Mundka Fire : दिल्ली के मुंडका अग्निकांड में बची महिलाओं को सता रही आजीविका और भविष्य की चिंता

Mundka Fire : मता ने बताया कि उस दिन जो कुछ भी हुआ उसे वह जीवनभर नहीं भुला सकतीं, अब उसे सबसे बड़ी चिंता अपने भूखे बच्चों को खाना खिलाना है....

Update: 2022-05-17 15:30 GMT

Mundka Fire : मुंडका अग्निकांड के बाद रोते-बिलखते मृतकों के परिजन

Mundka Fire : राजधानी दिल्ली के मुंडका क्षेत्र में हाल ही में हुए अग्निकांड (Mundka Fire) में जान बचने के बाद महिलाओं को अब अपने भविष्य और आजीविका की चिंता सताने लगी है। इस हादसे में बचे लोगों में से एक ममता (45 वर्षीय) ने कहा कि यह मेरे दिमाग में लगातार चल रहे एक वीडियो की तरह है और मैं अभी मदद के लिए चिल्लाने वाले लोगों की आवाज सुन सकती हूं।

उन्होंने कहा कि हालांकि अभी उसके पास शोक में डूबने का समय नहीं क्योंकि उसके मन में एक और चिंता है कि वह अपने नौ लोगों के परिवार के लिए भोजन का प्रबंधन कैसे करेगी जो उस पर निर्भर हैं। इस हादसे में ममता के हाथ भी जल गए और पैर में चोटें भी आईं और उन्हें ठीक होने तक आराम करने के लिए कहा गया है।

बता दें कि बीते शुक्रवार इमारत में भीषण आग (Mundka Fire) लगी। यह चार मंजिला इमारत थी। जब आग लगीं तब ममता कई वर्षों से काम कर रही थीं। हादसे में 21 महिलाओं समेत 27 लोगों की मौत हो गई थीं। ममता मुंडका के निकट मुबारकपुर के प्रवेश नगर की रहने वाली हैं।

ममता ने बताया कि उस दिन जो कुछ भी हुआ उसे वह जीवनभर नहीं भुला सकतीं। हालांकि अब उसे सबसे बड़ी चिंता अपने भूखे बच्चों को खाना खिलाना है।

वह कहती हैं कि मेरे पति दिव्यांग हैं। मेरे पांच बेटियों समेत सात बच्चे हैं। मेरे बेटे काम के साथ-साथ पढ़ाई भी करते हैं। वे दिहाड़ी मजदूर हैं और ज्यादातर समय उनके पास कोई काम नहीं होता है।

इसी अग्निकांड में बची एक अन्य महिला मालनी ने कहा कि यहां दूसरा काम मिलना मुश्किल है। वह कहती हैं कि यहां ज्यादा कारखाने नहीं हैं। हमारे पास ज्यादा बचत भी नहीं है। हम बहुत मुश्किल से अपना गुजारा कर रहे थे और अब इस त्रासदी ने हम पर एक और बोझ डाल दिया है।

हादसे में बची एक अन्य महिला की बेटी अपने परिवार के भविष्य को लेकर चिंतित हैं। वह कहती हैं, मेरी मां कारखाने में काम करती थीं। वह उस दिन भाग्यशाली रही कि वह बच गईं। मैं अपनी मां को नहीं खो सकती हूं।

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