Free ration Scheme in Bihar : सितंबर में खत्म हो रही है मोदी की मुफ्त राशन योजना, BPL कार्डधारी अभी से हैं भूख को लेकर चिंतित
Free ration Scheme in Bihar : देशभर में गरीब जनता को प्रधानमंत्री विशेष राहत पैकेज के तहत जो अनाज दिया जाता है उसमें 5 किलो प्रति व्यक्ति अनाज मिलता है और इसमें गेहूं चावल दोनों शामिल रहता है, मगर पिछले 4-5 माह से सिर्फ चावल ही दिया जा रहा है....
राहुल तिवारी की रिपोर्ट
Free ration Scheme in Bihar : बाढ़ के मौसम में सूखे जैसे हालातों से जूझ रहे बिहार की गरीब-गुरबा जनता के लिए मुसीबतें और भी बढ़ेंगी, जिससे 2 वक्त की चूल्हा जलना भी मुश्किल होगा। एक तो पहले ही बरसात न होने से फसलें सूख चुकी हैं, खेतों में दरारें पड़ चुकी हैं, अब प्रधानमंत्री राहत पैकेज के तहत मिलने वाला राशन भी बंद होने वाला है। सरकार की तरफ से यह सिर्फ सितंबर 2022 तक दिया जाना है। गरीब मजदूर वर्ग के लोग जिनके लिए यह राशन जीने का एक बड़ा सहारा था, उनकी भूखों मरने की हालत आ जायेगी।
शिवहर जिले के माधोपुर अनंत पंचायत की मुखिया बदामी देवी का कहना है कि प्रधानमंत्री विशेष राहत पैकेज सितंबर में खत्म हो रहा है। सरकार को इसे और बढ़ाना चाहिए, क्योंकि हमारे यहां इस बार बारिश नहीं होने से खेती नहीं हो पा रही है। खेती नहीं होगी तो लोग खाएंगे क्या, अगर सरकार इसका डेट नहीं बढ़ाती है तो हम लोग मुख्ख्यालय पर धरना देंगे।
वहीं शिवहर जिले के ही सरसौला खुर्द पंचायत के रेजमा गांव के जन वितरण प्रणाली के विक्रेता अजय पांडे कहते हैं, सरकार जिस तरह से मुझे अनाज देती है, हम जनता के बीच उसी तरह से उसका वितरण करते हैं। हालांकि कोरोना के बाद से ही प्रधानमंत्री विशेष राहत पैकेज के तहत मिल रहे अनाज के वितरण का डेट बढ़ ही रही है। उम्मीद है कि बिहार में इस बार क्योंकि बारिश नहीं हुई है, इसलिए सरकार इस त्यौहार वाले समय को ध्यान देते हुए विशेष पैकेज को फिर से बढ़ाएगी। अगर यह नहीं बढ़ता है तो बहुत से लोगों को भुखमरी जैसी हालत में आ जायेंगे।
बकौल अजय पांडे, अभी जो राशन मिलता है उसमें एक किलो गेहूं मिलता है और बाकी चावल मिलता है। प्रधानमंत्री विशेष राहत पैकेज के तहत जो अनाज मिलता है, उसमें फिलहाल सिर्फ चावल मिल रहा है।
बीपीएल कार्डधारियों को सरकारी जन वितरण प्रणाली की दुकान पर 4-5 महीने से जो चावल मिल रहे हैं, उससे भी जनता परेशान है, क्योंकि गेहूं बिल्कुल भी नहीं मिल रहा है। कार्डधारियों की शिकायत है कि सिर्फ चावल खाकर हम लोग कैसे जियेंगे।
अभी तक तो गेहूं चावल जो भी मिल रहा है वह मुफ्त है, मगर सितंबर में प्रधानमंत्री विशेष राहत पैकेज योजना खत्म होने वाली है, उसके बाद गरीबों के लिए वाकई 2 वक्त की रोटी का जुगाड़ करना टेढ़ी खीर साबित होगा।
प्रधानमंत्री विशेष राहत पैकेज योजना का लाभ लेने वाली अधिकांश गरीब जनता को दूर दूर तक अभी पता नहीं है कि इस मुफ्त योजना की मियाद मुश्किल से डेढ़ महीने बची है, उसके बाद जिस चावल की वह शिकायत कर रहे हैं वह खरीदना भी उनके लिए बहुत मुश्किल होगा।
विशेष राहत पैकेज की मियाद सितंबर में खत्म होने की जानकारी जिन लोगों को है, वह भारी चिंता में दिख रहे हैं। चिंतित होकर कहते हैं, कोरोना के बाद पहले ही हम तबाह हो चुके हैं, अगर राहत पैकेज का अनाज भी नहीं मिलेगा, तो पेट भरना भी मुश्किल हो जायेगा।
गौरतलब है कि बिहार में जितने भी राशन कार्डधारी हैं उन सभी को जन वितरण प्रणाली की दुकान जहां पर राशन मिलता है, वहां पर सिर्फ चावल ही मिल रहा है। इस संबंध में जब बिहार के 3 जिलों के बीपीएल कार्डधारियों से बात की और जानने की कोशिश की है कि क्या यह समस्या सिर्फ एक ही जनपद में है, या फिर पूरा बिहार इस समस्या से जूझ रहा है। जनता का कहना है कि लगभग सभी जगह बीपीएल कार्डधारियों को चावल दिया जा रहा है, गेहूं की मात्रा नदारद कर दी गयी है।
गौरतलब है कि देशभर में गरीब जनता को प्रधानमंत्री विशेष राहत पैकेज के तहत जो अनाज दिया जाता है उसमें 5 किलो प्रति व्यक्ति अनाज मिलता और इसमें गेहूं चावल दोनों शामिल रहता है। मगर पिछले 4-5 माह से सिर्फ चावल ही दिया जा रहा है। कुछ जगह पर सिर्फ 1 किलो गेहूं दिये जाने की बात सामने आयी है। गेहूं न दिये जाने से लोगों में गुस्सा है।
शिवहर, सीतामढ़ी और मोतिहारी जिले के बीपीएल कार्डधारी कहते हैं, हमारे यहां सिर्फ चावल दिया जा रहा है और राज्य के अन्य जिलों में भी प्रधानमंत्री विशेष राहत पैकेज के तहत सिर्फ चावल ही बांटा जा रहा है।
कुछ जगह सिर्फ चावल और कुछ जगह प्रतिव्यक्ति 1 किलो दिया जा रहा गेहूं
सीतामढ़ी जिले के रीगा के रहने वाले मिंटू कुमार कहते हैं, हम लोगों को तीन चार महीने से सिर्फ चावल ही मिल रहा है। अब आप ही बताइए कि मेरे घर में 5 आदमी हैं तो 25 किलो चावल हो गया और 5 आदमी के बदले सिर्फ 5 किलो गेहूं दिया जायेबा तो हम लोग रोटी कितने दिन खाएंगे। सरकार की यह पॉलिसी बिल्कुल गलत है। अगर सरकार को देना है तो दोनों दे, नहीं तो कुछ भी नहीं दे। राशन वाला चावल बाजार में बेचने पर भी दो कौड़ी के दाम में बिकता है। लोग उसकी कोई कीमत नहीं देते हैं। हम लोग के पास जमीन भी नहीं है कि हम लोग अपने खाने लायक उपजा सकें।'
सिर्फ चावल खाने से गैस और डायबिटीज की बीमारी बढ़ने की शिकायत
शिवहर जिले के माली गांव की किरण देवी कहती हैं, 'मेरे पति और मैं दोनों गैस की बीमारी से परेशान हैं। मेरे ससुर को डायबिटीज है। हम लोगों को इतनी जमीन भी नहीं है कि उस पर खेती कर सकें। हम लोग पूरी तरह से राशन के भोजन पर ही निर्भर हैं, लेकिन अब लगता है काम नहीं चलेगा क्योंकि सरकार हमें चार-पांच महीने से चावल थमा दे रही है। अब बताइए कि हम लोग डायबिटीज वाले लोग हैं, सिर्फ चावल खा कर के कितने दिन जिएंगे। सरकार तो हमें जीते जी मार देगी। इसीलिए हम सरकार से निवेदन करते हैं कि वह चावल और गेहूं दोनों समान रूप से दे, जैसे पहले मिलता था।
डीलर बोलता है कि जो मुझे ऊपर से मिलता है, हम वही देंगे
मोतिहारी जिले के फेनहरा के अवधेश तिवारी कहते हैं, सरकार ने हम गरीबों को बुरी तरह से मार डालने की योजना बनाई है। सिर्फ चावल खा-खाकर हम परेशान हो गए हैं। जब डीलर को बोलते हैं कि हमें गेहूं दीजिए तो डीलर बोलता है यह तो ऊपर से ही आ रहा है। हम लोगों को जो मिलेगा, हम वही देंगे। अभी तक हम लोगों को सिर्फ चावल ही दिया जा रहा है। कई बार तो जिला अधिकारी से भी मिले, लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला। हमारे यहां सब लोगों को चावल और एक किलो गेहूं मिलता है। इसके अलावा कुछ भी नहीं मिलता।
बिहार में सरकारी राशन की दुकान पर सिर्फ गेहूं-चावल उपलब्ध, अन्य राज्यों की तरह नहीं मिलती अन्य खाद्य सामग्री
गौरतलब है कि बिहार में सरकारी राशन दुकान को जन वितरण प्रणाली की दुकान कहते हैं। यहां पर लोगों को सिर्फ चावल और गेहूं मिलता है। अभी चार-पांच महीने से सिर्फ चावल और एक किलो गेहूं मिल रहा है। किसी भी सरकारी राशन की दुकान पर सरसों का तेल, चीनी या अन्य कोई घरेलू उपयोगी चीजें नहीं मिलती हैं, जैसी अन्य राज्यों में मिलती हैं।
केंद्र से अभी चावल ही आ रहा है
जन वितरण प्रणाली वाली सरकारी राशन की दुकानों पर सिर्फ चावल बंटने का क्या कारण है? जब इस सवाल को लेकर हमने अधिकारी से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि केंद्र सरकार की ओर से अभी हमें चावल ही मिल रहा है। हम लोगों की मजबूरी है चावल देना। हम लोग शौक से चावल नहीं दे रहे हैं, जो स्टॉक में होता है वही देते हैं। हम जनता की मजबूरी को समझते हैं, लेकिन मेरा भी सीमित दायरा है। उसको लांघ नहीं सकते। हम लोगों का तो काम है सरकार के नियम कानून को लोगों से फॉलो करवाना और खुद करना। जब हम लोगों को चावल ही मिल रहा है तो हम लोगों को गेहूं कहां से दें।
प्रधानमंत्री विशेष राहत पैकेज की मियाद सितंबर में हो रही खत्म
प्रधानमंत्री विशेष राहत पैकेज के तहत गरीब लोगों को 5 किलो गेहूं या चावल मुफ्त मिलता है। इसके साथ 5 किलो गेहूं और चावल के पैसे मिलते हैं। प्रधानमंत्री विशेष राहत पैकेज की मियाद सितंबर में पूरी हो रही है। अभी त्योहारों का समय आने वाला है। सरकार इसे आगे बढ़ाएगी या नहीं, कहना मुश्किल है। अगर यह अनाज नहीं मिला तो गरीब लोगों को दो वक्त की रोटी के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। बाजार में अभी के समय में गेहूं 2500 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है, जिसे खरीद पाना गरीबों के लिए काफी मुश्किल होगा।
यूक्रेन-रूस जंग की वजह से गेहूं की कीमत में बढ़ोतरी
विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन रूस युद्ध की वजह से गेहूं की कीमत में उछाल आया है और यह उछाल अभी और बढ़ने की उम्मीद है। रूस-यूक्रेन युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है। गौरतलब है कि युद्ध प्रभावित दोनों दोनों देश गेहूं के बड़े उत्पादकों में से एक हैं। पूरी दुनिया में गेहूं की मांग बढ़ने की वजह से इसकी कीमत में बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक तो लगाई है, लेकिन अभी भी कुछ देशों को मानवीय आधार पर गेहूं का निर्यात किया जा रहा है। ऐसे में भारत में भी गेहूं की कमी आने वाले समय में हो सकती है और गेहूं की कीमतों में और उछाल आ सकता है।