देश में छात्रों के बीच सुसाइड की बढ़ती प्रवृत्ति बहुत चिंताजनक, 2021 में युवाओं की आत्महत्या का आंकड़ा बढ़कर पहुंचा 13,089
संयुक्त युवा मोर्चा ने की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को पत्र लिखकर छात्रों-युवाओं के शिक्षा व रोजगार संकट जैसे ज्वलंत मुद्दों के हल करने के लिए संसद में चर्चा कराने की अपील....
Lucknow news : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हाल में जारी आंकड़ों के अनुसार 2021 में 13,089 छात्रों ने सुसाइड किया, इसके पहले 2020 में 12526 व 2019 में 10335 छात्रों ने सुसाइड किया। ठीक एक दशक पहले 2011 में 7,696 छात्रों ने सुसाइड किया था।
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देश में 2019 से 2021 के बीच कम से कम 35 हजार छात्रों ने आत्महत्या के कारण अपनी जान गंवाई। 5 दिसंबर को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री, अब्बैया नारायणस्वामी ने लोकसभा में इसकी जानकारी साझा करते हुए बताया कि "देश में सामाजिक भेदभाव के कारण आत्महत्या करने वाले एससी/एसटी छात्रों की संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं है।' गौरतलब है नारायणस्वामी ने सामाजिक भेदभाव के कारण आत्महत्या करने वाले एससी/एसटी छात्रों की संख्या के बारे में जनता दल (यूनाइटेड) नेता डॉ. आलोक कुमार सुमन के एक सवाल का जवाब देते हुए यह जानकारी साझा की।
आंकड़ों से स्पष्ट है कि देश छात्रों में सुसाइड की बढ़ती प्रवृत्ति बेहद चिंताजनक है। इसकी सबसे बड़ी वजह छात्रों में भविष्य के प्रति भारी असुरक्षा बोध है। इस बाबत आज 7 दिसंबर को संयुक्त युवा मोर्चा केंद्रीय टीम सदस्य व युवा मंच के संयोजक राजेश सचान ने छात्रों में तेजी से बढ़ रही सुसाइड की प्रवृत्ति पर रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने और संसद सत्र में चर्चा कर छात्रों-युवाओं के ज्वलंत मुद्दों खासतौर पर शिक्षा व रोजगार संकट को हल करने के ठोस कदम उठाने के लिए हस्तक्षेप के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र प्रेषित कर अपील की है।
राजेश सचान ने कहा कि आजीविका संकट से भविष्य की अनिश्चितता और मंहगी शिक्षा छात्रों में सुसाइड की बढ़ती घटनाओं की मूल वजह हो सकती है, लेकिन गरिमापूर्ण रोजगार व शिक्षा सुनिश्चित करने का सरकार का जो संवैधानिक दायित्व है, उससे पल्ला झाड़ लिया गया है। इससे छात्रों व युवाओं में भविष्य को लेकर भारी असुरक्षा बोध पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि वैश्विक कॉरपोरेट पूंजी के हित में संचालित आर्थिक नीतियों से मौजूदा विकट स्थिति बनी है। बताया कि रोजगार अधिकार की गारंटी, रोजगार सृजन के लिए कारपोरेट्स पर संपत्ति व उत्तराधिकार कर लगाने जैसे ज्वलंत सवालों को संयुक्त युवा मोर्चा के रोजगार अधिकार अभियान में उठाया जा रहा है।