी नदी की यह स्थिति है तो दूसरी तरफ उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में ही करीब 12,530 फीट की ऊंचाई पर स्थित पिंडारी हिमानी ग्लेशियर से एक नदी निकलती है। पिंडारी ग्लेशियर की इस नदी को पिंडर नदी के नाम से जाना जाता है। इस नदी में करीब 55 क्यूसेक पानी रहता है, को इसे एक बड़ी नदी बनाता है।

पिंडारी ग्लेशियर बेशक कुमाऊं मंडल में स्थित हो, लेकिन ग्लेशियर से निकलने के बाद पिंडर नदी गढ़वाल मंडल के चमोली जिले में प्रवेश करती है। यहां से 105 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद यह नदी कर्णप्रयाग में अलकनंदा में मिल जाती है। इसी जगह से वैज्ञानिकों ने पिंडर नदी का पानी कोसी नदी में पहुंचाने का यह खाका तैयार किया है। इसमें एक खास तथ्य यह है कि पिंडर नदी के मुकाबले कोसी नदी काफी कम ऊंचाई पर बहती है, जिससे पिंडर नदी का पानी बहुत आसानी से कोसी नदी में पहुंचाया जा सकता है। ऐसे में पिंडर नदी का पानी कोसी में आने से बागेश्वर-अल्मोड़ा जिलों के साथ ही रामनगर की प्यास बुझाने में सहायक होगा।

पाइपलाइन के लिए टनल भी बनाई जाएगी

इस परियोजना के तहत पिंडरनदी का पानी कोसी में पहुंचाने के लिए पिंडर नदी के 2200 मीटर ऊपरी कैचमेंट एरिया से दो क्यूसेक पानी की धारा को कोसी नदी में 1800 मीटर ऊंचाई वाले स्थान पर डायवर्ट किया जाएगा। ज्यादातर क्षेत्र में पिलर के ऊपर से पाइपलाइन डालकर कोसी में पानी की सप्लाई दी जाएगी, लेकिन चमोली जिले के मोपाटा गांव से बागेश्वर जिले के मल्ला पप्यां गांव में लाइन ले जाने के लिए टनल बनाने की जरूरत पड़ेगी।

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बरसाती नदी में सालभर बहेगा ग्लेशियर का पानी

सचिव पेयजल नितेश झा के मुताबिक बढ़ती आबादी की वजह से बागेश्वर और अल्मोड़ा सहित सभी जगहों पर पानी की खपत बढ़ती जा रही है। इन क्षेत्रों में अतिरिक्त पानी की व्यवस्था के उपाय करने जरूरी हो गए हैं। इसलिए भविष्य की जरूरतों को देखते हुए इस प्रोजेक्ट को तैयार किया गया है। पिंडर नदी से प्रतिदिन तीन से चार एमएलडी पानी लिया जाएगा, को कोसी नदी की जरूरत को पूरा करेगा। यह पानी न केवल इन क्षेत्रों में पीने के पानी की जरूरत पूरी करेगा बल्कि आगे यह पानी खेती की सिंचाई जरूरतों को भी पूरा करने के काम आएगा।

उत्तराखण्ड भाजपा ने ट्वीट किया है, 'जल जीवन मिशन के तहत पिंडर नदी को कोसी नदी से जोड़ा जाएगा। यह देश का पहला प्रोजेक्ट होगा जिसके तहत नदी की धारा को मोड़कर पानी दूसरी नदी तक पहुंचाया जायेगा। इस योजना से अल्मोड़ा और नैनीताल जिले की बड़ी आबादी को मिलेगा पेयजल एंव बड़े भू-भाग में सिंचाई का कार्य हो सकेगा आसान।'

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किया परियोजना का स्वागत

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस प्रोजेक्ट का स्वागत करते हुए इसकी सफलता की कामना की है। रावत ने कहा कि कोसी ही नहीं, बल्कि गगास और रामगंगा जैसी नदियां भी इस पानी की प्रतीक्षा कर रही हैं। यह एक बड़ा सपना है। भगवान से प्रार्थना है कि यह सपना वास्तविकता में बदल जाए।



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