खतरे में जोशीमठ : कांग्रेस ने किया हाई पावर कमेटी का गठन, कामकाज पर रखेगी नजर
Joshimath sinking : शंकराचार्य के यहां आने तथा ज्ञान पाने व प्रथम मठ स्थापना के बाद इस नगर का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व पिछले 13 सौ सालों में लगातार बढा ही है। पिछले 30 चालीस सालों में इस नगर का पर्यटन महत्व भारत की सबसे लंबे रोपवे बनने से व औली के स्कीइंग केन्द्र बनने से बढ़ता गया है....
Joshimath sinking : ऐतिहासिक, सामरिक, धार्मिक और सांस्कृतिक शहर जोशीमठ में हो रही तबाही पर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने एक हाई पावर कमेटी का गठन कर राज्य सरकार के कामकाज पर नजर रखने का फैसला किया है। कमेटी के सदस्य जोशीमठ क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों पर पैनी नजर रखने का काम करेंगे। समय-समय पर कमेटी के सदस्य जोशीमठ पहुंचकर नुकसान का जायजा लेते हुए क्षेत्र का मुआयना भी करेंगे।
पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कांग्रेस जोशीमठ के महत्व को समझती और महसूस करती है। जोशीमठ उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा पर बसा अंतिम नगर है। इस नगर का ऐतिहासिक महत्व है। कत्यूरी राजवंश की राजधानी होने से इसका उत्तराखण्ड के इतिहास में खास महत्व है। शंकराचार्य के यहां आने तथा ज्ञान पाने व प्रथम मठ स्थापना के बाद इस नगर का धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व पिछले 13 सौ सालों में लगातार बढा ही है। पिछले 30 चालीस सालों में इस नगर का पर्यटन महत्व भारत की सबसे लंबे रोपवे बनने से व औली के स्कीइंग केन्द्र बनने से बढ़ता गया है। सेना, आईटीबीपी गढ़वाल स्काउट के यहां मुख्यालय होने से इस नगर का राजनीतिक एवं सामरिक महत्व है।
इस कमेटी में उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापडी, स्थानीय विधायक राजेन्द्र भण्डारी, द्वाराहाट विधायक मदन बिष्ट, हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश, पूर्व राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी, अनुकृति गुसाईं शामिल रहेंगे।
उत्तराखंड कांग्रेस द्वारा गठित यह हाई पावर कमेटी इस बात पर गौर करेगी कि सरकार वहाँ की स्थानीय जनता की जानमाल की रक्षा के लिए वहाँ पर राहत के क्या कार्य कर रही है। कमेटी इस बात पर भी गौर करेगी कि पूर्व में आई हुयी मुनस्यारी या सौंग की आपदाओं के मामले में सरकार द्वारा अभी तक कितने लोगों को पुनर्वासित किया गया है, और कितनों का होना अभी बाकी है।
इसके अलावा कमेटी वहाँ भू-वैज्ञानिकों पर्यावरणविदों द्वारा किये जा रहे सर्वे तथा संस्तुतियों पर भी पैनी नजर रखने के साथ ही राज्य सरकार पर दबाव बनाएगी कि हेंलग मारवाडी बाईपास पर हो रहे निर्माण कार्य एवं एनटीपीसी तथा किसी और कम्पनी के द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य को स्थाई तौर पर रोककर उनका विकल्प तलाशा जाए। कमेटी इस बात का भी ख्याल रखेगी कि एनटीपीसी द्वारा पूर्व में जोशीमठ के समस्त घर, मकानों के बीमे करवाये जाने का जो समझौता हुआ था, उसका पालन हो रहा है या नहीं।
भूस्खलन के कारण बेघर हो रहे लोगों के विस्थापन एवं पुनर्वास की व्यवस्था गतिशील है या नहीं। यह कमेटी संभवत: कल रविवार 8 जनवरी को जोशीमठ का निरीक्षण करने के बाद परसों सोमवार 9 जनवरी की सुबह जोशीमठ में ही एक प्रेस वार्ता कर भविष्य की कार्यप्रणाली के पत्ते भी खोलेगी।