भारतीय सेना ने 132 साल की सेवा के बाद मिलिट्री फॉर्मों को किया बंद, सैनिकों को स्वच्छ दूध की आपूर्ति के लिए हुआ था गठन

ब्रिटिश भारत में सैनिकों को स्वच्छ गाय के दूध की आपूर्ति की एकमात्र आवश्यकता के साथ फॉर्म की स्थापना की गई थी, वर्ष 1990 के दशक के अंत में लेह और कारगिल में भी मिलिट्री फॉर्म की स्थापना भी की गई थी, जिसका उद्देश्य उन क्षेत्रों में सैनिकों को ताजा दूध की आपूर्ति करना था...

Update: 2021-03-31 15:26 GMT

नई दिल्ली। भारतीय सेना ने बुधवार को देश भर में पिछले 132 वर्षो से कार्यरत मिलिट्री फॉर्मो को बंद कर दिया है। भारतीय सेना ने कहा, "राष्ट्र के लिए 132 साल की शानदार सेवा के बाद, इस संगठन को बंद कर दिया गया है।"

सेना ने कहा कि मिलिट्री फॉर्म में सभी अधिकारियों और श्रमिकों को फिर से नियुक्त किया गया है और वे संगठन की सेवा करना जारी रखेंगे।

दिल्ली में फॉर्म की क्लोजिंग सेरेमनी के दौरान, लेफ्टिनेंट जनरल शशांक मिश्रा ने कहा, "मिलिट्री फॉर्म की सेवाएं समाप्त हो रही हैं। पहला फार्म इलाहाबाद में 1 फरवरी 1889 को स्थापित किया गया था और 1947 में जब हमें आजादी मिली थी, तब तक भारत के पास ऐसे 130 फार्म थे। उस समय यह हमारे लिए बेहद फायदेमंद थे, क्योंकि श्वेत क्रांति की शुरूआत नहीं हुई थी। वर्गीज कुरियन ने 1970 में ऑपरेशन फ्लड शुरू किया था।"

ब्रिटिश भारत में सैनिकों को स्वच्छ गाय के दूध की आपूर्ति की एकमात्र आवश्यकता के साथ फॉर्म की स्थापना की गई थी। वर्ष 1990 के दशक के अंत में लेह और कारगिल में भी मिलिट्री फॉर्म की स्थापना भी की गई थी, जिसका उद्देश्य उन क्षेत्रों में सैनिकों को ताजा दूध की आपूर्ति करना था।

एक सदी से अधिक समय तक अपने समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ मिलिट्री फॉर्म ने 3.5 करोड़ लीटर दूध और 25000 मीट्रिक टन घास की आपूर्ति की।

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