बेरोजगारी दर के मामले में हरियाणा का देश में पहला नंबर, हवा-हवाई साबित हुआ खट्टर सरकार के रोजगार का दावा
हरियाणा की खट्टर सरकार के युवाओं को रोजगार के दावे हवा इवाई साबित हो रहे हैं। सीएमआईई के आंकड़ों के हिसाब से हरियाणा में बेरोजगारी दर 35.7 प्रतिशत हो गई है...
मनोज ठाकुर की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। हरियाणा की खट्टर सरकार ने दावा तो किया था कि प्रदेश के हर युवा को काम मिलेगा। सरकार की सहयोगी पार्टी जेजेपी का दावा है कि हरियाणा में लगने वाले उद्योगों में 75 प्रतिशत रोजगार प्रदेश के युवाओं को मिलेगा। इन दावों के विपरीत प्रदेश में बेरोजगारी की दर तेजी से बढ़ती जा रही है। सेंट्रल फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के ताजा आंकड़े के मुताबिक अगस्त 2021 में बेरोजगारी दर में हरियाणा देश के प्रथम स्थान पर है। अगस्त तक हरियाणा में बेरोजगारी दर 35.7 प्रतिशत पहुंच गई है।
एक ओर जहां प्रदेश में बेरोजगारी का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है, दूसरी ओर हरियाणा सरकार में खाली पदों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। एक अनुमान के मुताबिक अलग अलग सरकारी विभागों में 1.5 लाख स्थाई पद हैं खाली है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली विभाग में ही स्थाई कर्मियों के करीब 1 लाख से अधिक पद खाली पड़े हैं। जबकि 22 महकमों में इंजीनियरों के 12 हजार पद रिक्त हैं। जन स्वास्थ्य विभाग में चार हजार, रोडवेज विभाग में ड्राइवर समेत 11 हजार पद खाली हैं।
इंडियन नेशनल लोकदल के नेता अभय चौटाला ने कहा कि शहरी युवा ही नहीं ग्रामीण युवा भी बेरोजगारों की लिस्ट में शामिल हो रहे हैं। गांव में भी बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है। कृषि घाटे का सौदा हो गई है। कृषि आधारित रोजगारों की दिशा में सरकार कुछ नहीं कर रही है।
अभय चौटाला ने बताया कि सरकार न तो प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर ही ईमानदार और पारदर्शी तरीके से करा पा रह है। जब भी पेपर होता है, लीक हो जाता है। सरकार एक ओर तो दावा कर रही है कि खर्ची और पर्ची बिना नौकरी दी जा रही है। सवाल यह है कि नौकरी है कहा? किसे नौकरी मिल रही है।
सोशल साइंस के प्रोफेसर डाक्टर सज्जन सिंह ने बताया कि रोजगार को लेकर खट्टर सरकार की कोई नीति नहीं है। दिखावा ज्यादा हो रहा है। खट्टर सरकार के पहले कार्यकाल में 95 प्रतिशत भर्तियां किसी ने किसी वजह से अटक गई है। सरकार इस अड़चन का दूर करने में नाकामयाब साबित हो रही है। अभी हाल में पुलिस भर्ती का पेपर लीक होने की वजह परीक्षा स्थगित करनी पड़ी। अब यह परीक्षा कब होगी पता नहीं।
डॉक्टर सज्जन सिंह ने बताया कि इसमें दिक्कत यह आती है कि बहुत से युवा नौकरी की उम्मीद में उम्र की उपरी सीमा पार कर गए हैं। अब उनका क्या होगा? इस बारे में सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। निजी उद्योग में हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण बस दिखावा भर है। यह संभव ही नहीं है। यदि सरकार ने ज्यादा दबाव निजी उद्योग संचालकों पर डाला तो वह यहां से पलायन कर सकते हैं।
जाट आंदोलन भी एक वजह है कि यहां उद्योगपति अब आना ही नहीं चाह रहे हैं। इस वजह से भी रोजगार का संकट बढ़ रहा है। हरियाणा में कानून व्यवस्था का भी बुरा हाल है। इसका असर भी उद्योग पर पड़ रहा है।
सरकारी विभागों में सीधी भर्ती की बजाय सरकार ठेकेदारी प्रथा और आउटसोर्सिंग पर कर्मचारी हायर कर रही है। इससे हो यह रहा है कि सिर्फ भाजपा के लोगों को ही काम मिल रहा है। इसी तरह से रिटायर कर्मचारियों को दोबारा से काम पर रखा जा रहा है। इससे युवाओं के लिए नौकरी के अवसर कम हो रहे हैं।
अर्थशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर डॉक्टर यशपाल शर्मा ने बताया कि बीजेपी जेजेपी सरकार की रोजगार की दिशा में कोई सही नीति नहीं है। दिखावा ज्यादा हो रहा है। अब दावा किया जा रहा है कि 18 से 35 आयु का कोई भी युवा बेरोजगार नहीं रहेगा। लेकिन कैसे? इसका जवाब सरकार के पास नहीं है। सरकार ने लक्ष्य निर्धारित किया कि 2024 तक प्रदेश को बेरोजगारी मुक्त रोजगार युक्त बनाया जाएगा। सुनने में यह लक्ष्य बहुत अच्छा लग रहा है।
रोजगार आएगा कहां से? कैसे युवाओं को काम मिलेगा। इस दिशा में सरकार की कोई ठोस रणनीति नहीं है। हरियाणा सरकार ने एग्रो इंडस्ट्रीज कारपोरेशन लिमिटेड के साथ मिल कर
हर हित स्टेार योजना शुरू की है। इस योजना मे युवा दुकान खोलेंगे। लेकिन क्या सभी युवा दुकान खोल सकते हैं। दूसरी बात यह है कि युवा दुकान खोलेंगे तो सरकार की इसमें क्या भूमिका है। हरियाणा सरकार ने इसके लिए क्या किया है? यानी यह सरकार अपने लक्ष्य को एक एवेंट की तरह प्रोजेक्ट करती है। जो सुनने और देखने में तो भले ही अच्छे लगते हो, लेकिन उनका फायदा किसी को नहीं मिलता।
हालांकि सीएम मनोहर लाल खट्टर दावा करते हैं कि बेरोजगारी के जो आंकड़े दिखाए जा रहे हैं, वह सही नहीं है। इसका आकलन सही से नहीं किया गया है। सीएम का यह भी दावा है कि प्रदेश के युवाओं को रोजगार मिल रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि सरकार रोजगार की दिशा में उचित कदम उठा रही है।
सीएम के इस दावे से प्रदेश के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहमत नहीं है। उनका कहना है कि यह सरकार कुछ नहीं कर रही है। सिर्फ सत्ता सुख भोग रही है। जिसे प्रदेश के हालात से कोई मतलब नहीं है। हुड्डा ने कहा कि यदि सरकार ने युवाओं का रोजगार दिया है, तो इस पर एक श्वेत पत्र लाया जाए। जिससे प्रदेश के लोगों को सच का पता चल जाएगा कि कितने युवाओं को रोजगार मिला है।