Pithoragarh News : सहकारी बैंक प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों व बैंक अधिकारियों के रिश्तेदारों को दे डाली नियुक्ति

Pithoragarh News : सरकार की तरफ से इन नियुक्तियों पर उंगलियां उठने के बाद एक जांच समिति बनाई गई है, सहकारिता विभाग के कुमाउं मंडल डिप्टी रजिस्ट्रार नीरज बेलवाल को इसका जांच अधिकारी बनाया गया है.....

Update: 2022-04-14 11:49 GMT

Pithoragarh News : सहकारी बैंक प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों व बैंक अधिकारियों के रिश्तेदारों को दे डाली नियुक्ति

सलीम मलिक की रिपोर्ट

Pithoragarh News : पिथौरागढ़ जिला सहकारी बैंक (Pithoragarh District Co-operative Bank) में हुई नियुक्तियों में बैंक प्रंबधन समिति के पदाधिकारियों व बैंक अधिकारियों को दोनों हाथों से नौकरी दी गई है। बैंक के वरिष्ठ पदाधिकारियों के भांजा-भांजी से लेकर सगे भतीजे, भाई व बेटे को बैंक में नियुक्त (Appointment) किया गया है। इस बैंक में चतुर्थ श्रेणी में 15 से अधिक नियुक्त किए गये कर्मी बैंक अधिकारियों व प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों के रिश्तेदार हैं। नियम विरुद्ध हुई इन नियुक्तियों को लेकर स्थानीय विधायक सहित कई अन्य संगठनों ने बैंक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जिला सहकारी बैंक में हुई भर्तियों को लेकर हमने जो सिलसिलेवार पड़ताल की उसमें हैरत में डालने वाले प्रकरण सामने आए हैं।

प्रारंभिक तौर पर नियुक्तियों में बैंक के पदाधिकारियों व अधिकारियों के रिश्तेदारों (Relatives) की सूची सामने आई है। इस बैंक में चतुर्थ श्रेणी में नियुक्ति पाने वाले अधिकतर लोग बैंक अधिकारी या प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों के रिश्तेदार हैं। बैंक के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने अपने भांजा-भांजी से लेकर भाई-बहू, भजीते-बेटे को तक इन पदों पर नियुक्ति दिलाई है। प्रबंधन समिति के उच्च पद पर काबिज एक पदाधिकारी के भांजा-भांजी तो सहकारी बैंक के एक पूर्व अध्यक्ष के भाई व बहू को भी नियुक्ति मिली है। जिले की एक शाखा में प्रबंधक व पूर्व जीएम के पुत्र की भी नियुक्ति हुई है। यहां तक कि चंपावत जिले के प्रबंध समिति के एक डायरेक्टर की भतीजी व बैंक में तैनात एक पीओ के मौसेरे भाई को भी नौकरी दे दी गई है। बैंक में हुई चहेतों की नियुक्तियां एक बहुत बड़े घपले की तरफ इशारा कर रही हैं।

बैंकों में सेवा दे चुके कर्मियों के अनुभव की नहीं हुई गणना

बैंक भर्ती के लिए इन नियुक्तियों के लिए हुए साक्षात्कार में भी गड़बड़ी का आरोप है। जनपद के विभिन्न सहकारी बैंकों में 15 से अधिक लोगों ने 5 से 11 साल तक संविदा व दैनिकभोगी कर्मी के तौर पर अपनी सेवाएं दी हैं। उनका बैंक में सेवा का लंबा अनुभव है। उन्होंने भी चतुर्थ श्रेणी पद पर होने वाली इन भर्ती के लिए आवेदन किया था। लेकिन साक्षात्कार के दौरान उनके अनुभव प्रमाण पत्र की गणना ही नहीं की गई और उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इन कर्मियों ने खुद बैंक की मुख्य शाखा पहुंचकर जांच समिति के सामने इस पर आपत्ति जताई है। जांच समिति इस पर क्या निर्णय लेती है, यह समय बताएगा।

रोक के बाद भी कर्मियों को दे दी गई नियुक्ति

विवादों में रही सहकारी बैंक की भर्तियों पर सरकार ने रोक लगा दी थी। लेकिन रोक लगाने के सरकार के आदेशों का सहकारिता विभाग पर कोई असर नहीं हुआ है। रोक के बावजूद भी पिथौरागढ़ में नवनियुक्त कर्मी बैंकों में तैनात हैं। जबकि सीएम ने साफ तौर पर कहा था कि इन कर्मियों को सहकारिता विभाग व बैंक प्रबंधन कार्यभार ग्रहण न कराए। लेकिन सीएम के ये आदेश बेअसर साबित हुए हैं। पिथौरागढ़ में इन पदों पर 47 लोगों की नियुक्ति हुई है। रोक के बावजूद भी सभी कर्मी बैंकों में तैनात हैं।

कांग्रेस ने बनाया मुद्दा

इस मामले को लेकर स्थानीय विधायक मयूख महर से लेकर युवा कांग्रेस तक मुखर हो चली है। विधायक मयूख महर ने इसे बेरोजगारों के साथ खिलवाड़ बताते हुए कहा कि भाजपा नेताओं के परिजनों के अलावा इन नियुक्तियों को मोटी रकम में बेचा गया है। पूरे मामले की एसआईटी जांच कराई जाए। जिनसे रुपए लेकर नौकरी दी गई है, उनके रुपए वापस कर इन पदों पर पूर्व में कार्यरत बैंककर्मियों को समायोजित किया जाए।

जांच अधिकारी का यह कहना है

हालांकि सरकार की तरफ से इन नियुक्तियों पर उंगलियां उठने के बाद एक जांच समिति बनाई गई है। सहकारिता विभाग के कुमाउं मंडल डिप्टी रजिस्ट्रार नीरज बेलवाल को इसका जांच अधिकारी बनाया गया है। जांचाधिकारी नीरज बेलवाल का कहना है कि इस संबंध में हमें एक एफिडेविट मिला है। जिसमें बैंक अधिकारियों व प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों के कुछ रिश्तेदारों का हवाला दिया गया है। निश्चित तौर पर इस मामले की गंभीरता से जांच होगी। सभी तथ्यों को बारीकी से परखा जाएगा।

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