कृषि विधेयक पूंजीपतियों को बना रहा और अमीर-किसानों को मजदूर, 26 नवंबर को किसानों-श्रमिकों का देशव्यापी आंदोलन
300 किसान संगठन और देश के सभी श्रम संगठनों ने की 2 दिन के देशव्यापी आंदोलन को भारी समर्थन देने की घोषणा
इंदौर, जनज्वार। इंदौर में किसान मजदूर आदिवासी अधिकार सम्मेलन द्वारा आज 8 नवंबर को एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें बोलते हुए किसान—मजदूर नेताओं ने कहा कि किसान और किसानी को बर्बाद करने के लिए मोदी सरकार द्वारा कृषि विधेयक लाया गया है।
विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने लॉकउाउन की आड़ में 44 श्रम कानूनों में बदलाव कर जहां श्रमिकों का जीना दूभर कर दिया है, वहीं तीन कृषि अध्याय देशों से देश की जमीन को पूंजीपतियों को और कारपोरेट घरानों को देने की साजिश रची है। इसके खिलाफ देशभर में मजदूरों किसानों में आक्रोश है और 26 तथा 27 नवंबर को देश के लाखों किसान मजदूर सड़कों पर होंगे। दिल्ली में भी घेराव होगा और देश के सभी हिस्सों में मजदूर और किसान आंदोलन करेंगे।
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा कृषि सुधार के नाम पर पास किए गए कृषि कानूनों के विरोध में देश भर के 300 से ज्यादा किसान संगठनों का साझा मंच आल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति की अपील पर देश के कोने कोने में किसान मजदूर आदिवासी सम्मेलन आयोजित किये जा रहे हैं। आगामी 26 नवम्बर अखिल भारतीय हड़ताल और 26-27 नवम्बर को दिल्ली चलो की अपील की जा रही है।
इस संदर्भ में नर्मदा बचाओ आंदोलन, आल इंडिया किसान महासभा, आल इंडिया किसान खेत-मजदूर संगठन, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ एंव किसान संघर्ष समिति के संयुक्त तत्वावधान में आल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति इंदौर द्वारा एक किसान आदिवासी मजदूर सम्मेलन इंदौर के प्रेस क्लव में आयोजित किया गया, जिसमें हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा पारित किसान मजदूर व आदिवासी विरोधी नीतियों की जमकर आलोचना की गयी। और 26 नवम्बर दिल्ली चलो का नारा दिया गया।
इस अवसर पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति की नेत्री मेधा पाटकर ने सम्बोधित करते हुये कहा कि "गांव गांव में आज किसान आदिवासी मछुआरे और मजदूर तबका बदहाली की स्थिति में हैं। सरकारी नीतियों के चलते आज ग्रामीण आदिवासियों वनवासियों को उनकी जल जंगल जमीन से बेदखल किया जा रहा है, वहीं बरसों पुरानी संचालित सेंचुरी जैसी मिलों को बंद किया जा रहा है। सरकार पूरी तरह प्राकृतिक संसाधनों को देसी विदेशी कॉरपोरेट्स के हवाले कर रही है। ऐसे में कृषि सुधार के लिए नाम पर पारित किए गए तीनों कानून किसानों को बड़ी-बड़ी कंपनियों का बंधक बना देंगे इनके खिलाफ सभी लोगों को एक एकजुट होने की जरूरत है।"
कार्यक्रम में पूर्व एडवोकेट जनरल आनंद मोहन माथुर ने बात रखते हुये बताया कि "सरकार कृषि को पूरीव तरह कार्पोरेट के हवाले कर रही है। नयी बीज नीति भी लाने का प्रयास किया जा रहा है जो किसान को बीज के लिए कम्पनियों पर निर्भर कत देगा।"
इस अवसर पर ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के राज्य सचिव मनीष श्रीवास्तव ने कहा कि "देशभर के किसानों द्वारा लंबे अरसे से उठाई जा रही "कर्ज से मुक्ति और और फसलों की लागत से डेढ़ गुणा लाभकारी दाम" देने की दो प्रमुख मांगों को अनदेखा कर केंद्र की भाजपा सरकार ने देशी-विदेशी कोरपोरेट कम्पनियों के स्वार्थ में इन तीनों अध्यादेशों को कानूनी शक्ल दी है। इसके चलते न सिर्फ किसान बल्कि आम जनता, मंडी कर्मचारी, हम्माल व छोटे छोटे स्थानीय व्यापारी तबाह हो जाएंगे।'
अखिल भारतीय किसान महासभा के जसविंदर सिंह ने कहा, "आवश्यक वस्तु कानून 1955' में संशोधन कर भाजपा सरकार ने भोजन के लिए जरूरी सभी अनाज, दाल, तिलहन, खाद्य तेल, आलू व प्याज छ: तरह की चीजों के स्टाक को चाहे जितनी मात्रा में जमा करने की अनुमति दे दी है। साफ जाहिर है कि व्यापारिक कंपनियां किसानों से इन आवश्यक वस्तुओं को सस्ते दामों पर खरीद कर अपने गोदामों में इन्हें भारी मात्रा में जमा कर सकेंगी और बाजार में बनावटी कमी दिखाकर उन्हें महंगे दामों पर बेच कर अथाह मुनाफा अर्जित कर सकेंगी। किसानों के साथ-साथ इसका सबसे ज्यादा खामियाजा गरीब उपभोक्ताओं को उठाना पड़ेगा। इससे देश में पहले ही से ही कायम भयंकर कुपोषण, महंगाई व भुखमरी और भी ज्यादा बढ़ेगी।"
वहीं राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राहुल राज ने सभी से 26 नवम्बर को दिल्ली चलने की अपील की।
सम्मेलन में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के कार्यकारी मंडल की सदस्य मेधा पाटकर, किसान मजदूर महासंघ के राहुल राज ,अखिल भारतीय किसान सभा के जसविंदर सिंह और रामनारायण कुंरवारिया, ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के मनीष श्रीवास्तव, आनंदमोहन माथुर, किसान संघर्ष समिति के रामस्वरूप मंत्री, मजदूर नेता विजय शर्मा, प्रमोद नामदेव,,, केएस दुबे सहित विभिन्न वक्ताओं ने संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन अरुण चौहान और प्रमोद नामदेव ने किया।
अंत में कार्पोरेट भगाओ देश बचाओ," लड़ेगे- जीतेगें" जैसे नारो से कार्यक्रम का समापन हुआ। सम्मेलन में निर्णय किया गया है कि मध्य प्रदेश के सभी जिलों से किसान और मजदूर बड़ी तादाद में दिल्ली के लिए कूच करेंगे, साथ ही जिला मुख्यालयों पर और संभागीय मुख्यालयों पर प्रदर्शन भी होंगे।
करीब 3 घंटे चले इस सम्मेलन में बड़ी संख्या में किसान, खेत मजदूर, युवा, नौजवान और महिलाएं शामिल हुईं। सम्मेलन में विशेष रूप से दिनेश कुशवाहा, मुन्ना लाल साहनी, विजय शर्मा, मोहम्मद अली सिद्दीकी छेदी लाल यादव, रामकिशन मौर्या, माता प्रसाद मौर्य, अजय यादव, शफी शेख, अकबर अहमद, भरतसिंह यादव आदि शामिल थे।