झारखंड में आदिवासी इलाके नेतरहाट में फील्ड फायरिंग रेंज रद्द करने की मांग को लेकर इस साल भी 22-23 मार्च को 'विरोध एवं संकल्प दिवस' का आयोजन

जन जनसंघर्ष समिति ने फायरिंग रेंज में अभ्यास करने आए सैनिकों द्वारा स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से आदिवासी महिलाओं पर हुए अत्याचारों को जानने के लिए कराया गया था। सर्वे से निकले निष्कर्षों को उपायुक्त ने दिल दहलाने वाला बताया....

Update: 2023-03-15 11:19 GMT

विशद कुमार की रिपोर्ट

फायरिंग रेंज को खत्म करने के लिए पिछले तीन दशकों से काम कर रही फायरिंग रेंज विरोधी केन्द्रीय जनसंघर्ष समिति के नेतृत्व में हर साल 22-23 मार्च को दो दिवसीय विरोध एवं संकल्प दिवस का आयोजन होता रहा है। इसी के आलोक में पिछले वर्ष भी 22-23 मार्च 2022 को क्षेत्र के टुटुवापानी में आयोजित एक कार्यक्रम में किसानों के राष्ट्रीय नेता राकेश टिकैत और माले विधायक विनोद सिंह ने शिरकत की थी।

इस कार्यक्रम के इतर भी 2022 का वर्ष नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के खिलाफ आंदोलन के लिए महत्वपूर्ण रहा है। उल्लेखनीय है कि एकिकृत बिहार के वक्त बिहार सरकार ने 1999 को नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के संबंध में अधिसूचना जारी कर अवधि का विस्तार करते हुए इसकी अवधि 11 मई 2002 से 11 मई 2022 तक बढ़ा दी थी।

इसी के आलोक में पिछले वर्ष 22-23 मार्च 2022 को क्षेत्र के टुटुवापानी में आयोजित एक कार्यक्रम के बाद भी समिति के तत्वावधान में 21 अप्रैल से 25 अप्रैल 2022 को टूटूवापानी से रांची तक करीब 200 किलो मीटर की पदयात्रा का आयोजन हुआ था। इस पदयात्रा में शामिल 18 वर्ष से लेकर 90 साल के बुजुर्ग भी पैरों में छाले लिए राजभवन के समीप एक दिवसीय धरना में बैठ गए और महामहिम राज्यपाल को अपनी बात सुनाते हुए ज्ञापन दिया।

उसके बाद 11 मई 2022 को प्रभावित इलाके एवं झारखंड में जगह-जगह मानवशृंखला बनाकर नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज रद्द करने के लिए सरकार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया गया था।


वहीं 22-23 मार्च 2022 को क्षेत्र के टुटुवापानी में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा था कि जहां भी गरीब, मजदूर और किसानों का आंदोलन होगा, वहां मेरा समर्थन रहेगा। टिकैत ने कहा था कि कोई भी आंदोलन आदमी से नहीं, बल्कि विचारधारा से चलता है। ऐसे आंदोलनों में युवाओं को आगे आना होगा।

उक्त मौके पर मौजूद माले विधायक विनोद सिंह ने कहा था कि पिछले 20 दिसंबर, 2021 को विधानसभा में मैंने सरकार से कहा था कि दिनांक 20.08.1999 को जारी बिहार सरकार की अधिसूचना संख्या 1862 के तहत बने नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज का उक्त क्षेत्र के ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। यह एक इको सेंसेटिव क्षेत्र है और 11 मई, 2022 को राज्य सरकार फील्ड फायरिंग रेंज की समयावधि विस्तार पर रोक लगाने को लेकर सरकार क्या विचार रखती है? इस सवाल पर सरकार ने बताया कि इस संबंध में विभाग को अब तक कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है।

विनोद सिंह ने कहा था कि फायरिंग रेंज की समयावधि विस्तार पर सरकार जब तक रोक नहीं लगाती तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। फलस्वरूप पिछले 17 अगस्त 2022 को राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रेस रिलीज जारी कर नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अवधि विस्तार पर रोक लगाने की घोषणा की। तत्पश्चात पूरे इलाके में हर्ष का माहौल बना और हेमंत सरकार के इस घोषणा के बाद जनसंघर्ष समिति ने हेमंत सरकार को धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया। इसे आंदोलन की दूसरी जीत के रूप में देखा गया। आन्दोलन की पहली जीत तब हुई थी जब महिलाओं की अगुवाई में हुए आन्दोलन ने 23 मार्च 1994 को तोपाभ्यास के लिए आई सेना को वापस होने को मजबूर कर दिया था।

बताना जरूरी हो जाता है कि नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को अवधि विस्तार न दिये जाने के पीछे जो कारण गिनाए जा रहे हैं, उनका विस्तार से ज़िक्र 4 जून 2022 को लातेहार जिले के उपायुक्त के उस पत्र में मिलता है जो उन्होंने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को लिखा है। इस पत्र में उपायुक्त ने जन संघर्ष समिति के उस सर्वे को शामिल किया है, जिसमें जन जनसंघर्ष समिति ने फायरिंग रेंज में अभ्यास करने आए सैनिकों द्वारा स्थानीय समुदायों, विशेष रूप से आदिवासी महिलाओं पर हुए अत्याचारों को जानने के लिए कराया गया था। सर्वे से निकले निष्कर्षों को उपायुक्त ने दिल दहलाने वाला बताया।

पत्र में समय-समय पर आन्दोलनकारी और सरकार के बीच हुई बातचीत का भी हवाला दिया गया, लेकिन इसका किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाने के कारणों का भी ज़िक्र किया गया है। इस पत्र में उपायुक्त ने जन संघर्ष समिति के उन तर्कों को उचित करार दिया जो इस आंदोलन के दौरान पिछले तीस सालों से दिये जा रहे हैं।

उपायुक्त ने अपने पत्र में लिखा है कि “लातेहार व गुमला जिला संविधान की पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यहां पेसा एक्ट लागू है। जिसके तहत ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं। इसी के तहत नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के प्रभावित इलाके के ग्राम प्रधानों ने प्रभावित जनता की मांग पर ग्राम सभा का आयोजन कर नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के लिए गांव की सीमा के अंदर की ज़मीन सेना के फायरिंग अभ्यास के लिए उपलब्ध न कराने का निर्णय लिया है। साथ ही नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज की अधिसूचना को आगे और विस्तार न कर विधिवत अधिसूचना प्रकाशित कर परियोजना को रद्द करने का अनुरोध किया है।”

पत्र में उपायुक्त ने 2021 और 2022 के बीच आयोजित हुईं ऐसी 39 ग्राम सभाओं का विवरण भी दिया गया है जिन्होंने सर्वसम्मति से इस परियोजना को रद्द किए जाने के प्रस्ताव पारित किए हैं जो राज्यपाल को भी भेजे गए हैं।

बतातें चलें कि एकीकृत बिहार के समय में 1954 में मैनूवर्स फील्ड फायरिंग आर्टिलरी प्रैटिक्स एक्ट, 1938 की धारा 9 के तहत नेतरहाट पठार के 7 राजस्व ग्राम को तोपाभ्यास (तोप से गोले दागने का अभ्यास) के लिए अधिसूचित किया गया था। 1991 और 1992 में फायरिंग रेंज अवधि का विस्तार करते हुए 1992 से 2002 तक कर दिया गया। केवल अवधि ही विस्तार नहीं हुआ, बल्कि क्षेत्र का भी विस्तार करते हुए 7 गांवों से बढ़ाकर 245 गांवों को अधिसूचित किया गया। वहीं 22 मार्च 1994 को फायरिंग अभ्यास के लिए आई सेना को महिलाओं की अगुवाई में हुए आन्दोलन ने बिना अभ्यास के वापस जाने पर मजबूर कर दिया था। पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स दिल्ली, अक्टूबर 1994 की रिपोर्ट से मालूम हुआ था कि सरकार की मंशा पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्थाई विस्थापन एवं भूमि अर्जन की योजना को आधार दिया जाना था।

उपायुक्त ने मुख्य सचिव झारखंड सरकार को लिखे पत्र के अंत में यह सिफ़ारिश की कि “सेना मैनूवर्स फील्ड फायरिंग आर्टिलरी एक्ट, 1938 के अध्याय -2 की धारा 9 में फील्ड फायरिंग रेंज और तोपाभ्यास के संचालन संबंधी समस्त शक्तियां राज्य सरकार के अधीन हैं, अत: राज्य सरकार इस बावत निर्णय ले सकती है। ग्राम सभाओं द्वारा पारित प्रस्तावों को सम्मान देते हुए ही इस विषय में यथोचित निर्णय लिया जाना चाहिए।”

पत्र को संज्ञान में लेते हुए ही राज्य सरकार ने इसकी अवधि विस्तार पर रोक लगाने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस कदम के लिए ज़रूर श्रेय दिया जाना चाहिए कि उन्होंने आदिवासी समुदायों के हितों को ध्यान में रखा है।


जब मीडिया में हेमंत सरकार द्वारा अवधि विस्तार पर रोक लगाने के निर्णय की खबर आई, तो उसके बाद प्रभावित क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई, मगर खुशी का माहौल तब संदेह के घेरे में आया जब युवा जनसंघर्ष समिति के युवा साथी ने सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत 30 नवंबर 2022 को भेजे गए पत्र में मुख्यमंत्री सचिवालय से निम्न विंदुओं पर सूचना उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। -

17 अगस्त 2022 को नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के अवधि विस्तार पर रोक से संबंधित माननीय मुख्यमंत्री सचिवालय से जारी प्रेस रिलीज की फ़ोटो कॉपी उपलब्ध कराने की कृपा करें।

माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन द्वारा नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के अवधि विस्तार पर रोक लगाने के निर्णय से संबंधित आदेश या अधिसूचना की कॉपी उपलब्ध कराने की कृपा की जाए।

26 अगस्त 2022 को माननीय मुख्यमंत्री ने टूटूवापानी नेतरहाट में आयोजित विकास मेला में 22-23 मार्च 2019 को नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज विरोध दिवस कार्यक्रम के दौरान नेतरहाट थाने में दर्ज केस संख्या - 03/2019 को वापस लेने की घोषणा की थी। इस संबंध में माननीय मुख्यमंत्री द्वारा जारी आदेश या अधिसूचना जारी की गई हो तो उसकी फोटो कॉपी उपलब्ध कराने की कृपा की जाए।

परन्तु सरकार की ओर से अभी तक इन प्रश्नों का कोई जवाब नहीं मिला है। और न ही अभी तक मुख्यमंत्री द्वारा नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के अवधि विस्तार पर रोक लगाने के लिए किसी तरह का आदेश या फिर अधिसूचना जारी नहीं की गई है। वहीं केंद्र सरकार को इस संबंध में किसी तरह का पत्रचार भी नहीं किया गया है।

इस बाबत केन्द्रीय जन संघर्ष समिति एक बयान जारी कर बताती है कि हम मानते हैं, नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज अभी भी रद्द नहीं हुआ है। ऐसे में हमारा आंदोलन अभी भी जारी है और रहेगा।

इन्हीं स्थितियों को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय जन संघर्ष समिति, लातेहार- गुमला ने आह्वान किया है कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी समिति द्वारा विरोध एवं संकल्प दिवस का आयोजन किया गया है। जो 22-23 मार्च 2023 को “विरोध एवं संकल्प दिवस” के रूप में मनाया जायगा। समिति के सचिव जेरोम जेराल्ड कुजूर ने बताया कि हम आंदोलन को मजबूती प्रदान करने और एक नई दिशा देने को लेकर पूरी तैयारी में हैं तथा पूरी ताकत के साथ “विरोध एवं संकल्प दिवस” मनाने को हम कृतसंकल्प हैं।

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