Ground Report : गुजरात में किसानों की मर्जी के बिना बिजली के तार और खंभे गाड़ फसल की जा रही तबाह, 1 हफ्ते से आंदोलन

जिस किसान के खेत में वायर बिछाये जा रहे हैं, उस किसान की अनुमति और एनेक्सचर ए का होना जरूरी है, लेकिन कई किसानों से न तो अनुमति ली गई है और न ही उन्हें मुआवजा दिया गया है...

Update: 2021-07-08 10:10 GMT

इन महिलाओं के खेतों में फसल तबाह कर जबरन गाड़ दिये गये हैं बिजली के खंभे

 दत्तेश भावसार की रिपोर्ट

जनज्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य गुजरात से विकास के नाम पर किसानों को परेशान करने, उन्हें उनकी जमीन में ही घुसने से रोकने का मामला सामने आ रहा है। अन्नदाताओं की जमीन पर मनमाने तरीके से काम हो रहा है, वो भी किसानों के बगैर अनुमति के। विकास के नाम पर खेतिहर जमीन की फेंसिंग तोड़ी जा रही है, फसल बर्बाद किये जा रहे हैं। शासन-प्रशासन से शिकायत करने पर पीड़ित किसानों को सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिल रहा है।

दरअसल पूरे गुजरात में कई जिलों में बिजली की तारे और खंभे लगाने का कार्य प्रगति पर है, जिसमें देवभूमि द्वारका जिले के कई गांव में JKTL के खंभे और वायर लग रहे हैं। इस कार्य में जिन किसानों की जमीन आ रही है, उनमें से कई किसानों की अनुमति के बिना उनके खेतों में बिजली की तारे बिछाये जा रहे हैं, जबकि उनकी परमिशन नहीं ली गई तो मुआवजा देने का कोई प्रश्न ही खड़ा नहीं होता।

इस मनमानी के कारण पिछले 7 दिनों से देवभूमि द्वारका में अन्नदाता किसान आंदोलित हैं। कई दिनों से किसान अलग-अलग तरह से प्रदर्शन कर अपना विरोध जता रहे हैं। कभी कब्र में बैठ कर, तो कभी बिजली के खंभों को दंडवत प्रणाम कर के विरोध किया जा रहा है, लेकिन सरकारी बाबूओं की तरफ से किसानों को न्याय नहीं मिल रहा है। इसलिए किसानों को आंदोलन करना पड़ रहा है।

खेतों में लगे बिजली के खंभे को दंडवत प्रणाम कर विरोध दर्ज कराते आंदोलनरत किसान

उल्लेखनीय है कि जिस किसान के खेत में वायर बिछाये जा रहे हैं, उस किसान की अनुमति और एनेक्सचर ए का होना जरूरी है। लेकिन कई किसानों से ना ही अनुमति ली गई है और न ही उन्हें मुआवजा दिया गया है।

एक बुजुर्ग महिला किसान बताती है कि उनकी आठ बीघा जमीन है। उस जमीन पर परमिशन के बिना JKTL ने वायर लगा दिए और खंभे खड़े कर दिए हैं। बुजुर्ग महिला की 9 बेटियां हैं, महिला की चिंता ये है कि वो अपनी बेटियों का लालन-पालन करें या इन कंपनियों से लड़ने निकले। सभी किसानों के अबाधित अधिकार हैं, जिसके तहत वह अपनी जमीन नहीं देने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन बिजली कंपनियों के लोग पुलिस को साथ में रखकर जबरन किसानों के खेत में गैरकानूनी तरीके से घुस जाते हैं और खड़ी फसल को भी बर्बाद कर देते हैं।

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कई मामलों में किसानों की जमीनों की फेंसिंग तोड़ कर बड़े मशीन खेतों में चला दिए गए, जिससे किसानों की पूरी फसलें बर्बाद हो गई हैं। आश्चर्य तो इस बात का है कि कंपनियों के पास किसान की तरफ से मिलने वाला अनुमति पत्र नहीं है, फिर भी पुलिस किसानों पर ही दमनकारी रवैया अपना रही हैं, जबकि गलत तरीके से काम कर रही कंपनियों को पूरा प्रोटेक्शन दिया जा रहा है।

एक अन्य आंदोलनकारी महिला बताती है कि हमारी परमिशन के बिना बिजली के खंभे गाड़ दिये गये। बिजली कंपनी ने पुलिस प्रशासन की शह पर ऐसा तब किया जबकि उन्होंने अपने खेत पर बाड़ लगाकर ताला जड़ा हुआ था, मगर ताले तोड़कर न सिर्फ वहां बड़ी-बड़ी जेसीबी मशीनें लाकर बिजली के खंभे और तार लगाये गये, बल्कि वहां खड़ी सारी फसल भी तबाह कर दी गयी। 

किसान आगेवन पाल भाई अंबालिया के अनुसार, 'बिजली कंपनियों को एनेक्सचर ए और किसानों की परमिशन लेनी जरूरी है, लेकिन कंपनियां दादागिरी से किसानों को अपने खेत में जाने से रोक रही हैं, जिसके चलते किसानों की खड़ी फसल और खेत दोनों तरफ से नुकसान हो रहा है। इसके चलते पिछले कई दिनों से किसान आंदोलनरत हैं। उन्होंने जिला स्तर पर भी कई शिकायतें दर्ज की हैं, लेकिन डीएम लेवल पर उनकी सुनवाई नहीं हो रही और उनको बता दिया गया है कि यह सरकारी काम है आप कुछ नहीं कर सकते।

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