लखनऊ की इन दो बहनों का दर्द शरीर में सिहरन पैदा करता है, नवाबी जिंदगी के बाद अब भीख मांगकर करती हैं गुजारा

पड़ोसी बताते हैं कि बड़े भाई की मृत्यु के बाद इनका कोई सहारा नहीं था। मृत शरीर भी 2 दिन तक ऐसे ही पड़ा रहा। तब पड़ोसियों ने मिलकर किसी तरह उसका अंतिम संस्कार कराया। उनका आलीशान घर भी अब खंडहर में तब्दील हो चुका है...;

Update: 2021-07-02 01:46 GMT
लखनऊ की इन दो बहनों का दर्द शरीर में सिहरन पैदा करता है, नवाबी जिंदगी के बाद अब भीख मांगकर करती हैं गुजारा

मां-बाप और भाई की मौत के बाद भीख मांगकर गुजारा करने वाली बहने राधा और मांडवी.

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जनज्वार, लखनऊ। कभी-कभी वक्त और जिंदगी आपको किस रास्ते पर लाकर खड़ा करे कि, अनुमान भी लगा पाना मुश्किल होता है। यही कुछ राजधानी लखनऊ (Lucknow) के गोमती नगर  में रहने वाली इन दो बहनों के साथ। इन बहनो ने शायद ही गरीबी का नाम भी कभी सुना हो। दोनों ने एक संपन्न और सुखी परिवार से ताल्लुक रखती थीं। लेकिन उनकी किस्मत देखिए कि आज यह दोनों भीख मांग कर अपना गुजारा कर रही है।

मांडवी और राधा नाम की इन बहनों के पिता डॉक्टर एम एम माथुर बलरामपुर अस्पताल में मेडिकल ऑफिसर (Medical Officer) थे। इन दोनों का आलीशान घर शहर के पॉश इलाके गोमती नगर के विजय खंड में स्थित था। घर में सारी सुख सुविधाओं की चीजें रहती थी।

खंडहर में तब्दील हुआ आलीशान घर

एक दिन अचानक इनकी जिंदगी ने एक ऐसा मोड़ लिया जिसने इनकी जिंदगी बदल कर रख दी। एक हादसे से बहनों ने अपने माता-पिता को खो दिया। उसके बाद उनकी मानसिक स्थिति ऐसी बिगड़ी कि फिर कभी ठीक ना हो सकी। दोनों बहनों की शादी भी नहीं हो सकी। दोनों बहने ग्रेजुएट है और उम्र करीब 60 से 65 साल की है।

इस हादसे के बाद बड़े भाई ने स्थिति को संभालने की कोशिश की। उसने नौकरी ढूंढने की कोशिश की लेकिन हर कोशिश नाकाम होती गई, कोई नौकरी नहीं मिली। इससे वह विवश होकर भीख मांगने की कगार पर आ गया। पिछले ही साल भाई की भी मृत्यु हो गई है। अब इन दोनों का कोई सहारा नहीं बचा है।

रिश्तेदार इनकी कोई खबर नहीं लेते हैं। पड़ोसी बताते हैं कि बड़े भाई की मृत्यु के बाद इनका कोई सहारा नहीं था। मृत शरीर भी 2 दिन तक ऐसे ही पड़ा रहा। तब पड़ोसियों ने मिलकर किसी तरह उसका अंतिम संस्कार कराया। उनका आलीशान घर भी अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। जो कि उनकी कहानी खुद-ब-खुद बयां करता है।

 हालांकि कुछ सामाजिक कार्यकर्ता और पड़ोसी से इनका खाने-पीने का गुजारा हो जाता है। दोनो बहनो की मानसिक स्थिति भी कुछ बेहतर नहीं है। माँ-बाप और भाई को खेने की पीड़ा ने दोनो को बेशुमार दर्द के लपेटे में ले रखा है।

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