उत्तराखंड में वनभूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने लाखों लोगों के सामने पैदा किया बेदखली का संकट, जनता के पास आंदोलन अंतिम विकल्प

उत्तराखंड के 53 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि में 71 प्रतिशत वनभूमि है और इसमें से मात्र 104 किलोमीटर वन भूमि पर ही लोग बसे हुए हैं, जोकि कुल वनभूमि का एक प्रतिशत से भी कम मात्र .28 प्रतिशत ही है....

Update: 2025-12-26 11:38 GMT

रामनगर। संयुक्त संघर्ष समिति ने बुल्डोजर पर रोक लगाने, सभी वन ग्रामों गोठ खत्तों को राजस्व ग्राम घोषित करने, 7 दिसंबर को पूछड़ी गांव में हाईकोर्ट के स्टे आर्डर का उल्लंघन करने के उत्तरदायी डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य व अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने व बेदखल किए गए सभी ग्रामीणों का पुनर्वास करने की मांग को लेकर आगामी 4 जनवरी को रामनगर में आहूत जन सम्मेलन को सफल बनाने के लिए संयुक्त संघर्ष समिति ने ग्राम सुंदरखाल में जनसभा का आयोजन किया।

जन सभा को संबोधित करते वक्ताओं ने कहा कि सांसद अनिल बलूनी वनग्रामों को बिजली, पानी व मूलभूत अधिकार देने का वायदा एक बार पुनः जनता के साथ विश्वासघात है। यदि वे वास्तव में वनग्रामों के साथ हैं तो वे पहले पूछड़ी से विस्थापित 90 परिवारों का पुनर्वास करें।

वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में वन भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने लाखों लोगों के सामने बेदखली का संकट पैदा कर दिया है। अब जनता के सामने आंदोलन के अलावा अन्य कोई रास्ता नहीं बचा है। उत्तराखंड 53 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि में 71 प्रतिशत वन भूमि है और इसमें से मात्र 104 किलोमीटर वन भूमि पर ही लोग बसे हुए हैं जोकि कुल वनभूमि का एक प्रतिशत से भी कम मात्र .28 प्रतिशत ही है। यहां पर बसे लोगों ने इन वनों को बचाया है और लगाया है। अब भाजपा सरकार इन वनवासियों को बेदखल करने की साज़िश कर रही है।

वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में जो भी व्यक्ति जहां पर निवास कर रहा है उसे वहीं पर मालिकाना हक दिया जाए तथा किसी को भी बेदखल करने से पहले उसका पुनर्वास किया जाए।

4 जनवरी को रामनगर में आयोजित जन सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के मशहूर एडवोकेट रवीन्द्र गड़िया, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के तरुण जोशी, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, उपपा नेता पीसी तिवारी, किसान नेता अवतार सिंह, उत्तराखंड के जाने-माने सामाजिक राजनीतिक संगठनों के नेता भागीदारी करेंगे।

सभा को खीमराम, प्रेम राम, पूरन चंद्र, प्रभात ध्यानी, कौशल्या, रोहित रुहेला, आशा, तुलसी छिंबाल, रोहित रुहेला, दिल्ली उच्च न्यायालय के एडवोकेट कमलेश कुमार, मुनीष कुमार आदि ने संबोधित किया। संचालन शेखर ने किया।

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