NTCA की इजाजत से कॉर्बेट के गर्जिया जोन प्रवेशद्वार को बिना वाजिब कारण कर दिया रिंगौड़ा गेट शिफ्ट, ग्रामीणों में आक्रोश
दो साल तक गर्जिया से संचालित होने वाले गर्जिया जोन के प्रवेश द्वार को अब बिना किसी वाजिब कारण के रिंगौड़ा शिफ्ट किए जाना क्षेत्रीय ग्रामीणों के साथ छलावा है, क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के व्यापक अवसर देने के लिए बनाए गए कॉर्बेट के इस नए जोन का प्रवेश द्वार यहां से हटाए जाने से जनता के बीच में असहयोग की भावना पैदा होगी...
Ramnagar news : अपने नैसर्गिक सौंदर्य और वन्यजीवों की अठखेलियों से देश विदेश के लोगों को लुभाने वाले कॉर्बेट नेशनल पार्क में कल मंगलवार 1 नवंबर से नए गर्जिया जोन को खोल दिया जायेगा। इस जोन का प्रवेश द्वार रिंगौड़ा में बनाया जायेगा, जबकि गर्जिया के लोग एंट्री गेट गर्जिया से शुरू करने की मांग कर रहे हैं।
बता दें कि दो साल पहले बिना राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की इजाजत के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कॉर्बेट नेशनल पार्क में एक और पर्यटक जोन खोले जाने की शुरुआत कर दी थी। इसका प्रवेश द्वार गर्जिया में बनाया गया था। दो साल तक यह जोन सैलानियों से गुलजार रहा। लेकिन उसके बाद एनटीसीए ने इस जोन को बंद करा दिया था। बाद में कॉर्बेट प्रशासन ने इस जोन को विधिवत शुरू कराए जाने के लिए एनटीसीए से औपचारिक इजाजत ली तो एनटीसीए ने जोन का नए तरीके से सीमांकन करते हुए गर्जिया से करीब सात दूरी पर रिंगौड़ा नामक गांव से इसका प्रवेश द्वार बनाने की इजाजत दी। जिसके बाद कॉर्बेट प्रशासन ने इस जोन को रिंगौड़ा से शुरू करने की कवायद शुरू कर दी।
लेकिन गर्जिया जोन का गेट गर्जिया से हटाकर रिंगौड़ा से शुरू करने पर गर्जिया और इसके आसपास रहने वाले ग्रामीणों इस जोन का एंट्री गेट गर्जिया के बजाए रिंगौड़ा में बनाने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इतना ही नहीं ग्रामीणों ने अपनी मांग न माने जाने पर 15 नवंबर से खोले जाने वाले ढिकाला पर्यटन जोन में पर्यटकों की आवाजाही ठप्प करने की भी धमकी दे दी।
इस मामले में सोमवार को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक धीरज पाण्डे को दिए ज्ञापन में ग्रामीणों ने कहा कि गर्जिया गेट को रिंगौड़ा शिफ्ट किए जाने की कवायद से ढिकुली, गर्जिया, सुंदरखाल मोहान, चुकुम के ग्रामीणों में भारी रोष है। दो साल तक गर्जिया से संचालित होने वाले गर्जिया जोन के प्रवेश द्वार को अब बिना किसी वाजिब कारण के रिंगौड़ा शिफ्ट किए जाना क्षेत्रीय ग्रामीणों के साथ छलावा है। क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को रोजगार के व्यापक अवसर देने के लिए बनाए गए कॉर्बेट के इस नए जोन का प्रवेश द्वार यहां से हटाए जाने से जनता के बीच में असहयोग की भावना पैदा होगी, जिससे वन्य जीव मानव संघर्ष के भी बढ़ने की संभावना है। इसलिए गर्जिया गेट को अन्यत्र स्थानांतरित न करते हुए किया जाए, गर्जिया गेट को ही पर्यटकों का प्रवेश द्वार बनाते हुए रिंगौड़ा क्षेत्र से पर्यटकों की निकासी की व्यवस्था की जाए, जिससे दोनों क्षेत्रों में रोजगार के व्यापक अवसर बने रहे।
यदि गर्जिया गेट को पर्यटकों का प्रवेश द्वार न बनाकर कॉर्बेट प्रशासन द्वारा रिंगौड़ा शिफ्ट किया गया तो ग्रामीण आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। जिसके तहत 15 नवंबर से खुलने वाले ढिकाला जोन में ग्रामीणों द्वारा पर्यटकों की आवाजाही ठप्प की जाएगी। इसकी पूरी जिम्मेदारी कॉर्बेट प्रशासन की होगी। कॉर्बेट प्रशासन को यह ज्ञापन देने वालों में बीडीसी सदस्य खष्टी देवी, ग्राम प्रधान पूनम, चंदन राम, जगदीश छिमवाल, नवीन जोशी, धीरेंद्र कुमार, संजय छिमवाल, पुराण सिंह फर्त्याल, राजेंद्र छिमवाल, दीप चंद्र जोशी, हेमंत रावत, राजेंद्र रावत, रोहित मौलेखी, योगेश कुमार, ललित कुमार, सोनू पाण्डे सहित कई लोग मौजूद रहे। लेकिन ग्रामीणों के इस विरोध से बेपरवाह कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के नए गर्जिया जोन को रिंगौड़ा से शुरू करने की कॉर्बेट प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है।
कॉर्बेट नेशनल पार्क के निदेशक धीरज पाण्डे के अनुसार रिंगौड़ा गेट के उद्घाटन के बाद गर्जिया जोन को पर्यटकों के लिए खोल दिया जायेगा। इस जोन को एनटीसीए की अनुमति नहीं होने के चलते बीती 16 जुलाई को ही बंद कर दिया था। जिसके बाद पार्क प्रशासन ने एनटीसीए से अनुमति लेकर जोन को शुरू करने के लिए प्रस्ताव भेजा था। एनटीसीए ने गर्जिया जोन को रिंगौड़ा गांव से संचालित करने की इजाजत दी है। जिसके बाद इस जोन को मंगलवार की सुबह साढ़े छः बजे सैलानियों के लिए खोल दिया जायेगा।
जैसा कि मालूम ही है कि उत्तराखंड के नैनीताल, पौड़ी, और यूपी के बिजनौर जिले तक फैले कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को भारत ही नहीं, पूरे एशिया में बाघों के लिए बेहद अनुकूल माना जाता है। इस रिजर्व में सैलानियों के लिए ढिकाला, बिजरानी, दुर्गा देवी, झिरना, ढेला पांच जोन बनाए गए थे। जहां सैलानी एक ओर बाघों की दहाड़, हाथियों की चिंघाड़ के साथ घास के झुरमुट में दौड़ते हिरणों को देखकर रोमांच महसूस करते थे तो इसके घने जंगल और जैव विविधता शोधार्थियों के लिए अच्छा विषय होते थे।
अपनी विशेषता की वजह से कॉर्बेट नेशनल पार्क के हर जोन में प्रवेश के लिए सैलानियों में आपाधापी रहती है। इसकी ऑनलाइन बुकिंग कई अगले महीने तक बुक रहती है। सैलानियों के बढ़ते दबाव के कारण ही कॉर्बेट नेशनल पार्क से सटे तराई पश्चिमी वन प्रभाग और रामनगर वन प्रभाग के जंगलों में भी सैलानियों के लिए जोन बनाए गए हैं। जंगलों पर पड़ने वाले सैलानियों के इसी दबाव को देखते हुए कॉर्बेट नेशनल पार्क में दो साल पहले छठा नया पर्यटन जोन "गर्जिया" जोन के नाम से बनाया गया था, जिसे एनटीसीए ने एक बार बंद करा दिया था। इसी जोन को अब विधिवत इजाजत की औपचारिकता के बाद कल मंगलवार की सुबह सैलानियों के लिए खोल दिया जायेगा।